कुल्लू: जल संसाधन पर स्थाई संसदीय समिति के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने राज्य सरकार के अधिकारियों से कहा कि जल संरक्षण, जल वितरण, ग्रामीण विकास की योजनाओं व हिमालयी ग्लेशियरों के संबंध में समिति के सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के लिखित उत्तर जल्द से उन्हें भिजवाना सुनिश्चित करें.
डॉ संजय जायसवाल ने सोमवार को मनाली में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंंने कहा कि जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. जिसे राज्यों में प्रभावी ढंग से लागू करके निश्चित समयावधि में हर घर जल की सुविधा प्रदान करना है.
हालांकि उन्होंने हिमाचल प्रदेश में जल जीवन मिशन में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और विभाग की पीठ थपथपाई है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पानी की योजनाएं गांवों में बन जाने के बाद इनका रखरखाव व संचालन अधिक महत्वपूर्ण है और इस संबंध में विभाग को एक ठोस कार्यनीति अभी से तैयार कर लेनी चाहिए.
समिति के सदस्यों ने प्लास्टिक के कचरे के निष्पादन की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लोगों ने नदी-नालों को प्लास्टिक कचरे के निष्पादन का जरिया बना रखा है. जिससे जल दूषित होने के साथ पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो रहा है. इस दिशा में संबंधित विभागों को ठोस कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक का प्रयोग करना एक अच्छा विकल्प है.
जल शक्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी ने कहा कि हिमाचल सरकार ने हर घर जल योजना को जुलाई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि देश में यह लक्ष्य 2024 तक निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 17.04 लाख घर है जिनमें से 13.02 घरों में नल में जल की सुविधा प्रदान की जा चुकी है.
प्रदेश के 8,458 गांवों को हर घर जल योजना के तहत कवर कर लिया गया है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में 2.08 लाख घरों को नल में जल प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है. सभी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों को योजना के तहत कवर कर लिया गया है. अमिताभ अवस्थी ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण कार्यनीति योजना के विकास तथा ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समितियों के गठन पर बल दिया गया है. ताकि जलापूर्ति ढांचों के संचालन व रखरखाव में ग्रामीण लोगों की सहभागिता को सुनिश्चित किया जा सके.
गांव में सृजित किए गए जल संसाधनों को संबंधित ग्रामीण समितियों को सौंप दिया जाएगा, ताकि वे विभाग के सहयोग से अपने स्तर पर इनकी देखभाल करें. इसके लिए विभाग द्वारा समितियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है. प्रदेश में भी अब तक पंचायत स्तर पर 3,213 ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन किया जा चुका है, जबकि शेष 402 पंचायतों में इस वित वर्ष के अंत तक गठन करने का लक्ष्य है.
उन्होंने कहा कि अभी तक 16,645 विलेज एक्शन प्लान तैयार किए गए हैं. प्रदेश के सभी घरों में नल लगाना ही लक्ष्य नहीं है, बल्कि प्रत्येक नल में स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है. ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक ऋगवेद मिलिंद ठाकुर ने विभागीय येाजनाओं की प्रस्तुति दी.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एसएस रणधावा ने हिमाचल में ग्लेशियरों की स्थिति पर प्रस्तुति दी. उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि अधिकांश ग्लेशियरों का आकार हर साल घटता जा रहा है. ग्लेशिर पिघलने के कारण निचले क्षेत्रों में छोटी-छोटी झीलों का निर्माण हो रहा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान चिनाब, ब्यास, रावी व सतलुज नदी बेसिन पर 2685 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कुल 1500 ग्लेशियर रिकॉर्ड किए गए हैं. उन्होंने ग्लेशियरों के पिघलने के कारणों की विस्तार से चर्चा की. समिति के सदस्यों ने ऊंचे स्थलों पर ग्लेशियरों के पानी के सदुपयोग की बात कही है.
ये भी पढ़ें- एजुकेशन हब हमीरपुर में सिंथेटिक ड्रग्स की चपेट में आ रही युवा पीढ़ी, छात्र से 8.18 ग्राम चिट्टा बरामद