कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में जहां रोजाना लाखों सैलानी प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लेने के लिए यहां पहुंच रहे हैं तो वहीं, एडवेंचर एक्टिविटी का भी सैलानी यहां पर मजा ले रहे हैं. जिला कुल्लू में भी पैराग्लाइडिंग व राफ्टिंग इन दिनों चरम पर है और सैलानी ब्यास नदी की ठंडी जलधारा में राफ्टिंग का खूब मजा ले रहे हैं. लेकिन, राफ्टिंग के रोमांच के आगे नियम हवा होते नजर आ रहे हैं. बीते 25 दिनों में कुल्लू जिले में राफ्टिंग करते समय दो सैलानियों की मौत हुई है. हादसों के बाद जिला प्रशासन के द्वारा जांच के लिए कमेटी का गठन भी किया गया है. वहीं, एडवेंचर एक्टिविटी के दौरान पेश आ रहे ऐसे हादसों में कहीं ना कहीं नियमों की अनदेखी भी हो रही है.
नियमों पर भारी पड़ रहा रिवर राफ्टिंग का रोमांच: जिला कुल्लू में बबेली से लेकर झिड़ी तक ब्यास नदी में रिवर राफ्टिंग की जाती है. ऐसे में सैलानी राफ्टिंग का मजा लेने से पहले खुद भी इससे जुड़े हुए नियमों की जानकारी ले सकते हैं. हालांकि ऐसी गतिविधि करवाने से पहले एक फार्म पर संचालक के द्वारा पर्यटकों से यह लिखवाया जाता है कि राफ्टिंग के दौरान कुछ भी होने पर इसके लिए खुद जिम्मेदार होंगे. वहीं, सैलानी भी एडवेंचर एक्टिविटी का मजा लेने से पहले सभी नियमों की जानकारी ले सकते हैं, ताकि दुर्घटना से उनका बचाव हो सके और सरकारी नियमों के तहत उन्हें इस बात की जानकारी मिल सके कि वो सुरक्षित राफ्ट में सफर कर रहे हैं या नहीं.
9 साल में 10 सेलानी गवां चुके है जान: जिला कुल्लू के बबेली में रिवर राफ्टिंग के दौरान 25 दिनों के भीतर 2 पर्यटकों की मौत हुई है. दोनों पर्यटक महाराष्ट्र के रहने वाले थे और उसके बाद डीसी कुल्लू के द्वारा मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए गए हैं. जिसका जिम्मा एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला को सौंपा गया है. इस कमेटी में 5 लोग सम्मिलित हैं. रिवर राफ्टिंग के चलते साल 2014 से अब तक 9 सालों में कुल्लू जिला में राफ्ट पलटने से 10 सैलानियों की जान जा चुकी है.
रिवर राफ्टिंग के दौरान बरतें ये सावधानियां: सैलानी संचालक से इस बात का पता कर सकते हैं कि रिवर राफ्टिंग करवाते समय संचालक और पायलट द्वारा सुरक्षा के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं या नहीं. रिवर राफ्टिंग के दौरान रेस्कयू राफ्ट का भी प्रावधान है, ताकि अनहोनी होने पर रेस्क्यू राफ्ट के माध्यम से सैलानियों को पानी से बाहर निकाला जा सके. इसके अलावा राफ्टिंग से पूर्व क्याक चलाना भी जरुरी होता है, ताकि नदी में पानी के स्तर का भी पता चल सके. आपात स्थिति में रिवर राफ्टिंग में हर बड़ा रेस्क्यू बैग, फ्लिप लाइन, रिपेयर किट, फर्स्ट एड किट जैसी जरूरी चीजें होनी चाहिए. रिवर राफ्टिंग शुरू करने से पहले हर व्यक्ति को सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी देना अनिवार्य है और हेलमेट और लाइफ जैकेट पहनना भी जरूरी है.
प्रदेश का सबसे लंबा स्ट्रेच: जिला कुल्लू में बबेली से रामशिला और पिरडी से भुंतर, भुंतर से झिड़ी तक ब्यास नदी में रिवर राफ्टिंग की जाती है. बबेली से झिड़ी तक 25 किलोमीटर के दायरे में रिवर राफ्टिंग की जाती है, जो प्रदेश का सबसे लंबा स्ट्रेच है. यहां पर रिवर राफ्टिंग कारोबार से 5 हजार युवा जुड़े हुए हैं. जिसमें 400 के करीब पंजीकृत राफ्ट हैं, 350 लाइसेंसी गाइड और झीड़ी से लेकर रायसन तक 100 एजेंसियां हैं.
एक्शन मोड में जिला प्रशासन: वहीं, एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला का कहना है कि डीसी के आदेशों के बाद गठित कमेटी के द्वारा अब हादसे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है और जल्द ही यह रिपोर्ट तैयार की डीसी कुल्लू को सौंपी जाएगी. डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया कि एडवेंचर एक्टिविटी राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग में हो रहे हादसों को लेकर पर्यटन विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं. विभाग के द्वारा समय-समय पर ऑपरेटर, पायलट, गाइड और उपकरणों की समय-समय पर जांच की जाती है. वहीं, नियमों का पालन न करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल का सबसे बड़ा रिवर राफ्टिंग स्ट्रैच होगा बबेली से झिड़ी, 30 किलोमीटर पर होगी राफ्टिंग