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बंजार में मुखौटे लगाकर लोगों ने मनाया फागली उत्सव, देवताओं का लिया आशीर्वाद - Fagli festival started in Banjar

कुल्लू के बंजार स्थित थाटीबीड़ में देवता करथानाग और बासुकीनाग के सम्मान में प्रसिद्ध पलदी फागली उत्सव धूमधाम से मनाया गया. फागली में घाटी के लोगों ने मुखौटे और पारंपरिक वेशभूषा में उतस्व को मनाया.

Fagli festival celebrated in Banjar
बंजार में मुखौटे लगाकर लोगों ने मनाया फागली उत्सव ,देवताओं का लिया आर्शीवाद
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Published : Jan 16, 2020, 11:28 AM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के बंजार स्थित थाटीबीड़ में देवता करथानाग और बासुकीनाग के सम्मान में प्रसिद्ध पलदी फागली उत्सव धूमधाम से मनाया. दो दिनों तक मनाए गए फागली में घाटी के लोगों ने मुखौटे और पारंपरिक वेशभूषा में सजकर नृत्य किया. दो दिवसीय उत्सव को देखने के लिए जिलाभर के साथ सीमांत लगते मंडी जिले के सैकड़ों लोग पलदी पहुंचे और देवताओं को आशीर्वाद लिया.

हर साल की तरह मकर संक्रांति पर देवता की कोठी में रात भर फागली का आयोजन होता रहा है और दूसरे दिन बुधवार को थाटीबीड़ में एक विशेष स्थान पर देवताओं संग लोग नाचते हुए पहुंचे. इससे पहले मंगलवार रात को मकर संक्रांति पर लोगों ने मुंह पर मखौटे और शरीर में शरूली नामक घास पहनकर सदियों पुरानी फागली का निर्वहन किया.

वीडियो रिपोर्ट

उत्सव में मंडियाला नृत्य के साथ लोगों को समूह में घर-घर जा कर जाकर जूब दी गई. इस मौके पर बीठ से फूल को पकड़ने का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा. मान्यता है कि जो इस बीठ को पकड़ता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. बीठ से फूल को पकड़ने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है.

देवता के कारकून दिवान सिंह, गूर लजे राम, कारदार तुलसी राम, धामी परस राम, भंडारी नोक सिंह, रूपेश शर्मा तथा लाल सिंह का कहना है कि हर साल पलदी फागली को देखने के लिए सैकड़ाें की संख्या में लोग पहुंचते हैं. हर साल मनाए जाने वाले फागली पर्व को लेकर घाटी के इलाकों के लोगों में खासा उत्साह व जोश रहता है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में 'हालडा उत्सव' की धूम, लोगों ने मशाल जलाकर भगाए भूत!

कुल्लू: जिला कुल्लू के बंजार स्थित थाटीबीड़ में देवता करथानाग और बासुकीनाग के सम्मान में प्रसिद्ध पलदी फागली उत्सव धूमधाम से मनाया. दो दिनों तक मनाए गए फागली में घाटी के लोगों ने मुखौटे और पारंपरिक वेशभूषा में सजकर नृत्य किया. दो दिवसीय उत्सव को देखने के लिए जिलाभर के साथ सीमांत लगते मंडी जिले के सैकड़ों लोग पलदी पहुंचे और देवताओं को आशीर्वाद लिया.

हर साल की तरह मकर संक्रांति पर देवता की कोठी में रात भर फागली का आयोजन होता रहा है और दूसरे दिन बुधवार को थाटीबीड़ में एक विशेष स्थान पर देवताओं संग लोग नाचते हुए पहुंचे. इससे पहले मंगलवार रात को मकर संक्रांति पर लोगों ने मुंह पर मखौटे और शरीर में शरूली नामक घास पहनकर सदियों पुरानी फागली का निर्वहन किया.

वीडियो रिपोर्ट

उत्सव में मंडियाला नृत्य के साथ लोगों को समूह में घर-घर जा कर जाकर जूब दी गई. इस मौके पर बीठ से फूल को पकड़ने का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा. मान्यता है कि जो इस बीठ को पकड़ता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. बीठ से फूल को पकड़ने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है.

देवता के कारकून दिवान सिंह, गूर लजे राम, कारदार तुलसी राम, धामी परस राम, भंडारी नोक सिंह, रूपेश शर्मा तथा लाल सिंह का कहना है कि हर साल पलदी फागली को देखने के लिए सैकड़ाें की संख्या में लोग पहुंचते हैं. हर साल मनाए जाने वाले फागली पर्व को लेकर घाटी के इलाकों के लोगों में खासा उत्साह व जोश रहता है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में 'हालडा उत्सव' की धूम, लोगों ने मशाल जलाकर भगाए भूत!

Intro:बंजार में फागली उत्सव शुरू
ग्रामीणों ने मुखोटे लगाकर किया नृत्यBody:





जिला कुल्लू के बंजार स्थित थाटीबीड़ में देवता करथानाग और बासुकीनाग के सम्मान में प्रसिद्ध पलदी फागली उत्सव धूमधाम से मनाया। दो दिनों तक मनाए गए फागली में घाटी के लोगों ने मुखौटे और पारंपरिक वेशभूषा में सजकर नृत्य किया। दो दिवसीय उत्सव को देखने के लिए जिलाभर के साथ सीमांत लगते मंडी जिले के सैकड़ों लोग पलदी पहुंचे और देवताओं को आशीर्वाद लिया। हर साल की तरह मकर संक्रांति पर देवता की कोठी में रात भर फागली का आयोजन होता रहा। दूसरे दिन बुधवार को थाटीबीड़ में एक विशेष स्थान पर देवताओं संग लोग नाचते हुए पहुंचे। इस दौरान लोगों ने देवता के समक्ष अश्लील गालियां देकर क्षेत्र से बुरी आत्माओं को भगाया। इससे पहले मंगलवार रात को मकर संक्रांति पर लोगों ने मुंह पर मखौटे और शरीर में शरूली नामक घास पहनकर सदियों पुरानी फागली का निर्वहन किया। उत्सव में मंडियाला नृत्य के साथ लोगों को समूह में घर-घर जा कर जाकर जूब दी गई। इस मौके पर बीठ से फूल को पकड़ने का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा। मान्यता है कि जो इस बीठ को पकड़ता है, उसकी मनोकामना पूरी हेेती है। बीठ से फूल को पकड़ने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है। Conclusion:

देवता के कारकून दिवान सिंह, गूर लजे राम, कारदार तुलसी राम, धामी परस राम, भंडारी नोक सिंह, रूपेश शर्मा तथा लाल सिंह का कहना है कि हर साल पलदी फागली को देखने के लिए सैकड़ाें की संख्या में लोग पहुंचते हैं। हर साल मनाए जाने वाले फागली पर्व को लेकर घाटी के इलाकों के लोगों में खासा उत्साह व जोश रहता है।
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