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Zoo in Himachal: कांगड़ा के बनखंडी में बनेगा हिमाचल का सबसे बड़ा चिड़ियाघर, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दी मंजूरी, 192 हेक्टेयर क्षेत्र में बनेगा

हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. कांगड़ा जिले के बनखंडी में यह जू बनने जा रहा है. सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने इस चिड़ियाघर बनाने को मंजूरी दे दी है. पढ़ें पूरी खबर... (Zoo in Himachal).

Zoo in Himachal
कांगड़ा के वनखंडी में जू बनाने की सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दी मंजूरी
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Published : Jul 27, 2023, 8:29 PM IST

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक कांगड़ा के वनखंडी में प्रस्तावित चिड़ियाघर बनाने का रास्ता साफ हो गया है. सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने इस चिड़ियाघर बनाने को मंजूरी दे दी है. इसके बाद चिड़ियाघर बनाने का काम शुरू हो जाएगा. कांगड़ा में चिड़ियाघर बनाने से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इससे वन्य प्राणी संरक्षण को भी मदद मिलेगी. ये हिमाचल का सबसे बड़ा चिड़ियाघर होगा.

वनखंडी में चिड़ियाघर स्थापित करने के लिए सेंट्रल जू आथोरिटी ने अपनी मंजूरी दी दी है. यह चिड़ियाघर कांगड़ा के वनखंडी में करीब 192 हेक्टेयर में स्थापित किया जाएगा. कांगड़ा जिले के बनखंडी में बड़ा चिड़ियाघर स्थापित करना कांगड़ा को राज्य की पर्यटन राजधानी बनाने की दिशा में सुखविंदर सिंह सुक्खू की ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. हिमाचल प्रदेश सरकार, वन विभाग वन्यप्राणी प्रभाग के अधिकारियों व वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों ने चिड़ियाघर की स्थापना के लिए मिलकर प्रयास किए थे, जिसके बाद सेंट्रल जू आथोरिटी ने इसको मंजूरी दी है. इस चिड़ियाघर के बनने से पर्यटन को बढ़ावा के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे यहां के समाजिक-आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी.

वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (हॉफ) राजीव कुमार ने कहा है कि सेंट्रल जू आथोरिटी (सी जेड ए) की तकनीकी समिति की बैठक के दौरान इस चिड़ियाघर के प्रस्ताव का गहन मूल्यांकन किया गया. गहन विचार विर्मश और जांच के बाद समिति ने इसको मंजूरी देने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यह चिड़ियाघर, वन्यजीव संरक्षण और वन्यजीवों की जानकारी लोगों को देने में अहम भूमिका निभाएगा.

राजीव कुमार ने कहा कि चिड़ियाघर की प्रस्तावना एक विश्व स्तरीय सुविधा के रूप में की गई है, जिसमें हिमाचल प्रदेश और अन्य क्षेत्रों के मूल वन्यजीवों को रखा जाएगा. यह पर्यटकों के लिए वन्यजीवों से जुड़ने, उनके प्राकृतिक व्यवहारों का निरीक्षण करने और उनके पारिस्थितिक महत्व की गहरी समझ विकसित करने के लिए एक असाधारण सुविधा के रूप में काम करेगा. बड़े चिड़ियाघर की स्थापना का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के महत्व के बारे में लोगों जागरूक करना है. चिड़ियाघर की स्थापना के लिए अब चिड़ियाघर डिजाइनिंग पर विशेषज्ञ समूह द्वारा उल्लेखित आवश्यक शर्तों को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मौजूदा समय में शिमला के कुफरी में चिड़ियाघर है. यहां पर सैलानी तेंदुए, भोलू और अन्य जानवरों को देखने के लिए आते हैं. इसके अलावा, सिरमौर के रेणुका जी में भी एक चिड़ियाघर है. मंडी के रिवालसर, कांगड़ा के पालमपुर में भी एक चिड़ियाघर हैं. हालांकि इनमें जंगली जानवरों की संख्या कम है. कांगड़ा के वनखंडी में बनने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा चिड़ियाघर होगा. जिसमें बड़ी संख्या में जानवरों को रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें- Aadhaar Ration Card Linking: हिमाचल प्रदेश के सभी लोगों के लिए बड़ी खबर, राशन कार्ड से आधार लिंक नहीं करवाया तो हो जाएगा नुकसान

