किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में इस साल कोरोना संक्रमण के चलते भेड़ बकरी वाले गद्दी समुदायों ने अब अपने भेड़ बकरियों को 10 से 15 दिन पूर्व किन्नौर की तरफ लाना शुरू कर दिया है क्योंकि निचले क्षेत्रों में कोरोना महामारी का खतरा भी सता रहा है. ऐसे में गद्दी समुदाय अपने भेड़ बकरियों के झुंड को पैदल सैकड़ों किलोमीटर चलकर किन्नौर की खतरनाक सड़क व पैदल मार्ग से होकर ला रहे हैं.
गद्दी समुदाय पिछले कई दिनों से पैदलचलकर अब किन्नौर प्रवेश कर रहे हैं और अब जिला किन्नौर में भी घास उगने लगी है. जिसके चलते इन गद्दी समुदायों को अपने भेड़ बकरियों के लिए घास की पूर्ति हो जाएगी है.
बता दें कि किन्नौर के सैकड़ों भेड़ बकरी पालन वाले गद्दी समुदाय के लोगों दिसंबर महीने के आसपास जिला किन्नौर से निचले क्षेत्रों की ओर पलायन करते है क्योंकि किन्नौर में दिसंबर के बाद अप्रैल माह तक बर्फभारी से समूचा जिला ढका रहता है. जिससे भेड़ बकरियों को खाने के लिए चारा नहीं मिल पाता है.
ऐसे में सभी गद्दी समुदाय के लोग मंडी, सिरमौर, तत्तापानी, बिलासपुर व दूसरी जगहों पर अपने भेड़ बकरियों के साथ चरागाह की तलाश में चले जाते हैं और जून जुलाई माह तक लंबे सफर खत्म कर किन्नौर की पहाड़ियों में अपने भेड़ बकरियों को घास चरने के लिए वापिस लाते हैं.
जिला किन्नौर में यह भेड़ बकरी के गद्दी अब दिसम्बर माह तक अपने भेड़ बकरियों के साथ जिला के विभिन्न क्षेत्रों में इनके चारे व चरागाह की तलाश में घूमते फिरते रहते हैं. इस साल यदि कोरोना वायरस के संक्रमण इसी तरह लोगों पर प्रभाव डालता रहा तो आगामी दिनों में भेड़ बकरी पालन के क्षेत्र में भी भारी नुकसान हो सकता है और गद्दी समुदाय को कई दिक्कतों से गुजरना पड़ सकता है.
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