पालमपुर: बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से कोरोना संकट के समय एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है. उन्होंने पूरे देश को रास्ता दिखाने की कोशिश की है. पूरे देश को उनकी इस सराहनीय पहल को अपने-अपने स्थान पर लागू करना चाहिए.
कोरोना संकट के कारण पूरे देश में हर वर्ग पर आर्थिक मंदी की सबसे बड़ी समस्या होगी. कोरोना संकट लंबा चलेगा. हर परिवार, समाज और सरकारों को आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए बचत के सुनहरी उसूलों को अपनाना होगा. सबके लिए सबसे जरूरी यह मंत्र है कि अब केवल जरूरत और आवश्यकता के अनुसार ही खर्च करना होगा. सुविधा, आराम और शानो शौकत अब एक बहुत बड़ा अपराध और पाप हो जाएगा.
राष्ट्रपति ने 30 प्रतिशत अपने वेतन की कटौती के साथ राष्ट्रपति भवन के खर्च में 20 फीसद की कटौती का फैसला किया है. इससे 45 करोड़ रुपये की बचत होगी. वह अपने लंबे अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि सभी सरकारों में सभी जगह भयंकर फिजूलखर्ची होती है. भयंकर शब्द का प्रयोग जानबूझ कर किया है. अति गरीब देश की सरकारें कई बार नवाबी तरीकों से खर्च करती हैं.
शांता कुमार ने कहा कि मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता. 1977 में सब प्रकार की बचत करके छोटे से हिमाचल में दो साल में 50 करोड़ रुपये की बचत की थी. इस प्रकार कई लाख करोड़ रुपये बचेंगे. भारत सरकार का कुल बजट करीब 30 लाख करोड़ रुपये का है. गैर योजना 25 लाख करोड़ का. इसमें 20 प्रतिशत की बचत करने पर भारत सरकार ही 5 लाख करोड़ की बचत कर सकती है.
हिमाचल सरकार का वार्षिक बजट लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का है. उसमें गैर योजना 40 हजार करोड़ रुपये है. हिमाचल के 20 प्रतिशत की बचत करने पर 8 हजार करोड़ रुपये बचेंगे. इसी तरह पूरे देश की सभी राज्य सरकारें 20 प्रतिशत बचत कर सकती हैं. शांता कुमार ने केंद्र समेत प्रदेश की सरकारों से आग्रह किया है कि वे अपने गैर योजना बजट में कम से कम 20 प्रतिशत की कटौती का फैसला अति शीघ्र करें. इस कदम से देशवासियों को एक बहुत अच्छा संदेश जाएगा.
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