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अब गाय पालने के इच्छुक नहीं ग्रामीण, दशहरा उत्सव में घटा पशु व्यापार - कुल्लू दशहरा उत्सव

कुल्लू दशहरा उत्सव में पिछले सालों के मुकाबले इस बार पशुओं का व्यापार व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा बन गया है. जिससे पशु व्यापारियों को खासे नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Animal trade is decreasing in Dussehra festival
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Published : Oct 11, 2019, 3:50 PM IST

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु का व्यापार अब घाटे का सौदा बन रहा है. सूबे में पावर टीलर और ट्रैकर पशुओं के कारोबार को चौपट कर रहा है. दशहरा उत्सव के दौरान इस बार पशु व्यापारियों को सीधे तौर पर घाटा उठाना पड़ रहा है.

कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु व्यापारियों को उनके पशुओं के खरीददार नहीं मिल रहे हैं. जिससे व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. कुल्लू पहुंचे पशु व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस बार अच्छा खासा व्यापार होने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें पूरी तरह से निराशा हाथ लगी है.

उनका कहना है कि लोग खेतीबाड़ी करने के लिए अब पावर टीलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में पशु व्यापार कम होता जा रहा है. जिससे पशु व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. मंडी, सुंदरनगर से आए हुए पशु व्यापारियों का कहना है कि वह पिछले करीब 25 सालों से कुल्लू दशहरा उत्सव में पशुओं का कारोबार करने रहे हैं, लेकिन इस बार उनका कारोबार पूरी तरह से सिमट कर रह गया है.

वीडियो.

हालांकि दशहरा उत्सव में उन्होंने गाए के दाम काफी गिरा रखे थे, लेकिन फिर भी उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं. इस बार उत्सव के दौरान देसी और जरसी गाए को बेचने के लिए लाया गया था. जिनकी कीमत 10 से 50 हजार रुपये तक रखी गई थी. पशुव्यापारियों की माने तो एक समय था, जब कुल्लू दशहरा उत्सव में 500 गए और 400 बैलों की बिक्री होती थी, लेकिन धीरे धीरे यह कारोबार सिमटता चला गया. जबकि पिछले वर्ष तक भी पशुओं का कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन इस बार यह कारोबार 25 गाए तक ही उतर गया है.

बता दें कि आने वाले सालों में अगर ऐसा ही हाल रहा तो पशु व्यापारी दशहरा में आना बंद कर देंगे और उन्हें भी इस कारोबार को छोड़कर कोई और व्यवसाय करने को मजबूर होना पडे़गा.

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु का व्यापार अब घाटे का सौदा बन रहा है. सूबे में पावर टीलर और ट्रैकर पशुओं के कारोबार को चौपट कर रहा है. दशहरा उत्सव के दौरान इस बार पशु व्यापारियों को सीधे तौर पर घाटा उठाना पड़ रहा है.

कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु व्यापारियों को उनके पशुओं के खरीददार नहीं मिल रहे हैं. जिससे व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. कुल्लू पहुंचे पशु व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस बार अच्छा खासा व्यापार होने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें पूरी तरह से निराशा हाथ लगी है.

उनका कहना है कि लोग खेतीबाड़ी करने के लिए अब पावर टीलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में पशु व्यापार कम होता जा रहा है. जिससे पशु व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. मंडी, सुंदरनगर से आए हुए पशु व्यापारियों का कहना है कि वह पिछले करीब 25 सालों से कुल्लू दशहरा उत्सव में पशुओं का कारोबार करने रहे हैं, लेकिन इस बार उनका कारोबार पूरी तरह से सिमट कर रह गया है.

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हालांकि दशहरा उत्सव में उन्होंने गाए के दाम काफी गिरा रखे थे, लेकिन फिर भी उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं. इस बार उत्सव के दौरान देसी और जरसी गाए को बेचने के लिए लाया गया था. जिनकी कीमत 10 से 50 हजार रुपये तक रखी गई थी. पशुव्यापारियों की माने तो एक समय था, जब कुल्लू दशहरा उत्सव में 500 गए और 400 बैलों की बिक्री होती थी, लेकिन धीरे धीरे यह कारोबार सिमटता चला गया. जबकि पिछले वर्ष तक भी पशुओं का कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन इस बार यह कारोबार 25 गाए तक ही उतर गया है.

बता दें कि आने वाले सालों में अगर ऐसा ही हाल रहा तो पशु व्यापारी दशहरा में आना बंद कर देंगे और उन्हें भी इस कारोबार को छोड़कर कोई और व्यवसाय करने को मजबूर होना पडे़गा.

Intro:दशहरा उत्सव में घट रहा पशु व्यापार
अब गाय पालने के इच्छुक नही ग्रामीणBody:

Kullu
अंतरराष्ट्रीयकुल्लू दशहरा उत्सव में पशु का व्यापार अब घाटे का सौदा बनने लगा है। पावर टीलर और ट्रैकर ने पशुओं के कारोबार को चौपट कर दिया है। इस बार पशु व्यापारियों को सीधे तौर पर घाटा उठाना पड़ रहा है। कुल्लू दशहरा उत्सव में जो पशु व्यापारी कुल्लू पहुंचे हैं उनके पशुओं को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। जिससे व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। कुल्लू पहुंचे पशु व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस बार अच्छा खासा व्यापार होने की उम्मीद थी लेकिन उन्हें पूरी तरह से निराशा मिली है। उनका कहना है कि लोग खेतीबाड़ी करने के लिए अब ट्रैकर पावर टीलर का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे कृषि के लिए बैलों की जगह ट्रैकटरों से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में पशु व्यापार कम होता जा रहा है। इससे पशु व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। मंडी, सुंदरनगर से आए हुए पशु व्यापारियों जगदीश, सोनू ने बताया कि वे पिछले करीब 25 सालों से कुल्लू दशहरा उत्सव में पशुओं का कारोबार करने रहे हैं, लेकिन इस बार उनका कारोबार पूरी तरह से सिमट कर रह गया है। हालांकि दशहरा उत्सव में उन्होंने गाए के दाम काफी गिरा रखे थे, उसके बाद भी खरीददार नहीं मिला है। इस बार देसी और जरसी गाए को बेचने के लाया गया था जिनकी कीमत 10 से 50 हजार रुपए तक रखी गई थी। पशुव्यापारियों की माने तो एक समय था जब कुल्लू दशहरा उत्सव में 500 गए और 400 बैलों की बिक्री होती थी लेकिन धीरे धीरे यह कारोबार सिमटता चला गया। जबकि पिछले वर्ष तक भी पशुओं का कारोबार अच्छा चल रहा था परंतु इस बार यह कारोबार 25 गाए तक ही उतर गया है।
Conclusion:यदि आने वाले सालों में भी ऐसा ही रहा तो पशु व्यापारी दशहरा में आना बंद कर देंगे और उन्हें भी इस कारोबार को छोड़कर कोई और व्यवसाय करने को मजबूर होना पडे़गा।
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