कुल्लूः ढालपुर स्थित देवसदन में संस्कृत पुस्तकालय बनाने का वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. इस बारे में साल 2010 में भी प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने घोषणा की थी और संस्कृत भाषा पर शोध के लिए 2 करोड़ रुपये देने की बात कही थी, लेकिन यह सभी वादे अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं. जिला भाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त डॉक्टर सीताराम ठाकुर सहित अन्य देव समाज से जुड़े लोगों ने कुल्लू के डीसी यूनुस को इस बारे ज्ञापन सौंपा और प्रदेश सरकार से मांग रखी कि देव कार्यों में अनुसंधान के लिए जल्द से जल्द देव सदन कुल्लू में संस्कृत की लाइब्रेरी का गठन करे.
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डॉ. सीताराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है और यहां पर आज भी सभी कार्य देवी देवताओं की अनुमति से ही शुरू किए जाते हैं, लेकिन कुछ बाहरी प्रभाव के कारण अब इस परंपरा के निर्वहन में मुश्किलें पेश आ रही हैं. ऐसे में जिला कुल्लू कारदार संघ द्वारा भी सरकार से मांग की गई थी कि देव संस्कृति व उसके शोध के लिए संस्कृत की पुस्तकों का होना आवश्यक है और साल 2010 में मुख्यमंत्री ने भी इसकी स्थापना के लिए घोषणा की थी, लेकिन वह आज तक पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में एक बार फिर प्रदेश सरकार से आग्रह किया जाता है कि सरकार ने भी संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया है, तो उसे ध्यान में रखकर जल्द देव सदन में संस्कृत की लाइब्रेरी का गठन किया जाए, ताकि देश विदेश से आने वाले शोधार्थी भी कुल्लू की समृद्ध संस्कृति पर शोध कार्यों को पूरा कर सकें.
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