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रहस्य: क्या किन्नौर के लिप्पा गांव उड़कर पहुंचे थे बौद्ध धर्मगुरु पद्म संभव? हकीकत बताती रिपोर्ट

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Published : Apr 27, 2021, 4:02 PM IST

Updated : Apr 27, 2021, 4:53 PM IST

किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में डा चोंगपा स्थित है. डा चोंगपा एक विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है. ऐसा माना जाता है कि इसी जगह पर बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संभव ने तपस्या की थी. यहां पर उनके शरीर की छाप भी पाई जाती है. गुरु पद्म संभव नालंदा विश्विद्यालय में बौद्ध धर्म के आचार्य भी थे. जब पद्म संभव नालंदा में आचार्य थे, तब उन्होंने बौद्ध धर्म की सभी किताबों को संस्कृत से बोटी तिब्बतियन भाषा में बदल दिया था.

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किन्नौर: ईटीवी भारत की टीम किन्नौर जिले के लिप्पा गांव पहुंची. हमारी टीम ने यहां पर स्थित डा चोंगपा पर जानकारी हासिल की. स्थानीय लोगों से बात करके पता चला कि बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संंभव ने यहां तपस्या की थी. इसी के चलते सालों से यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

शिला पर पद्म संभव के शरीर के निशान

विश्वविख्यात धार्मिक स्थल डा चोंगपा किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में स्थित है. डा चोंगपा से ही लिप्पा गांव की पहचान है. डा चोंगपा उसी जगह पर स्थित है जहां बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संभव ने तपस्या की थी. डा चोंगपा लिप्पा की ऊपरी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर की करीबन 40 फीट बड़ी शिला है. इस शिला पर बौद्ध धर्म के तांत्रिक सिद्धि वाले गुरु पद्म संभव के शरीर के निशान हैं. इन निशानों को देखकर यही लगता है मानो किसी व्यक्ति ने इन्हें उकेरा हो.

वीडियो.

नालंदा विश्विद्यालय में आचार्य थे पद्म संभव

गुरु पद्म संभव नालंदा विश्विद्यालय में बौद्ध धर्म के आचार्य भी थे. जब पद्म संभव नालंदा में आचार्य थे, तब उन्होंने बौद्ध धर्म की सभी किताबों को संस्कृत से बोटी तिब्बतियन भाषा में बदल दिया था. उस समय ही गुरु पद्म तिब्बत की यात्रा भी करते रहते थे. दरअसल मान्यता है कि डा चोंगपा के एक बहुत बड़े चट्टान पर एक महिला ने किसी लाल कपड़े और विकराल शरीर वाले व्यक्ति को उड़कर शिला पर बैठते हुए देखा था. जब चट्टान पर एक व्यक्ति के बैठे हुए निशान मिले तो स्थानीय बौद्ध भिक्षु और देवी-देवताओं से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह साक्ष्य पद्म संभव के हैं.

खुदाई के दौरान मिला एक चमकता दीया

साल 2007 में नेपाल के कुछ व्यक्ति डा चोंगपा की पहाड़ियों पर काम कर थे. काम करने के दौरान जब रात हो जाती तो इस जगह पर कुछ चीज चमकती रहती थी. कुछ दिनों बाद खुदाई के दौरान एक चमकता हुआ दीया यहां मिला. यह दीया किसी धातु से नहीं बल्कि अजीब सी चिकनी मिट्टी का बना हुआ था जो बिल्कुल ठंडा था. नेपाल के उन लोगों ने इस दीये को गुरु पद्म सम्भव का दीया बताया था. गुरु पद्म सम्भव का तिब्बत में भी बहुत बड़ा मंदिर स्थापित है. बौद्ध धर्म गुरु कहते हैं कि तिब्बत में किसी समय असुरों का राज हुआ करता था जिसे गुरु पद्म संभव द्वारा तांत्रिक सिद्धि से खत्म कर वहां के राजाओं को क्षेत्र में राज का मौका दिया था.

