किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर अपनी प्राकृतिक फसलों के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. किन्नौर में ऐसी कई प्राकृतिक फसलें हैं, जो स्थानीय लोगों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. इसमें जीरा, चिलगोजा, जंगली चुल्ली(एप्रिकॉट), शोशोचा, शिंगका शामिल है.
इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक फसल चिलगोजे की है. किन्नौर की प्राकृतिक फसल में चिलगोजे की कीमत सबसे अधिक रहती है. चिलगोजे की कीमत 1 हजार से लेकर 25 सौ रुपये प्रति किलो तक रहती है और सितंबर से अक्टूबर माह तक इसका सीजन चलता है.
रिकांगपिओ में इन दिनों चिलगोजे की मंडी शुरू हो चुकी है. चिलगोजे के दाम भी काफी ऊपर उठ चुके हैं. किन्नौर के कल्पा, निचार खंड के पग्रामङ्ग व पूह खंड के कुछ क्षेत्रों से इन दिनों लोग लगातार अपने चिलगोजे की फसल को निकालकर बेचने के लिए रिकांगपिओ लेकर आ रहे हैं.
इस साल चिलगोजे की फसल अधिक होने के कारण लोगों को बाजार में फसल के भरपूर दाम मिल रहे है. पिछले साल तरह इस साल भी चिलगोजे की कीमत 15 सौ रुपये प्रति किलो है, लेकिन लोग चिलगोजे के इस दाम से भी खुश है. इस साल चिलगोजे की फसल 80 फीसदी अधिक हुई है.
बता दें कि किन्नौर में सेब के अलावा किन्नौर वासियों को चिलगोजे की फसल से अच्छी आय प्राप्त होती है, जिसमें किसी प्रकार के मेहनत की आवश्यकता नहीं होती. यह एक प्राकृतिक फसल है, जिसे लोग साल में एक बार मजदूरों की सहायता से गिराकर बाजार में बेचते हैं.
इस फसल से लोग सालभर के लिए अच्छी आमदनी भी इकट्ठा कर लेते हैं. चिलगोजा एक दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है, जो पूरे विश्वभर के गिने चुने इलाको में पाया जाता है और इंटरनेशनल मार्केट में चिलगोजे की कीमत और मांग खूब रहती है.