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24 अक्टूबर तक शिंकुला पर जारी रहेगा हवाई सर्वे, सुरंग बनने से मनाली-करगिल का रास्ता होगा आसान

लद्दाख की जांस्कर घाटी को हिमाचल से जोड़ने वाले शिंकुला दर्रे में प्रस्तावित सुरंग का एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक जारी है. इस सुरंग का सर्वेक्षण राष्ट्रीय राजमार्ग अधोसंरचना एवं विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरा किया जा रहा है.

Air survey  on Shinkula
शिंकुला टनल हवाई सर्वे
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Published : Oct 21, 2020, 12:12 PM IST

कुल्लू: केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख की जांस्कर घाटी को हिमाचल से जोड़ने वाले शिंकुला दर्रे में प्रस्तावित 13.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (एईएम) सर्वेक्षण जारी रहा. वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने 500 किलो वजनी एंटीना के साथ उड़ान भरी. एंटीना से पहाड़ के 700 मीटर अंदर तक स्कैन किया गया.

शिंकुला सुरंग का सर्वेक्षण राष्ट्रीय राजमार्ग अधोसंरचना एवं विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरा किया जा रहा है. इसमें बीआरओ की कोई भूमिका नहीं है. विशेषज्ञ टीम कई तकनीकी पहलुओं को बारीकी से जांच रही है. शिंकुला सुरंग लाहौल के पटसेऊ से शुरू होगी और लद्दाख की जांस्कर घाटी के कारगे गांव के पास निकलेगी.

सुरंग के बनने से मनाली-करगिल का रास्ता सुगम हो जाएगा. इससे करगिल की दूरी 250 किलोमीटर कम हो जाएगी. इसके बनने से भारतीय सेना किसी भी मौसम में सरहदों तक पहुंच सकेगी. बता दें कि कुछ दिन पहले चिनूक हेलीकॉप्टर उपकरणों के लिए नहीं बल्कि निजी कारणों से बेस कैंप गया था. इससे सर्वेक्षण टला नहीं, निरंतर जारी है. नॉर्वे व गुजरात से इंजीनियर 14 अक्टूबर से पहले केलंग पहुंचकर इस काम में जुटे हैं.

आमतौर पर सर्दियों के दिनों में बर्फबारी के चलते मनाली लेह मार्ग बंद हो जाता है. हालांकि, अटल टनल रोहतांग बनने से लाहौल तक पहुंचना अब आसान हो गया है, लेकिन लेह जाने के लिए शिंकुला सुरंग सेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी.

कुल्लू: केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख की जांस्कर घाटी को हिमाचल से जोड़ने वाले शिंकुला दर्रे में प्रस्तावित 13.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (एईएम) सर्वेक्षण जारी रहा. वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने 500 किलो वजनी एंटीना के साथ उड़ान भरी. एंटीना से पहाड़ के 700 मीटर अंदर तक स्कैन किया गया.

शिंकुला सुरंग का सर्वेक्षण राष्ट्रीय राजमार्ग अधोसंरचना एवं विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरा किया जा रहा है. इसमें बीआरओ की कोई भूमिका नहीं है. विशेषज्ञ टीम कई तकनीकी पहलुओं को बारीकी से जांच रही है. शिंकुला सुरंग लाहौल के पटसेऊ से शुरू होगी और लद्दाख की जांस्कर घाटी के कारगे गांव के पास निकलेगी.

सुरंग के बनने से मनाली-करगिल का रास्ता सुगम हो जाएगा. इससे करगिल की दूरी 250 किलोमीटर कम हो जाएगी. इसके बनने से भारतीय सेना किसी भी मौसम में सरहदों तक पहुंच सकेगी. बता दें कि कुछ दिन पहले चिनूक हेलीकॉप्टर उपकरणों के लिए नहीं बल्कि निजी कारणों से बेस कैंप गया था. इससे सर्वेक्षण टला नहीं, निरंतर जारी है. नॉर्वे व गुजरात से इंजीनियर 14 अक्टूबर से पहले केलंग पहुंचकर इस काम में जुटे हैं.

आमतौर पर सर्दियों के दिनों में बर्फबारी के चलते मनाली लेह मार्ग बंद हो जाता है. हालांकि, अटल टनल रोहतांग बनने से लाहौल तक पहुंचना अब आसान हो गया है, लेकिन लेह जाने के लिए शिंकुला सुरंग सेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी.

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