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माता चामुंडा मंदिर में शारदीय नवरात्र शुरू, 51 के बजाय इस साल बैठे 21 पंडित

माता चामुंडा मंदिर में भी नवरात्रि को लेकर पूरी तैयारियां की गई हैं. कोरोना को ध्यान में रखकर मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को एसओपी में दिए गए तमाम नियमों का पालन करना होगा.

Chamunda temple
चामुंडा मंदिर
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Published : Oct 17, 2020, 1:27 PM IST

धर्मशाला: शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं. इसके चलते सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस साल मंदिरों में श्रद्धालु कम हैं.

वहीं, माता चामुंडा मंदिर में भी नवरात्रि को लेकर पूरी तैयारियां की गई है. कोरोना को ध्यान में रखकर मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को एसओपी में दिए गए तमाम नियमों का पालन करना होगा.

वीडियो रिपोर्ट.

एसडीएम धर्मशाला हरीश गज्जू ने कहा कि शरद नवरात्र शुरू हो चुके है. प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारियां की गई हैं. मुख्य प्रवेश पर ही एंट्री की जा रही है. उन्होंने कहा कि जगह जगह सेनिटाइज की व्यवस्था की गई है. साथ ही लोगों में सामाजिक दूरी का पालन भी सुनिश्चित किया जा रहा है.

हरीश गज्जू ने कहा कि कोरोना की वजह से इस बार 21 पंडितों के साथ हवन यज्ञ करवाये जाएंगे. इससे पहले 51 पंडित बिठाए जाते थे, लेकिन एसओपी के नियमों का पालन करते हुए इस बार इसे कम किया गया है.

ये भी पढ़ें: मां शूलिनी के दरबार मे सुबह से लगा श्रद्धालुओं का तांता, नियमों के साथ मंदिरों में हो रहा दर्शन

धर्मशाला: शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं. इसके चलते सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस साल मंदिरों में श्रद्धालु कम हैं.

वहीं, माता चामुंडा मंदिर में भी नवरात्रि को लेकर पूरी तैयारियां की गई है. कोरोना को ध्यान में रखकर मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को एसओपी में दिए गए तमाम नियमों का पालन करना होगा.

वीडियो रिपोर्ट.

एसडीएम धर्मशाला हरीश गज्जू ने कहा कि शरद नवरात्र शुरू हो चुके है. प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारियां की गई हैं. मुख्य प्रवेश पर ही एंट्री की जा रही है. उन्होंने कहा कि जगह जगह सेनिटाइज की व्यवस्था की गई है. साथ ही लोगों में सामाजिक दूरी का पालन भी सुनिश्चित किया जा रहा है.

हरीश गज्जू ने कहा कि कोरोना की वजह से इस बार 21 पंडितों के साथ हवन यज्ञ करवाये जाएंगे. इससे पहले 51 पंडित बिठाए जाते थे, लेकिन एसओपी के नियमों का पालन करते हुए इस बार इसे कम किया गया है.

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