ज्वालामुखीः मास्क की कमी से निपटने के लिए ज्वालामुखी उपमंडल के चंगर क्षेत्र की टिहरी की पूर्व महिला प्रधान सरिता धीमान ने मास्क बनाने का बीड़ा उठाया है.
सरिता से प्रेरणा लेकर करीब 160 महिलाएं अपने घरों में मास्क तैयार कर रही हैं और घर-घर अपनी पंचायत में मुफ्त बांट रही हैं. महिलाओं ने न सिर्फ अपने घरों में मास्क बनाना शुरू किया है बल्कि वह इसे जरूरतमंदों तक पहुंचा भी रही हैं. साथ ही गरीबों को वह इसे मुफ्त में दे रही हैं.
कोरोना की वजह से सभी जगह मास्क की कमी हो गई है. गरीबों, झोपड़ियों में रहने वालों व मजदूरों को मास्क नहीं मिल पा रहे हैं. कुछ लोग पैसे की कमी की वजह से इसे खरीद ही नहीं पा रहे हैं.
वहीं, चंगर क्षेत्में मेडिकल स्टोर भी नही हैं. इसको देखते जब कर्फ्यू शुरू हुआ तभी से पूर्व महिला प्रधान सरिता धीमान ने अपने घर पर ही सिलाई मशीन से मास्क तैयार करना शुरू किया और लगभग 50 मास्क अपने घरों के आसपास गरीबों व जरूरतमन्दों को वितरित किए.
मास्क बनाने के लिए महिला मंडलों को दी ट्रेनिंग
इसके उपरांत प्रधान ने इस कार्य को गति देने के लिए महिला मंडलों को भी इसमें जोड़ा गया है और उन्हें मास्क बनाने की विधि समझाई गई. फिर महिला मंडलों के साथ मिलकर मास्क तैयार किए और अपने चंगर क्षेत्र की पंचायतों में वितरित करना शुरू किया. इसके बाद महिला प्रधान सरिता ने महिला मंडलों के साथ 7 स्वयं सहायता समूह जोड़े और उन्हें भी मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया.
160 महिलाओं का मिल रहा है सहयोग
आज लगभग 160 महिलाएं पूर्व महिला प्रधान के दिशा निर्देशों पर अपने-अपने घरों पर प्रतिदिन 200 मास्क तैयार कर रही हैं और गरीबों व जरूरतमन्दों को वितरित कर रही हैं.
बिना प्रशासन की मदद से तैयार कर रही हैं मास्क
इस कार्य में उनको सरकार का कोई सहयोग नहीं है और अपने निजी खर्चे पर ही प्रधान यह मास्क तैयार करवा रही हैं. इसमें बुटीक का काम करने वाली कुछ महिलाओं को भी जोड़ा गया है.
मास्क बनाने के साथ बांटने का भी कर रही हैं काम
पूर्व प्रधान सरिता धीमान सुबह शाम बनाए गए मास्क को बस्तियों, पुलिस कर्मियों, पंचायतों में गरीबों को वितरित भी कर रही हैं. इसके लिए यह न तो कोई पैसा ले रही हैं और न ही किसी संस्था से कोई और सहयोग लिया है.
अपने खर्चे पर तैयार कर रही हैं मास्क
अपने स्तर से चंदा लगाकर इसे शुरू किया गया है. पूर्व प्रधान सरिता धीमान कहती हैं कि अब तक सैकड़ों मास्क बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचाएं गए हैं. बाजार में मास्क काफी महंगे हैं और गांव में उनकी उपलब्धता नहीं है.
जरूरतमंदों को बांट चुकी हैं 3000 मास्क
ऐसे में गरीब तबके के लोग इसे खरीद नहीं पाते हैं. इसीलिए उन्होंने इसे बनाने का काम शुरू किया और लगभग 3000 मास्क वितरित कर चुकी हैं.
कपड़े की कमी पूरी हो जाए तो रोजाना हजारों मास्क सकते हैं तैयार
महिलाओं का कहना है कि वह और ज्यादा संख्या में मास्क बना सकती हैं, लेकिन कपड़े की दिक्कत है. कपड़ा आसानी से नहीं मिल पा रहा है. अगर मिल जाए तो रोजाना हजारों मास्क तैयार कर लोगों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
जिला प्रशासन से सहयोग की अपील
इसके लिए जिला प्रशासन से भी सहयोग की अपील की है. महिलाएं कहती हैं कि अगर प्रशासन दुकानें खुलवा कर उन्हें कपड़ा दिलवा दे, तो वह बड़ी संख्या में मास्क तैयार कर सकती हैं.
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