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक कांगड़ा के वनखंडी में प्रस्तावित चिड़ियाघर बनाने का रास्ता साफ हो गया है. सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने इस चिड़ियाघर बनाने को मंजूरी दे दी है. इसके बाद चिड़ियाघर बनाने का काम शुरू हो जाएगा. कांगड़ा में चिड़ियाघर बनाने से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इससे वन्य प्राणी संरक्षण को भी मदद मिलेगी. ये हिमाचल का सबसे बड़ा चिड़ियाघर होगा.

वनखंडी में चिड़ियाघर स्थापित करने के लिए सेंट्रल जू आथोरिटी ने अपनी मंजूरी दी दी है. यह चिड़ियाघर कांगड़ा के वनखंडी में करीब 192 हेक्टेयर में स्थापित किया जाएगा. कांगड़ा जिले के बनखंडी में बड़ा चिड़ियाघर स्थापित करना कांगड़ा को राज्य की पर्यटन राजधानी बनाने की दिशा में सुखविंदर सिंह सुक्खू की ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. हिमाचल प्रदेश सरकार, वन विभाग वन्यप्राणी प्रभाग के अधिकारियों व वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों ने चिड़ियाघर की स्थापना के लिए मिलकर प्रयास किए थे, जिसके बाद सेंट्रल जू आथोरिटी ने इसको मंजूरी दी है. इस चिड़ियाघर के बनने से पर्यटन को बढ़ावा के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे यहां के समाजिक-आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी.

वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (हॉफ) राजीव कुमार ने कहा है कि सेंट्रल जू आथोरिटी (सी जेड ए) की तकनीकी समिति की बैठक के दौरान इस चिड़ियाघर के प्रस्ताव का गहन मूल्यांकन किया गया. गहन विचार विर्मश और जांच के बाद समिति ने इसको मंजूरी देने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यह चिड़ियाघर, वन्यजीव संरक्षण और वन्यजीवों की जानकारी लोगों को देने में अहम भूमिका निभाएगा.

राजीव कुमार ने कहा कि चिड़ियाघर की प्रस्तावना एक विश्व स्तरीय सुविधा के रूप में की गई है, जिसमें हिमाचल प्रदेश और अन्य क्षेत्रों के मूल वन्यजीवों को रखा जाएगा. यह पर्यटकों के लिए वन्यजीवों से जुड़ने, उनके प्राकृतिक व्यवहारों का निरीक्षण करने और उनके पारिस्थितिक महत्व की गहरी समझ विकसित करने के लिए एक असाधारण सुविधा के रूप में काम करेगा. बड़े चिड़ियाघर की स्थापना का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के महत्व के बारे में लोगों जागरूक करना है. चिड़ियाघर की स्थापना के लिए अब चिड़ियाघर डिजाइनिंग पर विशेषज्ञ समूह द्वारा उल्लेखित आवश्यक शर्तों को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मौजूदा समय में शिमला के कुफरी में चिड़ियाघर है. यहां पर सैलानी तेंदुए, भोलू और अन्य जानवरों को देखने के लिए आते हैं. इसके अलावा, सिरमौर के रेणुका जी में भी एक चिड़ियाघर है. मंडी के रिवालसर, कांगड़ा के पालमपुर में भी एक चिड़ियाघर हैं. हालांकि इनमें जंगली जानवरों की संख्या कम है. कांगड़ा के वनखंडी में बनने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा चिड़ियाघर होगा. जिसमें बड़ी संख्या में जानवरों को रखा जाएगा.

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