पालमपुर: कृषि विकास में निरंतरता बनाए रखने के लिए युवा वर्ग को कृषि से जोड़ना होगा. यह बात कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने कृषि महाविद्यालय, पालमपुर में 'कृषि शिक्षा दिवस' के अवसर पर ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता के दौरान कही.
प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने युवाओं से आहवान किया कि वे कृषि व सम्बद्ध विषयों में पढ़ लिखकर देश के विकास में अपना योगदान दें. उन्होंने कहा कि कृषि में शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवा कृषि आधारित उद्यम लगाकर न केवल अपने लिए रोजगार का सृजन कर सकते हैं, बल्कि अन्य लोगों को रोजगार देने में भी सक्षम हो सकते हैं.
कृषि शिक्षा में सुधारों पर भी दिया बल
कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने इस अवसर पर नई शिक्षा नीति पर भी चर्चा की. साथ ही प्रो. चौधरी ने कृषि शिक्षा में सुधारों पर भी बल दिया, ताकि कृषि में आ रही नई चुनौतियों का सामना किया जा सके. उन्होंने स्कूल स्तर पर कृषि शिक्षा को समावेशित करने पर भी बल दिया, ताकि प्रतिभावान छात्रों को कृषि शिक्षा की ओर आकर्षित किया जा सके. इस अवसर पर महाविद्यालय के डीन डॉ. आर.के. कटारिया, कुछ संविधिक अधिकारियों व विभागाध्यक्षों ने भी भाग लिया.
कृषि में शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं के लिए अवसरों की कमी नहीं
इससे पहले प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने गुरुवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय, हिसार द्वारा आयोजित 'कृषि शिक्षा दिवस' के अवसर पर बतौर ‘‘मुख्य अतिथि’’ प्रतिभागियों को ऑनलाइन संबोधित किया. कार्यक्रम के उद्घाट्न के अवसर पर कुलपति प्रो. चौधरी ने कहा कि कृषि में शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं के लिए अवसरों की कमी नहीं हैं.
सबसे अधिक फेलोशिप कृषि शोध के लिए उपलब्ध
प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक फैलोशिप कृषि शोध के लिए उपलब्ध रहती हैं. कुलपति ने कहा कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जहां बेरोजगारी से निपटने के लिए अपार संभावनाएं हैं. आज महिलाएं घर की छत पर पनीरी लगाकर ही लाखों रुपये प्रतिवर्ष कमा रही हैं. उन्होंने कहा कि आज का किसान खेती से संबन्धित उद्यमों-बागवानी, पशुपालन व खाद्य प्रसंस्करण में अपना भविष्य सुरक्षित कर रहा है. वर्तमान समय में कृषि शिक्षा देश के विकास व युवाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. पढ़े लिखे युवा पढ़ लिखकर कृषि में अपना भविष्य देख रहे हैं और कृषि आधारित उद्यम स्थपित कर रहे हैं.