कुल्लू: जिला कुल्लू में जहां मंगलवार को मौसम साफ रहा तो वहीं, अब बंद सड़कों को बहाल करने की दृष्टि से भी प्रशासन के द्वारा कार्य किया जा रहा है. इसके अलावा मौसम विभाग से मिली चेतावनी के बाद लाहौल व कुल्लू में हिमस्खलन के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए लोगों के मोबाइल फोन पर भी मैसेज भेजे जा रहे हैं, ताकि मौसम साफ होने के बाद हिमस्खलन के खतरे से जनता को अवगत करवाया जा सके.
स्नो एंड एवलांच स्टडी एस्टेबलिशमेंट (सासे) मनाली ने भी मौसम साफ होने पर जगह-जगह हिमस्खलन होने की चेतावनी जारी की है. जिसमें जिला कुल्लू के नेहरूकुंड, कुलंग, पलचान, कोठी, रोहतांग पास, सोलंगनाला, धुंधी, व्यासकुंड, साउथ पोर्टल अटल टनल और बंजार, आनी क्षेत्र के जलोड़ीपास में हिमस्खलन हो सकता है. इसके अलावा जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के कोकसर, सिस्सू, तांदी, दारचा, सरचू, कीरतिंग, छतडू, लोसर, बातल, सुमदो आदि क्षेत्र में भी हिमखंड और ग्लेशियर गिरने की संभावना है. बीते कुछ दिनों पर लाहौल घाटी के विभिन्न इलाकों में भी हिमस्खलन होने की घटनाएं बढ़ी है. हालांकि हिमस्खलन के चलते अभी तक कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन मौसम साफ होने के बाद बर्फीले इलाकों में हिमस्खलन होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो जनवरी के बाद की बर्फ ज्यादा पानी वाली होती है. जिस कारण इसका भार भी ज्यादा होता है, जबकि दिसंबर और नवंबर में होने वाली बर्फबारी हल्की होती है. जिस कारण यह काफी लंबे समय तक पिघलती नहीं है. वहीं, जनवरी के बाद होने वाली बर्फबारी पानी वाली होने के कारण ज्यादा देर तक नहीं ठहर पाती. ऐसे में यह पानी वाली बर्फबारी पुरानी बर्फ के ऊपर ज्यादा भार डालती है, जिससे पहाड़ों से बर्फ के खंड गिरते हैं. जो आगे चलकर बर्फ का भारी मलबा अपने साथ लेकर नीचे की ओर ढहते हैं. इसे बर्फीला तूफान कहा जाता है. जो मैदानी इलाकों में तबाही मचा सकता है.
डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद हिमस्खलन होने का ज्यादा बढ़ जाता है. जिस कारण प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे बर्फीले क्षेत्रों की ओर जाने से परहेज करें. आपदा प्रबंधन के द्वारा भी लोगो को जागरूक किया जा रहा है.
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