किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर एक पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र है, जहां आज भी लोगों को अपने गंतव्यों तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है. जिला में लोगों को कई सुविधाओं का अभाव है. जिला में कई लोग ऐसे हैं जो अपने ग्रामीण क्षेत्र से शहरों की ओर या जिला मुख्यालयों तक जरूरी कार्यों के लिए जाते हैं और आवाजाही के लिए उन्हें बहुत दिक्कतें होती हैं.
बुनियादी सुविधाओं की कमी
जिला में परिवहन निगम की बसों समेत कुछ निजी बस सेवाएं भी हैं. दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से जिला में परिवहन निगम के कर्मचारियों को भी सही सुविधा नहीं मिल पाती. यहां के लोगों को बसों की सेवाएं लेने के लिए समयानुसार मुख्य बस स्टॉप तक आना पड़ता है या सरकार द्वारा बनाये गए वर्षाशालिका, बस स्टॉप तक पहुंचना पड़ता है, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं.
बस स्टैंड पर शौचालयों का अभाव
जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में दो बस स्टैंड हैं, जहां लोगो को बसों में आवाजाही की सुविधा मिलती है, लेकिन इन दोनों बस स्टैंड पर शौचालयों तक की सुविधा नहीं है. ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्टैंड स्टैंड की जगहों पर पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है. वहीं, ग्रामीणों ने प्रशासन से जिला में बस स्टैंड की दशा सुधारने और मूलभूत सुविधाएं जल्द मुहैया करवाने की मांग की है.
मरीजों को भी हो रही परेशानी
मरीजों को अपने इलाज के लिए दूरदराज क्षेत्रों में आवाजाही के लिए बस सेवा की जरूरत होती है. ऐसे में कई बार ग्रामीण अपने क्षेत्रों से पैदल या टैक्सी किराए पर लेकर मुख्य बस स्टैंड तक पहुंचते हैं ताकि बस सेवाओं से वंचित न होना पड़े. बस स्टैंड पर वर्षाशालिका में रात को लाइट की सुविधा भी नहीं है और शेल्टर चारों ओर से खुला हुआ है.
रात के सफर में यात्रियों को दिक्कतें
जिला किन्नौर के सांगला, कल्पा, पोवारी, स्पिलो, टापरी रिकांगपिओ, भावानगर, चौरा, निगुलसारी में कुछ ऐसे बस स्टैंड हैं, जहां पर शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है. लेकिन इन जगहों पर भी 24 घंटे शौचालय खुले नहीं रहते. ऐसे में देर रात सफर करने वाले यात्रियों को परेशानिया आती हैं. जिला में परिवहन निगम के बस चालक और सवारी दोनों ही ऐसी सभी सुविधाओं से वंचित रहते हैं जो सफर के दौरान जरूरी होती हैं.
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