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प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर पर शांता कुमार ने जताई चिंता, सीएम जयराम से किया ये आग्रह

प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर पर पूर्व सीएम शांता कुमार ने जताई चिंता है. उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सभी प्रदेशों से अधिक हुआ है. दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है.

Shanta Kumar concern over state education
राज्य शिक्षा पर शांता कुमार ने जताई चिंता
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Published : Jan 22, 2020, 6:57 PM IST

पालमपुर: प्रदेश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सभी प्रदेशों से अधिक हुआ है. दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है. ये बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद शांता कुमार ने कही है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 21 विश्वविद्यालय, एक जिला में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय ऐसा और कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि पता नहीं पिछली सरकारें किस उद्देश्य से रेबड़ियों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि सीबीआई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही है. इस तरह के बहुत से फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है. विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी अन्य संस्थाओं की हिमाचल प्रदेश में भरमार है. सीबीआई जांच से चकित करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलती रहीं. साथ ही घर बैठे प्रमाण-पत्र मिलते रहे.

पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा कि बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में स्टाफ पूरा नहीं है और न ही बैठने के लिए भवन है. बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेश लेते है. यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ शिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई हैं.

शांता कुमार ने कहा कि इस सबके कारण शिक्षा का स्तर बहुत गिरा है. प्रदेश में 1,194 पटवारियों के पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार थे. उम्मीदवारों में एमए और बीए पढ़े हुए थे, जबकि आवश्यक योग्यता केवल 10वीं थी. 3 लाख उम्मीदवार में से केवल 1,185 पास हुए. उन्होंने कहा कि अगर यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उन में एमए और बीए पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो शिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है. हिमाचल शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई टीजीटी मेडिकल परीक्षा में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए. बोर्ड द्वारा दी गई आठ विषयों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में लगभग 50 हजार छात्रों से केवल 10 हजार ही पास हुए है.

पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा कि एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ शिक्षा के घटिया स्तर से हिमाचल प्रदेश का युवा विफल हो रहा है. पिछली सरकारों ने निहत स्वार्थो के कारण इस तरह बिना सोचे समझे शिक्षा का विस्तार किया. बिना भवन के संस्थाओं की घोषणा कर दी. एक कमरे में कॉलेज खोल दिये. बहुत सी शिक्षा संस्थाओं में अध्यापक पूरे नहीं हैं और न ही अन्य सुविधाएं हैं.

उन्होने कहा कि शिक्षा संस्थाओं के स्तर की जांच के लिए सरकार ने एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई है. उसका अपना ही बुरा हाल है. रेगुलेटरी अथॉरिटी के अध्यक्ष पर कई तरह के आरोप लगते रहते है. उन्होंने कहा कि अथॉरिटी को ही रेगुलेट करने की आवश्यकता है.

शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से विषेश आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण समस्या पर जल्द सरकार कड़ी कार्रवाई करे और अच्छी शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए. साथ ही विवश युवाओं से धन बटोर कर केवल सर्टीफिकेट देने वाले संस्थानों को जल्द बंद किया जाए और दोषियों को सजा दी जाये.

ये भी पढ़ें: अस्पताल प्रशासन की लापरवाही आई सामने, OPD का जनरेटर खराब होने से मरीजों को हुई परेशानी

पालमपुर: प्रदेश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सभी प्रदेशों से अधिक हुआ है. दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है. ये बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद शांता कुमार ने कही है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 21 विश्वविद्यालय, एक जिला में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय ऐसा और कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि पता नहीं पिछली सरकारें किस उद्देश्य से रेबड़ियों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि सीबीआई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही है. इस तरह के बहुत से फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है. विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी अन्य संस्थाओं की हिमाचल प्रदेश में भरमार है. सीबीआई जांच से चकित करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलती रहीं. साथ ही घर बैठे प्रमाण-पत्र मिलते रहे.

पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा कि बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में स्टाफ पूरा नहीं है और न ही बैठने के लिए भवन है. बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेश लेते है. यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ शिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई हैं.

शांता कुमार ने कहा कि इस सबके कारण शिक्षा का स्तर बहुत गिरा है. प्रदेश में 1,194 पटवारियों के पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार थे. उम्मीदवारों में एमए और बीए पढ़े हुए थे, जबकि आवश्यक योग्यता केवल 10वीं थी. 3 लाख उम्मीदवार में से केवल 1,185 पास हुए. उन्होंने कहा कि अगर यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उन में एमए और बीए पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो शिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है. हिमाचल शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई टीजीटी मेडिकल परीक्षा में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए. बोर्ड द्वारा दी गई आठ विषयों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में लगभग 50 हजार छात्रों से केवल 10 हजार ही पास हुए है.

पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा कि एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ शिक्षा के घटिया स्तर से हिमाचल प्रदेश का युवा विफल हो रहा है. पिछली सरकारों ने निहत स्वार्थो के कारण इस तरह बिना सोचे समझे शिक्षा का विस्तार किया. बिना भवन के संस्थाओं की घोषणा कर दी. एक कमरे में कॉलेज खोल दिये. बहुत सी शिक्षा संस्थाओं में अध्यापक पूरे नहीं हैं और न ही अन्य सुविधाएं हैं.

उन्होने कहा कि शिक्षा संस्थाओं के स्तर की जांच के लिए सरकार ने एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई है. उसका अपना ही बुरा हाल है. रेगुलेटरी अथॉरिटी के अध्यक्ष पर कई तरह के आरोप लगते रहते है. उन्होंने कहा कि अथॉरिटी को ही रेगुलेट करने की आवश्यकता है.

शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से विषेश आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण समस्या पर जल्द सरकार कड़ी कार्रवाई करे और अच्छी शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए. साथ ही विवश युवाओं से धन बटोर कर केवल सर्टीफिकेट देने वाले संस्थानों को जल्द बंद किया जाए और दोषियों को सजा दी जाये.

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Intro:पालमपुर--पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद, शान्ता कुमार ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सभी प्रदेशो से अधिक हुआ है। दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है। छोटे से हिमाचल प्रदेश में 21 विश्वविद्यालय एक जिला में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय ऐसा ओर कहीं नहीं है। पता नहीं पिछली सरकारें किस उददेश्य से रेबडि़यों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही।
उन्होने कहा है कि सी.बी.आई. छात्रवृति घोटाले की जांच कर रही है। इस प्रकार के बहुत सी फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है। विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजि अन्य संस्थाओं की हिमाचल प्रदेश में भरमार है। सी.बी. आई. जांच से चकित करने वाले तथ्य सामने आ रहे है। बिना पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलती रही , घर बैठे प्रमाण-पत्र मिलते रहे। बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में न तो स्टाफ पूरा है न बैठने के लिए भवन है। बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेष लेते है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ षिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई है।

Body:शान्ता कुमार ने कहा है कि इस सबके परिणाम स्वरूप शिक्षा का स्तर बहुत गिरा है। प्रदेष में 1194 पटवारियों के पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार थे। उम्मीदवारों में एम0ए0, बी.ए. पढ़े हुए थे। अवशयक योग्यता केवल मैट्रिक थी। परन्तु उन 3 लाख उम्मीदवार मे से केवल 1185 पास हुए। यदि यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उन में एम0ए0, बी0ए0 पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो षिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है। हिमाचल शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई टी.जी.टी. मैडिकल परिक्षा में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए। बोर्ड द्वारा जी गई आठ विशयों की षिक्षक पात्रता परीक्षा में लगभी 50 हजार छात्रों से केवल 10 हजार ही पास हुए है।Conclusion:शान्ता कुमार कहा है कि एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ शिक्षा के घटिया स्तर से हिमाचल प्रदेश का युवा विफल हो रहा है। पिछली सरकारों ने किन्हीं निहत स्वार्थो के कारण इस प्रकार बिना सोचे समझे शिक्षा का विस्तार किया। विना भवन के संस्थाओं की घोशणा कर दी। एक कमरे में कॉलेज खोल दिये। बहुत सी शिक्षा संस्थाएं ऐसी है जहां न अध्यापक पूरे है न और अन्य सुविधाएं।
उन्होने कहा है कि शिक्षा संस्थाओं के स्तर की जांच के लिए सरकार ने एक रेगूलेटरी आथोरिटी बनाई है उसका अपना ही बुरा हाल है। उसके अध्यक्ष पर कई प्रकार के आरोप लगते रहते है। उस आथोरिटी को ही रेगूलेट करने की आवष्यकता है।
शान्ता कुमार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी से विषेश आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण समस्या पर अतिषीघ्र सरकार कड़ी कार्यवाही करे और अच्छी शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए। परन्तु विवश युवाओं से धन बटोर कर केवल सर्टीफिकेट देने वाली दुकानों को अतिशीघ्र बंद किया जाऐ, दोशियों को सजा दी जाये।
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