किन्नौर: जनजातीय क्षेत्र की भूमि को गैर जनजातीय व्यक्तियों को हस्तांतरित करना जनजातीय कानून का उल्लंघन है. प्रदेश में पूर्व की भाजपा सरकार ने ऐसे मामलों पर कोई कार्य नहीं किया. जबकि, प्रदेश में पांच साल उनकी सरकार रही. ये बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया पैनलिस्ट सूर्या बोरस ने मंगलवार को किन्नौर में एक प्रेस वार्ता के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन तो किया, लेकिन काफी देर बाद. वहीं, परिषद की बैठकें भी नियामित तौर पर आयोजित नहीं की गई. पूरे कार्यकाल के दौरान टीएसी की मात्र एक बैठक हुई, जिसमें भी मुख्यमंत्री मीटिंग बीच में छोड़ दिल्ली चले गए थे. उन्होंने कहा कि उस समय के टीएसी सदस्य और भाजपा के नेता सोशल मीडिया पर यह कहते फिरते थे कि जनजातीय क्षेत्र की जमीन किसी गैर जनजातीय को देने का मामला बेठक में उठाया जाएगा. लेकिन पांच साल खत्म हो गए, किसी भी भाजपा नेता ने इस मुद्दे को नहीं उठाया.
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की सरकार बनते ही दो माह के भीतर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने उपायुक्त किन्नौर को जनजातीय क्षेत्र की भूमि गैर जनजातीयों को देने के मामले में छानबीन कर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए है. बोरस ने कहा कि यह मुद्दा जनजातीय क्षेत्र की जमीन से जुड़ा है. मंत्री के इस कदम के लिए किन्नौर की जनता व युवा पीढ़ी ने उनका आभार व्यक्त करते है.
सूर्या बोरस ने कहा कि किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में 3 गैर जनजातीय समुदाय के लोगों ने बैंक के साथ मिलकर जनजातीय भूमि हस्तानांतरण किया है. जिस पर भाजपा पिछले 5 वर्षों में केवल चुप्पी साधे रही और जनजातीय कानूनों की जमकर उल्लंघना हुई. उन्होंने कहा कि जल्द ही उपायुक्त किन्नौर गैर जनजातीय समुदाय भूमि हस्तानांतरण के विषय मे छानबीन कर जनजातियों की भूमि को वापिस करने के लिए काम करेंगे.
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