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यहां फागली न मनाई तो देवता होते हैं नाराज! खुश करने के लिए लोग घास की पोशाक पहन करते हैं नृत्य

कुल्लू के उपमंडल आनी की ग्राम पंचायत बुच्छैर में फागली उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया. करीब सौ सालों से मनाए जा रहे फागली उत्सव के पीछे मान्यता है कि इसे न मनाने से देवता नाराज हो जाते हैं.

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Published : Mar 15, 2019, 10:19 AM IST

fagli utsav

कुल्लू: जिला के उपमंडल आनी की ग्राम पंचायत बुच्छैर में फागली उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया. बसंत ऋतु में हर तीन वर्षों के बाद मनाया जाने वाला ये फागली उत्सव देवता श्रीहनुमंत और श्रीकाली नाग देवता के परस्पर मेल और संबंधों का प्रतीक है. करीब सौ सालों से मनाए जा रहे फागली उत्सव के मनाये जाने के पीछे मान्यता है कि इसे न मनाने से देवता नाराज हो जाते हैं. देवताओं को खुश करने और बुरी ताकतों को दूर भगाने के लिए लोग पारंपरिक वेशभूषा में घास की पोशाक पहन कर नृत्य करते हैं. उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन के लिए पहुंचकर आशीर्वाद लिया.

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उत्सव में देवता के गुर भविष्यवाणी करते हैं. साथ ही पूरे साल में होने वाली बड़ी घटनाओं के बारे में देवता के गुर के माध्यम से बताया जाता है. विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मेहमानों को परोसा जाता है. ग्रामीण अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद गांव के चारों ओर फेरे लगाए जाते है. इस दौरान प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए पारम्परिक गीत, लामणु गाये जाते हैं. विशेष प्रकार के घास से बने कपड़ों के साथ पारम्परिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर ग्रामीण खूब थिरकते हैं. वहीं, महिलाएं भी प्राचीन वेश-भूषा में सजकर अपनी प्राचीन संस्कृति की झलक पेश करती हैं.

कुल्लू: जिला के उपमंडल आनी की ग्राम पंचायत बुच्छैर में फागली उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया. बसंत ऋतु में हर तीन वर्षों के बाद मनाया जाने वाला ये फागली उत्सव देवता श्रीहनुमंत और श्रीकाली नाग देवता के परस्पर मेल और संबंधों का प्रतीक है. करीब सौ सालों से मनाए जा रहे फागली उत्सव के मनाये जाने के पीछे मान्यता है कि इसे न मनाने से देवता नाराज हो जाते हैं. देवताओं को खुश करने और बुरी ताकतों को दूर भगाने के लिए लोग पारंपरिक वेशभूषा में घास की पोशाक पहन कर नृत्य करते हैं. उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन के लिए पहुंचकर आशीर्वाद लिया.

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उत्सव में देवता के गुर भविष्यवाणी करते हैं. साथ ही पूरे साल में होने वाली बड़ी घटनाओं के बारे में देवता के गुर के माध्यम से बताया जाता है. विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मेहमानों को परोसा जाता है. ग्रामीण अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद गांव के चारों ओर फेरे लगाए जाते है. इस दौरान प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए पारम्परिक गीत, लामणु गाये जाते हैं. विशेष प्रकार के घास से बने कपड़ों के साथ पारम्परिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर ग्रामीण खूब थिरकते हैं. वहीं, महिलाएं भी प्राचीन वेश-भूषा में सजकर अपनी प्राचीन संस्कृति की झलक पेश करती हैं.

यहां फागली न मनाई तो देवता होते है नाराज
कुल्लू

जिला कुल्लू के उपमंडल आनी की ग्राम पंचायत बुच्छैर में फागली उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। बसंत ऋतु में हर तीन वर्षो के बाद मनाया जाने वाला यह फागली उत्सव देवता श्रीहनुमन्त और श्रीकाली नाग देवता के परस्पर मेल और संबंधों का प्रतीक है।

करीब सौ सालों से मनाए जा रहे फागली उत्सव के मनाये जाने के पीछे मान्यता है कि इसे न मनाने से देवता नाराज हो जाते हैं। देवताओं को खुश करने और बुरी ताकतों को दूर भगाने के लिए लोग पारंपरिक वेशभूषा में घास की पोशाक पहन कर नृत्य करते हैं। ़उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन के लिए पहुँचकर आशीर्वाद लिया। उत्सव में देवता के गुर भविष्यवाणी करता है। साथ ही पूरे साल में होने वाली बड़ी घटनाओं के बारे में देवता के गुर के माध्यम से बताया जाता है । विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मेहमानों को परोसा जाता है। ग्रामीण अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद गाँव के चारों ओर फेरे लगाए जाते है । इस दौरान प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए पारम्परिक गीत, लामणु गाये जाते हैं। विशेष प्रकार के घास से बने कपड़ों के साथ पारम्परिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर ग्रामीण खूब थिरकते हैं। वहीं महिलाएं भी प्राचीन वेश-भूषा में सजकर अपनी प्राचीन संस्कृति की झलक पेश करती हैं। 

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