कुल्लू: जिला मुख्यालय से सटी खराहल घाटी के काईस गांव में बुधवार को दियाली बड़े पूरे रिति-रिवाजों व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस अवसर पर लोगों ने अपने घरों से बाहर जलती हुई मशालें निकाली। इसके बाद दियाली पूजन किया गया. दियाली पूजन के लिए विशेष रूप से पारंपरिक पकवान तैयार किए थे.
इस मौके पर गांव के लोगों ने एक-दूसरे को अखरोट और पारंपरिक पकवान भी बांटकर दियाली पर्व की शुभकामनाएं दी. घर के बड़े बुजुर्गों को दूब देकर उनका आशीर्वाद भी लिया गया. दियाली पर तांदला, धारा व काईस के लोगों के बीच विशेष घास की बनी हुई रस्सी के साथ दौड़ आयोजित की गई. ये परंपरा कई सालों से चलती आ रही है. इस परंपरा का निर्वहन आज भी लोग करते आ रहे हैं.
बोले गए अश्लील दोहे
वहीं, दूसरी ओर माता देवी दशमी वारदा की जठाली के सिर पर सींग लगाकर प्राचीन अद्भुत देव परंपरा का निर्वहन किया गया. काईस देव स्थल के समीप अश्लील दोहे बोले गए जो देव परंपरा का एक भाग है. दियाली देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग काईस पहुंचे. यह देव परंपरा पूरी देव रीति-रिवाज से निभाई जाती है.
अश्लील दोहे प्राचीन संस्कृति का हिस्सा
देवी दशमी वारदा के कारदार दोत राम ठाकुर ने कहा कि काईस में इस दौरान जो भी अश्लील दोहे बोले जाते हैं यह प्राचीन संस्कृति का ही हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि पौष महीना काला महीना होने की वजह से आसुरी शक्तियों का प्रभाव ज्यादा होता है. इस कारण 12 महीने और 12 रीतियों के लिए अश्लील दोहे बोले जाते हैं ताकि बुरी शक्तियां दूर रहें.