किन्नौर: हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर में लंपी वायरस फैल चुका है. जानकारी देते हुए उपनिदेशक पशुपालन विभाग किन्नौर अशोक कुमार ने बताया कि जिला किन्नौर में पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखने हेतू जिला प्रशासन व पशु विभाग द्वारा प्रभावी कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जिला किन्नौर में लंपी वायरस से बचाव के लिए अब तक 15,200 पशुओं का टीकाकरण किया गया है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के पास लंपी वायरस के रोकथाम के लिए पर्याप्त टीके उपलब्ध हैं और कुल 178 सक्रिय मामलों की तुलना में 4900 टीके संरक्षित हैं. जिला किन्नौर में 397 पशुओं में लंपी वायरस पाया गया, जिनमें से 205 पशु ठीक हो चुके हैं.
उपनिदेशक पशुपालन विभाग किन्नौर अशोक कुमार ने कहा कि लंपी वायरस के रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग के सभी संस्थानों में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जा रही हैं और हफ्ते के भीतर दवाइयों की दूसरी आपूर्ति भी विभाग को प्राप्त हो जाएगी. जिला किन्नौर में पशुओं को लंपी वायरस के बारे में उचित जानकारी उपल्ब्ध करवाने के लिए अन्य विभागों के साथ संयुक्त जागरुकता शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है. उपनिदेशक पशुपालन विभाग किन्नौर अशोक कुमार ने पशुपालकों से पशुओं में बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी पशु औषधालय/पशु चिकित्सालय में संपर्क करने का आग्रह भी किया. उन्होंने कहा कि लंपी वायरस ज्यादातर गाय, भैंस और हिरण को प्रभावित करता है. लंपी वायरस एक वायरल बीमारी है और यह खून पीने वाले कीड़ों, जैसे मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों या कीटों द्वारा फैलता है. इससे बुखार और त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं और मवेशियों की मृत्यु हो सकती है.
लंपी वायरल के लक्षण: लक्षणों में तेज बुखार, दूध उत्पादन में कमी, त्वचा पर गांठें, भूख ना लगना, नाक से स्त्राव बढ़ना और आंखों से पानी आना आदि शामिल हैं. लंपी वायरस से जानवरों को ठीक किया जा सकता है. हालांकि वायरस के कारण ऐेसे जानवरों का दूध भी प्रभावित हो सकता है. लंपी वायरस बीमारी एक नो-जूनोटिक संक्रमण हैं उनका मांस खाने या उनका दूध इस्तेमाल करने से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. संक्रमित मवेशियों के दूध का सेवन करना सुरक्षित है. दूध उबालकर या बिना उबाले पीने पर भी दूध की गुणवत्ता में कोई समस्या नहीं होती है.
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