कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु का व्यापार अब घाटे का सौदा बन रहा है. सूबे में पावर टीलर और ट्रैकर पशुओं के कारोबार को चौपट कर रहा है. दशहरा उत्सव के दौरान इस बार पशु व्यापारियों को सीधे तौर पर घाटा उठाना पड़ रहा है.
कुल्लू दशहरा उत्सव में पशु व्यापारियों को उनके पशुओं के खरीददार नहीं मिल रहे हैं. जिससे व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. कुल्लू पहुंचे पशु व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस बार अच्छा खासा व्यापार होने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें पूरी तरह से निराशा हाथ लगी है.
उनका कहना है कि लोग खेतीबाड़ी करने के लिए अब पावर टीलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में पशु व्यापार कम होता जा रहा है. जिससे पशु व्यापारियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. मंडी, सुंदरनगर से आए हुए पशु व्यापारियों का कहना है कि वह पिछले करीब 25 सालों से कुल्लू दशहरा उत्सव में पशुओं का कारोबार करने रहे हैं, लेकिन इस बार उनका कारोबार पूरी तरह से सिमट कर रह गया है.
हालांकि दशहरा उत्सव में उन्होंने गाए के दाम काफी गिरा रखे थे, लेकिन फिर भी उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं. इस बार उत्सव के दौरान देसी और जरसी गाए को बेचने के लिए लाया गया था. जिनकी कीमत 10 से 50 हजार रुपये तक रखी गई थी. पशुव्यापारियों की माने तो एक समय था, जब कुल्लू दशहरा उत्सव में 500 गए और 400 बैलों की बिक्री होती थी, लेकिन धीरे धीरे यह कारोबार सिमटता चला गया. जबकि पिछले वर्ष तक भी पशुओं का कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन इस बार यह कारोबार 25 गाए तक ही उतर गया है.
बता दें कि आने वाले सालों में अगर ऐसा ही हाल रहा तो पशु व्यापारी दशहरा में आना बंद कर देंगे और उन्हें भी इस कारोबार को छोड़कर कोई और व्यवसाय करने को मजबूर होना पडे़गा.