ETV Bharat / state

अनछुआ हिमाचल: सचमुच धरती का स्वर्ग है छितकुल, यहां स्थित है हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा

ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम 'अनछुआ हिमाचल' में आज हम आपको किन्नौर के सबसे ऊंचे और अंतिम गांव छितकुल की सैर करवाएंगे. 3450 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव में 16 फीट तक बर्फबारी होती है. प्रकृति के सुंदर नजारों से घिरे छितकुल की सैर बेहद रोमांचक मानी जाती है.

author img

By

Published : Oct 5, 2019, 12:16 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 3:17 PM IST

छितकुल का सुंदर नजारा.

किन्नौरः छितकुल गांव का नाम छह कुहलों के पानी के नाम पर पड़ा है. मान्यता है कि हजारों साल पहले इस जगह पर पानी की छह कुहलें बहती थी. बाद में जब जलस्तर कम हुआ तो छह कुहल के मध्य एक गांव बस गया, जिसका नाम छितकुल पड़ा. किनौरी भाषा में छित का मतलब छह और कुल का मतलब पानी की कुहल होता है.

छितकुल गांव में ज्यादातर लोग पारंपरिक मकानों में रहते हैं. छितकुल गांव की इष्ट माता छितकुल देवी है, जिनका मंदिर गांव के मध्य में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 500 साल पहले उतराखंड के गढ़वाल के एक निवासी ने किया था.

chitkul of kinnaur
छितकुल का सुंदर नजारा.

छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति
छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाता है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है.

किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

छितकुल में आकर्षण का केंद्र
छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

वीडियो.

छितकुल में सुविधाओं की कमी
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.

छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

अगर सरकार छितकुल की समस्याओं की ओर ध्यान दे तो यहां पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ-साथ सरकारी खजाने को भी फायदा होगा और छितकुल की खूबसूरती को चार चांद लग जाएंगे. ईटीवी भारत सरकार से छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील करता है.

किन्नौरः छितकुल गांव का नाम छह कुहलों के पानी के नाम पर पड़ा है. मान्यता है कि हजारों साल पहले इस जगह पर पानी की छह कुहलें बहती थी. बाद में जब जलस्तर कम हुआ तो छह कुहल के मध्य एक गांव बस गया, जिसका नाम छितकुल पड़ा. किनौरी भाषा में छित का मतलब छह और कुल का मतलब पानी की कुहल होता है.

छितकुल गांव में ज्यादातर लोग पारंपरिक मकानों में रहते हैं. छितकुल गांव की इष्ट माता छितकुल देवी है, जिनका मंदिर गांव के मध्य में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 500 साल पहले उतराखंड के गढ़वाल के एक निवासी ने किया था.

chitkul of kinnaur
छितकुल का सुंदर नजारा.

छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति
छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाता है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है.

किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

छितकुल में आकर्षण का केंद्र
छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

वीडियो.

छितकुल में सुविधाओं की कमी
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.

छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

अगर सरकार छितकुल की समस्याओं की ओर ध्यान दे तो यहां पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ-साथ सरकारी खजाने को भी फायदा होगा और छितकुल की खूबसूरती को चार चांद लग जाएंगे. ईटीवी भारत सरकार से छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील करता है.

Intro:छह कूहलो के संगम के बाद पड़ा किन्नौर के छितकुल का नाम,3450 मीटर की ऊँचाई पर बसा है छितकुल गाँव,तिब्बत बॉर्डर से सटे छितकुल गाँव मे आते है हज़ारो पर्यटक,हिमाचल के सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में है छितकुल गाँव का नाम,छितकुल में मशहूर है ओगला,फाफड़ा की फसल,कई सुविधाओं से वंचित है आज भी छितकुल गॉव,सर्दियों में सोलह फिट बर्फबारी के बीच करना पड़ता है जीवनयापन।



