कुल्लू: जिला कुल्लू के प्राचीनतम गांव मलाणा में अकबर के दरबार में फागली उत्सव शुरू हो गया है. विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र वाले मलाणा गांव में फागली उत्सव सदियों से मनाया जा रहा है. देवता जम्दग्नि ऋषि के सम्मान में आयोजित फागली उत्सव देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं.
क्यों मनाया जाता है फागली उत्सव
मलाणा गांव में ग्रामीणों ने अकबर के लिए व्रत रखकर पूजा की गई. इसके पीछे एक ऐतिहासिक किस्सा है. बताया जाता है कि राजा अकबर ने देवता जम्दग्नि ऋषि को आज के दिन सोने-चांदी की वस्तुएं भेंट की थी. इसे लेकर ही फागली का आयोजन किया जाता है. मलाणा फागली उत्सव का समापन 23 फरवरी को होगा.
मलाणा पंचायत के पूर्व प्रधान भागी राम, देवता जम्दग्नि ऋषि के कारदार ब्रेसतू राम और पुजारी सूरजण राम ने बताया कि दो साधु भीक्षा मांगकर घूमते-घूमते दिल्ली से यहां पहुंचे. इसके बाद इन साधुओं को सम्राट अकबर ने दिल्ली में पकड़ कर उनसे उनकी झोली में पड़ी सारी दक्षिणा ले ली. इसके बाद जम्दग्नि ऋषि ने अकबर के सपने में आकर ये वस्तुएं लौटाने को कहा. अकबर ने फिर सैनिकों के हाथ अपनी ही सोने की मूर्ति बनाकर बतौर दक्षिणा वापस भेजी. इस मूर्ति की तब से यहां पूजा होती है.
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18 करोड़ देवी देवता मंदिर से निकलते हैं बाहर
फागली उत्सव में अठारह करोड़ देवता अपने मंदिर से बाहर निकलते हैं. अकबर की सोने की मूर्ति और चांदी के हिरण को भी बाहर निकाल कर इनकी पूजा की जाती है.
कारदार ने कहा कि अकबर के लिए समर्पित दो त्योहार हैं. दोनों त्योहार फागली ही है. उन्होंने बताया कि जम्दग्नि ऋषि और अकबर के वचन के आधार पर सभी हिंदुओं को यहां परंपरा का विधिवत निर्वहन करना पड़ता है. इस दौरान फागली के पहले दिन गांव की महिलाओं ने जम्दग्नि ऋषि की धर्म पत्नी रेणुका के दरबार में नृत्य कर रस्म निभाई.
23 फरवरी को होगा उत्सव का अंतिम दिन
मलाणा के पूर्व प्रधान भागी राम ने कहा कि फागली में पूरा मलाणा गांव ढोल-नगाड़ों व नरसिंगों की स्वरलहरियों की धुन से देवमय हो उठी है. उन्होंने कहा कि 23 फरवरी को अंतिम दिन गांव में फागली नृत्य किया जाएगा.
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