किन्नौर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. किन्नौर की बात करें तो यह इलाका 68 विधानसभा क्षेत्र में आता है. मिशन रिपीट के लिए भाजपा के भीतर टिकट को लेकर खुले तौर पर तो नहीं, लेकिन अंदर ही अंदर दावेदारियों का दौर शुरू हो गया है. किसको विधानसभा का टिकट मिलेगा यह आने वाले समय में भाजपा के (many candidates of bjp in kinnaur) आला नेता तय करेंगे, लेकिन यहां विधायकी को लेकर कई दावेदार कतार में खड़ें है. 129 मतदान केंद्र वाली विधानसभा में कुल 57,728 मतदाता है जिनमें 28,791 पुरुष व 28,937 महिलाएं शामिल हैं. जिले में 80 वर्ष से अधिक आयु के 1123 मतदाता और 908 दिव्यांग मतदाता हैं.
पहले दावेदार तेजवंत सिंह: पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी माने जाते और प्रदेश भाजपा संगठन के अंदर कार्यकारिणी सदस्य होने के अलावा किन्नौर भाजपा संगठन में अनेको पदों पर रहे. इसके अलावा वह जिला परिषद सदस्य भी रहे है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों मे किन्नौर भाजपा में गुटबाजी के चलते तेजवंत सिंह नेगी 120 वोट से कांग्रेस के उम्मीदवार जगत सिंह नेगी से चुनाव हार गए थे. वहीं, प्रदेश सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल मे अब तक उनकी अनदेखी हुई ,लेकिन तेजवंत सिंह नेगी जनता के बीच जाकर लगातार अपना काम करते रहे. लोगों में पकड़ होने चलते उनका नाम भी भाजपा संगठन में सबसे आगे चलने लगा है.
दूसरे दावेदार सूरत नेगी: सूरत नेगी वर्तमान में सरकार के अंदर प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष के पद पर है. उन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का करीबी माना जाता है. बीते साढ़े चार वर्ष में सरकार के कार्यकाल में जिला किन्नौर का जिम्मा उन्हें दिया गया था. सूरत नेगी ने छात्र संगठन के अंदर लंबे समय तक काम किया. भाजपा के जिला अध्यक्ष के पद पर भी रहे पिछले एक दशक से टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन उन्हें अभी तक टिकट नहीं मिला. इस बार वह टिकट की दावेदारी के लिए प्रयासरत है कयास लगाया जा रहे है कि उन्हें टिकट दिया जा सकता है.
तीसरे दावेदार विजय नेगी: विजय नेगी पूर्व जिला परिषद सदस्य रहे और उस समय चुनाव जीता जब प्रदेश व जिले के अंदर विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी का बोलबाला रहा. वर्ष 2015 में उन्होंने तत्कालीन विधायक और प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी के बेटे को जिला परिषद के चुनाव में हराया था. जिसके बाद उनका नाम पूरे क्षेत्र में लोग जानने लगे. उन्होंने जिला परिषद सदस्य के कार्यकाल में कल्पा वार्ड में विकास कार्यों के लिए काम किए. इसके अलावा विजय नेगी जिले सहित प्रदेश के कई पदों पर रहकर काम किया. माना जा रहा है कि उन्हें भी टिकट मिला तो वह चुनाव जीतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.
चौथे दावेदार वियन नेगी: पूर्व भाजपा अध्यक्ष किन्नौर विनय नेगी की संगठन के अंदर पकड़ मजबूत है.वर्तमान में ह प्रदेश सरकार के कॉपरेटिव बैंक डायरेक्टर के रूप मे काम कर रहे है. विनय नेगी भाजपा संगठन के अलावा छात्र राजनीति में भी काम किया है. उन्हें संगठन के अंदर काम करने क़ा अनुभव काफी रहा है.विनय नेगी ने जलविद्युत परियोजनाओं के खिलाफ पगरामंग के अंदर चल रहे विरोध में लोगों के साथ खड़े रहकर अहम भूमिका निभाई थी. उन्हें संघर्षशील नेता के तौर पर जाना जाता है. भाजपा विनय नेगी पर अगर दांव लगा ले तो कोई अचरज नहीं होनी चाहिए.
पांचवें दावेदार नरेंद्र नेगी: नरेंद्र नेगी पूर्व भाजपा किन्नौर संगठन के महामंत्री पद पर रहे हैं. वह किन्नौर के निर्माता के तौर पर पहचान रखने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय ठाकुर सेन नेगी के खानदान से संबंध रखते हैं. इनके ताऊ बलवंत नेगी वर्ष 1963 से 67 तक विधायक किन्नौर रहे. नरेंद्र नेगी ने छात्र संगठन से लेकर भाजपा में काम किया और पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक होने के चलते उसका अनुभव भी मिला. नरेंद्र नेगी की लोकप्रियता उन्हें टिकट की कतार में खड़ा करती है.
छठवें दावेदार राजपाल नेगी: एडवोकेट राजपाल नेगी वर्तमान में निचार ग्राम पंचायत के प्रधान है. पूर्व में भाजपा में महामंत्री रहे है. इसके अलावा वह प्रदेश भाजपा ST मोर्चा के बड़े पद पर भी रहे. राजपाल नेगी ने भाजपा किन्नौर संगठन में काफी लंबे समय तक काम किया और निचार क्षेत्र में उनकी जनता के बीच पकड़ काफी अच्छी है. पंचायती राज चुनावों के आसपास भाजपा ने अचानक उन्हें महामंत्री के पद से हटाया. उसके बाद राजपाल नेगी वर्तमान भाजपा संगठन से नाराज चल रहे,लेकिन लोगों के काम को लेकर वह सजग है. यही बात टिकट को लेकर दावेदारी में उन्हें आगे रखती है.
गुटबाजी का दौर: बता दें कि किन्नौर भाजपा संगठन में लंबे समय से समय-समय पर गुटबाजी सामने आती रही है. पूर्व विधायक किन्नौर तेजवंत सिंह नेगी को सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान अनदेखी करना. शिलान्यास पट्टीकाओं में उनका नाम न होकर सूरत नेगी का नाम होना तेजवंत समर्थकों को काफी चुभ रहा हैं. जानकारों का मानना है कि भाजपा ने किन्नौर में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा तो जीत हासिल की जा सकती है, लेकिन गुटबाजी ने अपना रंग दिखाया तो सीट फिर हाथ से निकल जाएगी.
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