ग्रामीणों ने की पर्यटन को सुधारने की मांग

लिप्पा में पद्म संभव के शरीर के निशानों को लेकर कई शोर्धकर्ता भी यहां आते हैं लेकिन फिलहाल यह निशान रहस्य का ही हिस्सा है, जिन्हें धर्म की नजर से गुरु पद्म संभव का साक्ष्य ही माना जाता है. गांव वालों का मानना है कि गुरु पद्म संभव के आशीर्वाद की वजह से ही आज तक गांव में आपदा नहीं आई है. लिप्पा गांव को पर्यटन की नजर से देखें तो यहां पर्यटन विस्तार के बहुत विकल्प नजर आते हैं. इसी के चलते पंचायत प्रतिनिधियों ने गुरु पद्म संभव के धार्मिक स्थल के आसपास के क्षेत्र की सड़कें पक्की करने के साथ ही इस क्षेत्र में पर्यटन को सुधारने की मांग भी की है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल की युवती की नशे की ओवरडोज से अमृतसर में मौत, अपाहिज मां बाप की थी इकलौती बेटी

किन्नौर: ईटीवी भारत की टीम किन्नौर जिले के लिप्पा गांव पहुंची. हमारी टीम ने यहां पर स्थित डा चोंगपा पर जानकारी हासिल की. स्थानीय लोगों से बात करके पता चला कि बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संंभव ने यहां तपस्या की थी. इसी के चलते सालों से यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

शिला पर पद्म संभव के शरीर के निशान

विश्वविख्यात धार्मिक स्थल डा चोंगपा किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में स्थित है. डा चोंगपा से ही लिप्पा गांव की पहचान है. डा चोंगपा उसी जगह पर स्थित है जहां बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संभव ने तपस्या की थी. डा चोंगपा लिप्पा की ऊपरी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर की करीबन 40 फीट बड़ी शिला है. इस शिला पर बौद्ध धर्म के तांत्रिक सिद्धि वाले गुरु पद्म संभव के शरीर के निशान हैं. इन निशानों को देखकर यही लगता है मानो किसी व्यक्ति ने इन्हें उकेरा हो.

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नालंदा विश्विद्यालय में आचार्य थे पद्म संभव

गुरु पद्म संभव नालंदा विश्विद्यालय में बौद्ध धर्म के आचार्य भी थे. जब पद्म संभव नालंदा में आचार्य थे, तब उन्होंने बौद्ध धर्म की सभी किताबों को संस्कृत से बोटी तिब्बतियन भाषा में बदल दिया था. उस समय ही गुरु पद्म तिब्बत की यात्रा भी करते रहते थे. दरअसल मान्यता है कि डा चोंगपा के एक बहुत बड़े चट्टान पर एक महिला ने किसी लाल कपड़े और विकराल शरीर वाले व्यक्ति को उड़कर शिला पर बैठते हुए देखा था. जब चट्टान पर एक व्यक्ति के बैठे हुए निशान मिले तो स्थानीय बौद्ध भिक्षु और देवी-देवताओं से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह साक्ष्य पद्म संभव के हैं.

खुदाई के दौरान मिला एक चमकता दीया

साल 2007 में नेपाल के कुछ व्यक्ति डा चोंगपा की पहाड़ियों पर काम कर थे. काम करने के दौरान जब रात हो जाती तो इस जगह पर कुछ चीज चमकती रहती थी. कुछ दिनों बाद खुदाई के दौरान एक चमकता हुआ दीया यहां मिला. यह दीया किसी धातु से नहीं बल्कि अजीब सी चिकनी मिट्टी का बना हुआ था जो बिल्कुल ठंडा था. नेपाल के उन लोगों ने इस दीये को गुरु पद्म सम्भव का दीया बताया था. गुरु पद्म सम्भव का तिब्बत में भी बहुत बड़ा मंदिर स्थापित है. बौद्ध धर्म गुरु कहते हैं कि तिब्बत में किसी समय असुरों का राज हुआ करता था जिसे गुरु पद्म संभव द्वारा तांत्रिक सिद्धि से खत्म कर वहां के राजाओं को क्षेत्र में राज का मौका दिया था.

ग्रामीणों ने की पर्यटन को सुधारने की मांग

लिप्पा में पद्म संभव के शरीर के निशानों को लेकर कई शोर्धकर्ता भी यहां आते हैं लेकिन फिलहाल यह निशान रहस्य का ही हिस्सा है, जिन्हें धर्म की नजर से गुरु पद्म संभव का साक्ष्य ही माना जाता है. गांव वालों का मानना है कि गुरु पद्म संभव के आशीर्वाद की वजह से ही आज तक गांव में आपदा नहीं आई है. लिप्पा गांव को पर्यटन की नजर से देखें तो यहां पर्यटन विस्तार के बहुत विकल्प नजर आते हैं. इसी के चलते पंचायत प्रतिनिधियों ने गुरु पद्म संभव के धार्मिक स्थल के आसपास के क्षेत्र की सड़कें पक्की करने के साथ ही इस क्षेत्र में पर्यटन को सुधारने की मांग भी की है.

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Last Updated : Apr 27, 2021, 4:53 PM IST
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