किन्नौर: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी आज हिंदुस्तान के आखिरी गांव छितकुल पहुंचे. ऐसे में छितकुल गांव के ग्रामीणों ने इनका भव्य स्वागत किया. यहां पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने वाइब्रेंट विलेज छितकुल में विभिन्न निर्माण गतिविधियों का जायजा लिया. बता दें कि केंद्र सरकार ने छितकुल गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत चिन्हित कर रखा है. इसके तहत टूरिज्म को बढ़ावा देने और इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने का काम किया जा रहा है. इसी योजना के अंतर्गत किन्नौर में आखिरी गांव छितकुल में भी विभिन्न गतिविधियां चल रही हैं.
इस दौरान बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने केंद्र सरकार के द्वारा सीमांत ग्रामीण इलाकों में चलाए गए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत छितकुल गांव में सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था को ठीक करने व अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की है तो इसके साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी केंद्रीय मंत्री से छितकुल गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतू पक्की सड़कें, सर्दियों में लोगों को बिजली की सप्लाई, खेल के लिए स्टेडियम, बिजली के लिए मिनी प्रोजेक्ट, सोलर पैनल, सीवरेज लाइन, गांव के मध्य पक्के पैदल मार्ग, सामुदायिक भवन, मंदिर परिसर के आसपास कूड़ेदान, बस स्टैंड, वाहन पार्किंग, इत्यादि की मांगों को पूरा करने की मांग की है.
वहीं, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने भी मुख्यमंत्री व बागवानी मंत्री समेत आम जनमानस को ये आश्वासन दिया कि चीन सीमांत गांव छितकुल में सर्दियों में बर्फबारी की समस्याओं से निपटने के लिए स्नो कटर, बिजली की सप्लाई, पीने के पानी की व्यवस्था, सड़क, बिजली, खेल स्टेडियम व अन्य मांगों को पूरा किया जाएगा. जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा जल्द बजट का प्रावधान किया जाएगा. इससे पहले सुबह के वक्त केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट पहुंचे. यहां पर उनका स्वागत मुख्यमंत्री सुक्खू ने खुद किया. शिमला से दोनों नेता किन्नौर रवाना हुए और आज रात को किन्नौर में ही रुकेंगे.
क्या है वाइब्रेंट विलेज योजना: वाइब्रेंट विलेज योजना का उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों का समग्र विकास करना है. भारत सरकार ने जिन गांवों को चुना है, ये वह गांव हैं जो कि भारत-चीन सीमा पर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में जाने जाते हैं. खास बात यह है कि गांवों में चल रहे बॉर्डर प्रोग्राम्स से इसका कोई लेना देना नहीं है. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम उससे अलग प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट का मुआयना सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधिकारी कर रहे हैं.
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