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किन्नौर के यांगपा में फागली मेले का आगाज, ग्रामीणों ने बहरूपिये बन देवताओं को किया खुश - kinnaur news

जनजातीय जिला किन्नौर के निचार खंड के तहत यांगपा गांव में मंगलवार से फागली मेले का आगाज हो गया है. एक तरफ जहां होली को मनाया गया वहीं, यांगपा में अब फागली मेला फसलों के रंग व अच्छी फसल की कामना को लेकर इस मेले को सैकड़ों वर्षों से मनाया जाता है.

fagli fair started in kinnaur
होली के बाद यांगपा में फागली मेले की धूम,
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Published : Mar 10, 2020, 8:49 PM IST

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर के निचार खंड के तहत यांगपा गांव में मंगलवार से फागली मेले का आगाज हो गया है. एक तरफ जहां होली को मनाया गया वहीं, यांगपा में अब फागली मेला फसलों के रंग व अच्छी फसल की कामना को लेकर इस मेले को सैकड़ों वर्षों से मनाया जाता है.

किन्नौर के यांगपा समेत सांगला व कई दूसरे क्षेत्रो में भी आज से फागली मेले को मनाया जा रहा है. जिसका मकसद केवल अच्छी फसल और अब पेड पौधों में आने वाली हरियाली से जुड़ा हुआ है.

वीडयो.

बता दें कि ग्रामीण इस मेले में बहरूपिये बनकर मन्दिर में प्रथम श्रेणी में मेले में जातर लगाते हैं. मान्यताओं अनुसार इन बहरूपिये को देवताओं का गुर माना जाता है. जो अपने क्षेत्र के लिए देवताओं से अच्छी फसल के साथ ग्रामीणों की सुख शांति की मांग करते हैं.

बता दें कि किन्नौर के यांगपा में इस मेले को सबसे खास मेलों में से एक माना जाता है. यह मेला करीब 3 दिन चलता है. जिसमें ग्रामीण गांव से बाहर नहीं जाते हैं. घर के कामकाज छोड़कर अपने परंपराओं के अनुसार मन्दिर के सभी परंपराओं को निभाते हैं और स्थानीय खान-पान और आने वाली फसल के लिए देवताओं को खुश करते हैं.

ये भी पढे़ंः धरोहर: इस इमारत की 1-1 ईंट मुंबई ले जाना चाहते थे शशि कपूर

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर के निचार खंड के तहत यांगपा गांव में मंगलवार से फागली मेले का आगाज हो गया है. एक तरफ जहां होली को मनाया गया वहीं, यांगपा में अब फागली मेला फसलों के रंग व अच्छी फसल की कामना को लेकर इस मेले को सैकड़ों वर्षों से मनाया जाता है.

किन्नौर के यांगपा समेत सांगला व कई दूसरे क्षेत्रो में भी आज से फागली मेले को मनाया जा रहा है. जिसका मकसद केवल अच्छी फसल और अब पेड पौधों में आने वाली हरियाली से जुड़ा हुआ है.

वीडयो.

बता दें कि ग्रामीण इस मेले में बहरूपिये बनकर मन्दिर में प्रथम श्रेणी में मेले में जातर लगाते हैं. मान्यताओं अनुसार इन बहरूपिये को देवताओं का गुर माना जाता है. जो अपने क्षेत्र के लिए देवताओं से अच्छी फसल के साथ ग्रामीणों की सुख शांति की मांग करते हैं.

बता दें कि किन्नौर के यांगपा में इस मेले को सबसे खास मेलों में से एक माना जाता है. यह मेला करीब 3 दिन चलता है. जिसमें ग्रामीण गांव से बाहर नहीं जाते हैं. घर के कामकाज छोड़कर अपने परंपराओं के अनुसार मन्दिर के सभी परंपराओं को निभाते हैं और स्थानीय खान-पान और आने वाली फसल के लिए देवताओं को खुश करते हैं.

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