जनजातीय जिला किन्नौर के सबसे ऊंचे गाँव मे से एक छितकुल गाँव का नाम शुमार है जो सांगला तहसील के तहत आता है छितकुल गाँव बसपा नदी के ठीक ऊपर दाहिने तरफ की ओर बसा हुआ है,सांगला घाटी को टुकपा वेळी भी कहा जाता है जिसका मुख्यद्वार कामरू गाँव से शुरू होता है,छितकुल गाँव को जाने के लिए खतरनाक सड़को से होकर गुजरना पड़ता है,छितकुल गॉव सांगला घाटी की सबसे सुंदर गाव में से एक है,जिसकी ऊंचाई 3450 मीटर है और यहां की इष्ट देवी छितकुल माता देवी है जिनका मन्दिर गाँव के मध्य है और इस मंदिर का निर्माण पांच सौ वर्ष पूर्व गढ़वाल के एक निवासी ने बनाया था छितकुल देवी को स्थानीय लोग माथी देवी भी कहते है,छितकुल में अगस्त महीने के बाद सर्दियां शुरू हो जाती है।




Body:(छितकुल गाँव का नाम)--------छितकुल गाँव का नाम छह पानी के कुहलो के नाम पर पड़ा है हज़ारो वर्ष पूर्व जब छितकुल गाँव इस स्थान पर नही था तो पानी के छह कुहल इस स्थान पर बहते थे बाद में जब जलस्तर कम हुआ तो छह कुहल के मध्य छितकुल गाँव बस गया इसके बाद इसका नाम छितकुल पड़ा किनौरी में छित मतलब छह कुल मतलब पानी का कुहल इन दो शब्दों से मिलकर छितकुल का नाम पड़ा।



(भौगोलिक परिस्थित)------ छितकुल गाँव सांगला वैली से अठारह किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगता गांव है जो चारो तरफ बड़ी बड़ी पहाड़ियों से ढकी हुई है यहां लोगो के पारम्परिक मकान बने हुए है,छितकुल गाँव समतल तल पर बसा हुआ है,और गाव के मध्य अधिकतर भाग पानी है,और अगस्त के बाद लोग घरों में बुखारी जलाना शुरू करते है यहॉ महिलाएँ इकट्ठे होकर सर्दियों का आनंद लेती दिखाई देती है,यहां पर अगस्त के बाद इतनी ठंड होती है कि जब भी इस गाँव मे घूमने जाए तो मोटे वस्त्र पहनकर जाना पड़ता है




(इष्ट देवी)-----------छितकुल गाँव की इष्ट माता छितकुल मिथा देवी है जिनका मंदिर गाँव के मध्य है छितकुल देवी उत्तरखण्ड के गंगोत्री से छितकुल गाँव आई थी छितकुल गाँव मे देवी के आदेशों की कड़ी पालना की जाती है ।


(मुख्य फसल)-----------किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रो की मुख्य फसल सेब है लेकिन छितकुल एक ऐसा गाँव हैं जहां सेब नही होते अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नही होते,यहां की मुख्य फसल ओगला,व फाफड़ा है छितकुल में चौड़े चौड़े खेतो में लहलहाते रंग बिरंगे ओगला,फाफड़ा की फसल देखकर पर्यटकों का मन मोह लेता है,इन दो फसलों पर इनकी आय काफी अच्छी होती है लेकिन बीते दिनों छितकुल देवी ने इन दोनों फसलों को बेचने पर रोक लगाई है जिसका कारण अभी पता नही चला है,दूसरी ओर छितकुल वासियो की आय का साधन बड़े बड़े होटलो के व्यवसाय से है।


(पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण)----------छितकुल गाँव मे प्रतिवर्ष बीस से बाइस हज़ार की तादाद में पर्यटक आते है छितकुल में पर्यटकों के लिए हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा,छितकुल की बड़ी बड़ी पहाड़िया जो बर्फ से ढकी हुई है,बासपा नदी के आसपास पर्यटकों के लिए बने हट्स,छितकुल देवी का मंदिर,स्थानीय ग्रामीणों के सेकड़ो वर्ष पुराने लकड़ी के मकान,राशन भंडारण उरच (स्टोर),ट्रेकिंग पॉइंट,रानी कंडा,बॉर्डर पर आईटीबीपी केम्प,लहलहाते ओगला फाफड़ा के खेत,माता देवी का किला,लालनती स्थल,प्रकृति से सुंदर हरा भरा गाँव, हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा जो आज विश्व मे प्रसिद्ध ढाबो में से एक है हिंदुस्तान के आखिरी ढाबा के बोर्ड के समीप पर्यटकों की लबी लबी लाइन फ़ोटो खीचने के लिए लगे होते है,छितकुल माता देवी के मंदिर व किले में पर्यटक दर्शन के लिए आते है,स्थानीय ग्रामीणों के पुराने लकडी के मकानों में कई दिन गुज़ारकर यहां के माहौल को महसूस कर जाते है और छितकुल के ओगला फाफड़ा के चिलटे खाना नही बुलते,छितकुल के रानी कंडा में पर्यटक प्रकृति के सौंदर्य को निहारने के लिए जाते है,और पहाड़ियों से ट्रेकिंग कर उत्तरकाशी की तरफ निकलते है वही छितकुल में आइस स्केटिंग भी होती है जिसके लिए विश्व से भारी बर्फबारी में भी सांगला से पैदल चलकर मार्च,व अप्रेल महीने में आइस स्केटिंग प्रतियोगिता के लिए भी आते है।



(


Conclusion:समस्याएं)--------छितकुल गाँव की इतनी खूबसूरती होने के बावजूद भी यहां आजतक संचार सुविधा नही है,न ही सड़को की हालत ठीक है न ही सरकार ने इस गाँव के लिए कोई अन्य मूलभूत सुविधाएं दी है। सर्दियों में यहां करीब सोलह फिट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गाँव मे लोग देश दुनिया से कट जाते है प्रशासन की तरफ से भी सड़क खोलने के लिए सर्दियों में मशीनों की कोई व्यवस्था नही होती बॉर्डर एरिया होने के वजह से आईटीबीपी व आर्मी के जवान भी चार महीने के राशन व अन्य सुविधाएं पहले ही लेकर रखते है ताकि सर्दियों में जीवनयापन में दिक्कत न आए,वही सर्दियों में बर्फबारी के बाद यहां पर बिजली महीनों घुल रहती है ऐसे में छितकुल गांव में लोग परेशानी से गुजरते है,इसी तरह छितकुल गाव में संचार सुविधा भी नही है केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है लेकिन वो भी गाँव से काफी दूर जाना पड़ता है तभी मोबाइल उसकी सिग्नल को लेता है,छितकुल गाँव मे आज भी नेट नही चलता वही सर्दियों में लोगो को अपने निजी काम से सांगला करीब अठारह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है।
बता दे कि सर्दियों में बर्फबारी में भी कुछ पर्यटक साहसिक खेलो के लिए छितकुल आते है लेकिन सर्दियों में बर्फबारी के चलते सड़क अवरुद्ध हो जाते है और अधिकतर पर्यटक सड़क सुविधा के अवरुद्ध होने से सांगला से मायूस होकर वापिस चले जाते है,छितकुल में सड़कों पर बर्फबारी हटाने का काम भी प्रशासन नही कर पाता क्यों कि जिला में पीडब्ल्यूडी विभाग के पास कम मशीने और कर्मचारियों की कमी है ऐसे में छितकुल के लोग प्रशासन व सरकार से भी खफा रहते है।



यदि सरकार व जिला प्रशासन छितकुल गाँव की समस्याओं पर ध्यान दे तो छितकुल गाँव के पर्यटन पर निखार आ सकता है।


Last Updated : Oct 5, 2019, 3:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.