किन्नौर: बरुआ कंडे में बर्फानी तूफान की चपेट में आने से बेहोश हुए बंगाली ट्रेकर की हालत में सुधार हो रहा है. ट्रेकर का रामपुर के खनेरी चिकित्सालय में इलाज चल रहा है.
बर्फानी तूफान की चपेट में आने से बेसुध हुए ट्रैकिंग दल में शामिल घायल रूपम घोष ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि अगर किन्नौर प्रशासन उन्हें समर पर चौपर से रेस्क्यू नहीं करता तो उनका जिंदा बचना मुश्किल था. जिसके लिए रूपम ने किन्नौर प्रशासन का आभार जताया.
रूपम घोष ने बताया रोहड़ू के जांगलिक से पैदल ट्रैक पर निकलने के बाद बरुआ पास भी उन्होंने आसानी से पार किया. इस दौरान मौसम भी अनुकूल था, लेकिन जोत से रात्रि कैंप की ओर उतरते हुए वे बर्फानी तूफान की चपेट में आ गए. घोष ने बताया वो और उसका साथी तूफान से संघर्ष कर नीचे उतरने का प्रयास तेजी से करने लगे, लेकिन बर्फ तेजी से गिर रही थी. बर्फ अधिक गिरने से पैदल चलने में भी दिक्क्त आ रही थी और ऊपर से अन्धेरा छाने लगा था. घोष ने बताया वो और उन का साथी जिवाशीष महतु काफी देर तक तूफान से जूझते रहे. इसी बीच वो बेहोश हो गया और दूसरे दिन चिकित्सालय में उसे होश आया.
सरकार की ओर से सूचना मिलते ही घोष को बेहोशी की हालत में कैंप से सुबह वायु सेना के चौपर से सांगला पहुंचाया गया. उन्होंने बताया ट्रेकर दल में कुल सात ट्रेकर शामिल थे. रूपम को दूसरे साथी की मौत की जानकारी अब तक नहीं दी गई है.
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू के जांगलिक होते हुए बरुआ जोत पैदल ट्रेकिंग पर निकले दल के 7 सदस्य बर्फानी तूफ़ान में बरुआ जोत पर फंस गए थे. जिसमें से एक ट्रेकर की मौत हुई व एक को बेहोशी की हालत में वायु सेना के चौपर से सांगला पहुंचाया गया था.
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