कुल्लू: जिले की डीसी ऋचा वर्मा की हर तरफ सराहना हो रही है. डीसी ने अपने बेटे का दाखिला शीशामाटी के एक आंगनबाड़ी केंद्र में करवाया है. लोगों का मानना है कि जब अधिकारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ेंगे तो यहां पर व्यवस्था तेजी से सुधरेगी और इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे.
गौरतलब है कि इन दिनों आंगनबाड़ी में बच्चों की संख्या कम होती जा रही है. 50 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में एलकेजी और यूकेजी की पढ़ाई करते हैं. डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा की ये पहल सराहनीय है. इससे न केवल जिला के आंगनबाड़ी में बच्चों की संख्या में इजाफा होगा, बल्कि यह उन लोगों के लिए सीख होगी जो सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी को कम आंकते हैं.
डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा अपने बेटे अजीतेष वर्मा को कुल्लू के शीशामाटी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में भेज रही हैं. प्रशासनिक अधिकारी व सुविधा संपन्न होने के बावजूद उनका ऐसा दृष्टिकोण सबको प्रभावित कर रहा है. इससे पहले वे जब हमीरपुर में तैनात थीं, तब भी अपने बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र में भेजती थी.
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महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा की ये एक सराहनीय पहल है. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है. उनकी देखभाल के लिए आंगनबाड़ी सहायिकाएं अच्छी तरह से करती हैं.
जिला के शिक्षाविद राजेंद्र पालमपुरी सहित बुद्धिजीवी वर्ग छरिंग दोरजे, डॉ. पीडी लाल, कृष्ण संधू समेत कुल्लू जिला की जनता ने उपायुक्त कुल्लू के इस कदम की सराहना की है. उन्होंने कहा कि एक प्रशासनिक महिला अधिकारी के इस कदम के बाद लोगों की सोच में जरूर बदलाव आएगा.
डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा ने बताया कि हमीरपुर में भी अपने कार्यकाल के दौरान बेटे अजीतेष को आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिल करवाया था. आंगनबाड़ी केंद्रों में भी बच्चे काफी कुछ सीखते हैं. इन केंद्रों में बच्चों के विकास के लिए सभी प्रकार की जरूरी सुविधाएं और समग्र वातावरण है. भविष्य में जिला के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाने का प्रयास किया जाएगा.
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