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कोरोना संकट: मनरेगा के सहारे चलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रेल, दूर होगी बेरोजगारी

वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में देश और प्रदेश में लॉकडाउन के चलते अर्थ व्यवस्था की रेल भले हो पटरी से उतरी हो, लेकिन ग्रामीणों की अर्थ व्यवस्था की रेल अब मनरेगा के सहारे पटरी पर फर्राटे भरेगी. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था, जिससे प्रदेश सहित करसोग में अभी कामकाज ठप हो गए थे.

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कोरोना संकट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रेल चलेगी मनरेगा के सहारे.
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Published : Jun 7, 2020, 10:45 AM IST

करसोग/मंडी: वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में देश और प्रदेश में लॉकडाउन के चलते अर्थ व्यवस्था की रेल भले हो पटरी से उतरी हो, लेकिन ग्रामीणों की अर्थ व्यवस्था की रेल अब मनरेगा के सहारे पटरी पर फर्राटे भरेगी.

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था, जिससे प्रदेश सहित करसोग में अभी कामकाज ठप हो गए थे. लॉकडाउन एक और दो में काम धंधे चौपट होने से लोग आर्थिक परेशानी झेलने के लिए मजबूर रहे, लेकिन इस बीच करसोग में ग्रामीणों के लिए मनरेगा जीने का सहारा बनी है.

वीडियो.

विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत 107.66 करोड़ की शेल्फें अप्रूव हुई हैं, जिससे ग्रामीण 9,534 काम कर सकेंगे. ऐसे में आने वाले समय मे कोरोना संकट में छाई आर्थिक मंदी से उभरने के लिए मनरेगा ये काम ग्रामीणों के लिए मददगार साबित होंगे.

करसोग विकासखंड के तहत पड़ने वाली महोग पंचायत के लिए सबसे अधिक 9 करोड़ 40 लाख 81 हजार की शेलफें मंजूर हुई है. इसके तहत पंचायत में लोग विभिन्न तरह के 936 कार्य कर सकेंगे.

हर पंचायत के लिए औसतन 1.99 करोड़ के काम

करसोग विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए 107.66 करोड़ की शेल्फ मंजूर हुई है. उपमंडल के तहत कुल 54 पंचायतें पड़ती है, ऐसे में औसतन हर पंचायत के हिस्से में 1.99 करोड़ आये हैं. मनरेगा के तहत ग्रामीण रेन हार्वेस्टिंग टैंक, भूमि सुधार, कैटल शेड, ट्रेक्टर रोड व रास्ते आदि के काम में रोजगाए प्राप्त कर सकते हैं.

इसके लिए लोगों को काम में लगने के लिए डिमांड भेजनी होगी. करसोग में कर्फ्यू में छूट मिलने के बाद अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह से लेकर अब तक 10 हजार से अधिक लोगों को मनरेगा में रोजगार दिया जा चुका है. बीडीओ करसोग राजेंद्र सिंह तेजटा का कहना है कि करसोग विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष में 107.66 करोड़ की शेल्फ मंजूर हुई है, जिसमें अधिक से अधिक काम करने का प्रयास किया जाएगा.

करसोग/मंडी: वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में देश और प्रदेश में लॉकडाउन के चलते अर्थ व्यवस्था की रेल भले हो पटरी से उतरी हो, लेकिन ग्रामीणों की अर्थ व्यवस्था की रेल अब मनरेगा के सहारे पटरी पर फर्राटे भरेगी.

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था, जिससे प्रदेश सहित करसोग में अभी कामकाज ठप हो गए थे. लॉकडाउन एक और दो में काम धंधे चौपट होने से लोग आर्थिक परेशानी झेलने के लिए मजबूर रहे, लेकिन इस बीच करसोग में ग्रामीणों के लिए मनरेगा जीने का सहारा बनी है.

वीडियो.

विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत 107.66 करोड़ की शेल्फें अप्रूव हुई हैं, जिससे ग्रामीण 9,534 काम कर सकेंगे. ऐसे में आने वाले समय मे कोरोना संकट में छाई आर्थिक मंदी से उभरने के लिए मनरेगा ये काम ग्रामीणों के लिए मददगार साबित होंगे.

करसोग विकासखंड के तहत पड़ने वाली महोग पंचायत के लिए सबसे अधिक 9 करोड़ 40 लाख 81 हजार की शेलफें मंजूर हुई है. इसके तहत पंचायत में लोग विभिन्न तरह के 936 कार्य कर सकेंगे.

हर पंचायत के लिए औसतन 1.99 करोड़ के काम

करसोग विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए 107.66 करोड़ की शेल्फ मंजूर हुई है. उपमंडल के तहत कुल 54 पंचायतें पड़ती है, ऐसे में औसतन हर पंचायत के हिस्से में 1.99 करोड़ आये हैं. मनरेगा के तहत ग्रामीण रेन हार्वेस्टिंग टैंक, भूमि सुधार, कैटल शेड, ट्रेक्टर रोड व रास्ते आदि के काम में रोजगाए प्राप्त कर सकते हैं.

इसके लिए लोगों को काम में लगने के लिए डिमांड भेजनी होगी. करसोग में कर्फ्यू में छूट मिलने के बाद अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह से लेकर अब तक 10 हजार से अधिक लोगों को मनरेगा में रोजगार दिया जा चुका है. बीडीओ करसोग राजेंद्र सिंह तेजटा का कहना है कि करसोग विकासखंड के लिए चालू वित्त वर्ष में 107.66 करोड़ की शेल्फ मंजूर हुई है, जिसमें अधिक से अधिक काम करने का प्रयास किया जाएगा.

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