किन्नौर: किन्नौर जिले में 22 से 24 अक्टूबर तक कल्पा स्थित टूरिज्म होटल में आयोजित किए जा रहे प्रथम जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव के पहले दिन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने अपने जीवन के अनुभव को सांझा कर उपस्थित लोगों का ज्ञानवर्धन किया. साथ ही संगीत, कला और हिमाचली संस्कृति को प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समा बांधा. इस दौरान पदमश्री विद्यानंद सरैक ने विस्तारपूर्वक हिमाचल की संस्कृति और कला के बारे में जानकारी प्रदान की. उन्होंने सिरमौर जिला के सांस्कृतिक इतिहास से शुरू करते हुए पूरे हिमाचल के जिलों की संस्कृति और कला से उपस्थित जनों को अवगत करवाया.
विद्यानंद सरैक ने कार्यक्रम में आए छात्र,छात्राओं को साहित्य और संस्कृति के प्रति रुचि दिखाने के लिए आनंद का भाव प्रकट करते हुए कहा कि आज के समय में युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध संस्कृति का मूल ज्ञान होना अति आवश्यक है ताकि हम हिमाचल सहित जनजातीय जिलों की समृद्ध प्राचीन संस्कृति को आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित व संवर्धित रख सके. वहीं, प्रोफेसर विद्यासागर नेगी ने किन्नौर जिले के इतिहास और समृद्ध संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने अपने साहित्यिक अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि जिला किन्नौर का अत्यंत प्राचीन और गूढ़ इतिहास है. कैलाश की गोद में बसा जनजातीय जिला किन्नौर अपने नेसंगिक सौंदर्य, देव परंपराओं, सांस्कृतिक विविधताओं और अनूठी संस्कृति से भरपूर है.
विद्यासागर नेगी ने उपस्थित लोगों को जिला किन्नौर की भौगोलिक व सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आने को भी कहा. बता दें कि जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव में प्रदेश और जिला के प्रसिद्ध साहित्यकारों के मध्य एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया. जिसमें साहित्यकारों द्वारा अपने-अपने साहित्य के क्षेत्र से संबंधित विचार रखे गए और एक साहित्यिक वातावरण स्थापित किया गया.
महोत्सव के प्रथम दिन ओडिसी शास्त्रीय नर्तका द्वारा ओडिसी नृत्य भी प्रस्तुत किया गया. वहीं, कवियत्री मेधावी शर्मा द्वारा उपस्थित छात्र, छात्राओं को अध्ययन के महत्व पर भी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई. बता दें, महोत्सव के तीनों दिन आर्ट गैलरी शिमला द्वारा प्रदर्शनी और किन्नौर जिले के स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं.
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