कुल्लू: सनातन धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व इस साल 28 सितंबर को मनाया जाएगा. दरअसल, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. वहीं, 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का भी इसी दिन समापन किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश का भी विसर्जन किया जाता है.
बता दें, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को रात 10:18 से हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 28 सितंबर को शाम 6:49 पर होगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 से शाम 6 बजकर 49 मिनट तक है. वहीं, 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति विसर्जन के लिए तीन मुहूर्त हैं. इस दिन सुबह 6:11 से 7:40 तक पहला, दूसरा सुबह 10:45 से दोपहर 3:10 और शाम के समय तीसरा मुहूर्त 4:41 से रात 9:10 तक है. इस मुहूर्त में कभी भी भक्त भगवान गणपति का विसर्जन कर सकते हैं.
भगवान विष्णु के अनंत रूपों की होती है पूजा: आचार्य दीप कुमार का कहना है की अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा करने के लिए 14 रूप धारण किए थे. इसलिए यह पर्व खास माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है. साथ ही 14 गांठ वाला सूत्र भी कलाई पर बांधा जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भक्त अपने घर की सफाई करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें. वहीं, भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा घर में भगवान विष्णु के प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. आचार्य दीप कुमार का कहना है की भगवान के समक्ष कलश स्थापित करें और कलश में अष्टदल कमल रखे. भगवान विष्णु के समक्ष अनंत रक्षा सूत्र भी रखे और सभी घर में उपस्थित लोगों के हाथों में भी उसे रक्षा सूत्र को बांधे. मान्यता के अनुसार इस रक्षा सूत्र को बढ़ने से भगवान विष्णु स्वयं भक्त की रक्षा करते हैं.
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