किन्नौरः जिला किन्नौर अलावा अन्य जनजातीय क्षेत्रों की समस्याओं, विकासात्मक कार्यों व नए सुझाव को लेकर प्रदेश स्तर पर जनजातीय सलाहाकार परिषद की बैठक वर्ष में 2 बार होती है, लेकिन भाजपा प्रदेश सरकार के कार्यकाल में यह बैठक केवल एक बार हुई है जिसके बाद अब सरकार के 3 वर्ष समाप्त हो गए हैं, लेकिन अब तक यह अहम बैठक नहीं करवाया गया है.
इसके चलते जनजातीय क्षेत्रों के लोगों की समस्याओं को दरकिनार किया जा रहा है. यह बात विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी ने रिकांगपिओ में प्रेसवार्ता के दौरान कही है. विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी का कहना है कि जिला किन्नौर प्रदेश के अन्य जनजातीय क्षेत्रों की समस्याओं, विकासात्मक कार्यों की चर्चा के लिए संवैधानिक बैठक जनजातीय सलाहकार परिषद है जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री हैं, लेकिन सरकार की ओर से भाजपा के दूर बैठक व कार्यक्रम करवाए जा चुके है, लेकिन जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक को दरकिनार किया गया है.
ऐसे में जिला के नोतोड़ जैसे अहम समस्या व कोरोनाकाल में जनजातीय क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को इस अहम बैठक में रखा जाना था परन्तु सरकार की ओर से कोरोना के सामान्य स्थितियों के दौर में बैठक को नहीं रखा गया है जिसके चलते जनजातीय क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को अबतक सरकार की ओर से दरकिनार किया जा रहा है.
जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान कई बड़ी समस्याएं
जगत सिंह नेगी ने कहा कि जिला किन्नौर समेत अन्य जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान कई बड़ी समस्याएं लोगों के सामने आई है जिसे सरकार के समक्ष जनजातीय क्षेत्र के चुने हुए प्रतिनिधियों व जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्यों द्वारा रखा जाता है यदि संवैधानिक बैठक को सरकार की ओर से नहीं करवाया जाना है तो इस परिषद के गठन का कोई औचित्य नहीं दिख रहा है. ऐसे में उन्होंने सरकार से कोरोना की सामान्य स्थिति में इस बैठक को करने की मांग उठाई है, ताकि जनजातीय लोगों की समस्याओं का निदान हो सके.
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