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रघुनाथ मन्दिर में मनाया गया अन्नकूट का त्योहार, छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने की पूजा - annakut festival kullu

भगवान रघुनाथ की नगरी रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया. अन्नकूट त्यौहार को गोवर्धन पूजा से भी जाना जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है.

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Published : Nov 16, 2020, 6:31 PM IST

कुल्लू: भगवान रघुनाथ की नगरी रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया.

अन्नकूट त्योहार को गोवर्धन पूजा से भी जाना जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है. इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाड़नुमा ढेर लगाकर उस पर उन्हें विराजमान करवाया जाता है.

वीडियो.

माना जाता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी. उसी तरह कुल्लू में मनाए जाने वाले अन्नकूट त्योहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है.

मान्यता है कि इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशिर्वाद देते हैं. अन्नकूट त्योहार हर वर्ष दिवाली के दूसरे या तीसरे दिन मनाया जाता है, जिसके लिए शास्त्र पद्धति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है.

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है और उसको भगवान के चरणों में अर्पित करते है.

गोवर्धन पूजा द्वापर युग से लेकर चली आ रही है और जब से लेकर कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदार्पण हुआ है, तब से लेकर अन्नकूट का त्यौहार दिवाली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसे गोवर्धन पूजा कहा जाता है. लिहाजा रघुनाथपुर कुल्लू में इस परंपरा का परंपरागत तरीके से निवर्हन किया गया.

पढ़ें: हिमाचल में सरकारी विभाग नहीं चुका रहे बिजली बिल, विभाग ने काटे 1200 क्नेक्शन

कुल्लू: भगवान रघुनाथ की नगरी रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया.

अन्नकूट त्योहार को गोवर्धन पूजा से भी जाना जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है. इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाड़नुमा ढेर लगाकर उस पर उन्हें विराजमान करवाया जाता है.

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माना जाता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी. उसी तरह कुल्लू में मनाए जाने वाले अन्नकूट त्योहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है.

मान्यता है कि इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशिर्वाद देते हैं. अन्नकूट त्योहार हर वर्ष दिवाली के दूसरे या तीसरे दिन मनाया जाता है, जिसके लिए शास्त्र पद्धति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है.

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है और उसको भगवान के चरणों में अर्पित करते है.

गोवर्धन पूजा द्वापर युग से लेकर चली आ रही है और जब से लेकर कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदार्पण हुआ है, तब से लेकर अन्नकूट का त्यौहार दिवाली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसे गोवर्धन पूजा कहा जाता है. लिहाजा रघुनाथपुर कुल्लू में इस परंपरा का परंपरागत तरीके से निवर्हन किया गया.

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