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धर्मशाला उपचुनाव : 24 तारीख जो इंधा बजणा होग...तियां री हुणी मौज! - dharamshala by elections

धर्मशाला बीजेपी में टिकट को लेकर घमासान. लोकल प्रत्याशी की मांग के बाद पलट सकते हैं समीकरण. भाजपा में खींचतान का क्या कांग्रेस को होगा फायदा?

धर्मशाला उपचुनाव
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Published : Sep 26, 2019, 6:04 PM IST

धर्मशालाः उपचुनाव में बीजेपी के टिकट के लिए दावेदारों की खींचतान से शांत धर्मशाला की सियायत में एकाएक भूचाल आ गया है. युवा कार्यकर्ता सम्मेलन में दावेदारी को लेकर हुई नारेबाजी के बाद भाजपा के अंदर के कई समीकरण पलट सकते हैं. प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती के स्थानीय कैंडिडेट देने की बात के बावजूद बाहरी प्रत्याशियों के नाम आलाकमान को भेजे जाने के बाद स्थानीय कैंडिडेट समर्थकों ने खूब बवाल काटा.

dharamshala elections
टिकट ऐलान से पहले ही भाजपा में सियासी घमासान

पहले बता दें कि भाजपा ने धर्मशाला से उमेश दत्त, राजीव भारद्वाज, संजय शर्मा, राकेश शर्मा, सचिन शर्मा, विशाल नेहरिया के नाम संसदीय बोर्ड को भेजे थे, जिनमें उमेश दत्त और राजीव भारद्वाज के नामों पर चर्चा हुई और फैसला हाईकमान पर छोड़ा गया. चूंकि ये दोनों ही कैंडिडेट्स धर्मशाला विधानसभा के स्थानीय नहीं हैं तो लोकल उम्मीदवारों के सर्मथकों में नाराजगी है जो खुलकर लगे नारों से छलकी.

dharamshala elections
युवा मोर्चा के सम्मेलन में टिकट को लेकर हुई नारेबाजी

विधानसभा अध्यक्ष के मंच से उतरते ही सबसे पहले सवाल हुआ कि एक भी नाम एसटी या ओबीसी प्रत्याशी का नहीं भेजा गया, फिर लोकल प्रत्याशी की मांग की गई और यही आवाज फिर नारों में बदली. इसी बीच एसटी प्रत्याशी विशाल नेहरिया जिंदाबाद के नारे लगने लगे. अब जो बात निकली है तो दूर तलक जाएगी, प्रदेश भाजपा ने इस मामले को लेकर रिपोर्ट तलब कर ली है.

dharamshala elections
प्रदेश भाजपा ने मामले की रिपोर्ट तलब की

इस बवाल के बाद विशाल नेहरिया को पार्टी टिकट दे न दे पर उनके समर्थकों की अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जरूर दे सकती है. अब धर्मशाला के धरती पुत्रों सचिन शर्मा और राकेश शर्मा पर क्या पता अब पार्टी विचार कर भी ले, लेकिन खुले मंच पर हुए इस बवाल से भाजपा को नुकसान जरूर होगा. हालांकि ये कोई नई बात नहीं है कि सत्ताधारी दल के टिकट को पाने के लिए पब्लिकली तमाशा हुआ हो.

वहीं उपचुनाव विपक्ष के लिए एक बड़ा मौका होता है और ऐसे वक्त में जब सत्ताधारी दल में अंदरूनी खींचतान की स्थिति है तो छक्का लगाना और आसान हो जाता है. यहां धर्मशाला कांग्रेस का खिलाड़ी पवेलिएन में तैयार तो सबसे पहले था, लेकिन मैच शुरु होने से पहले ही उसके क्रीज पर जाने को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. ऐसे में लोकल कैंडिडेट के समर्थक भाजपा कार्यकर्ता की कही बात '24 तारिख जो इंधा बजणा होग...तियां री हुणी मौज' ( 24 तारीख को हमारा मनेगा शोक... और उन लोगों की होगी मौज ) किसके लिए सच होगी ये कहना मुश्किल है.

धर्मशालाः उपचुनाव में बीजेपी के टिकट के लिए दावेदारों की खींचतान से शांत धर्मशाला की सियायत में एकाएक भूचाल आ गया है. युवा कार्यकर्ता सम्मेलन में दावेदारी को लेकर हुई नारेबाजी के बाद भाजपा के अंदर के कई समीकरण पलट सकते हैं. प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती के स्थानीय कैंडिडेट देने की बात के बावजूद बाहरी प्रत्याशियों के नाम आलाकमान को भेजे जाने के बाद स्थानीय कैंडिडेट समर्थकों ने खूब बवाल काटा.

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टिकट ऐलान से पहले ही भाजपा में सियासी घमासान

पहले बता दें कि भाजपा ने धर्मशाला से उमेश दत्त, राजीव भारद्वाज, संजय शर्मा, राकेश शर्मा, सचिन शर्मा, विशाल नेहरिया के नाम संसदीय बोर्ड को भेजे थे, जिनमें उमेश दत्त और राजीव भारद्वाज के नामों पर चर्चा हुई और फैसला हाईकमान पर छोड़ा गया. चूंकि ये दोनों ही कैंडिडेट्स धर्मशाला विधानसभा के स्थानीय नहीं हैं तो लोकल उम्मीदवारों के सर्मथकों में नाराजगी है जो खुलकर लगे नारों से छलकी.

dharamshala elections
युवा मोर्चा के सम्मेलन में टिकट को लेकर हुई नारेबाजी

विधानसभा अध्यक्ष के मंच से उतरते ही सबसे पहले सवाल हुआ कि एक भी नाम एसटी या ओबीसी प्रत्याशी का नहीं भेजा गया, फिर लोकल प्रत्याशी की मांग की गई और यही आवाज फिर नारों में बदली. इसी बीच एसटी प्रत्याशी विशाल नेहरिया जिंदाबाद के नारे लगने लगे. अब जो बात निकली है तो दूर तलक जाएगी, प्रदेश भाजपा ने इस मामले को लेकर रिपोर्ट तलब कर ली है.

dharamshala elections
प्रदेश भाजपा ने मामले की रिपोर्ट तलब की

इस बवाल के बाद विशाल नेहरिया को पार्टी टिकट दे न दे पर उनके समर्थकों की अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जरूर दे सकती है. अब धर्मशाला के धरती पुत्रों सचिन शर्मा और राकेश शर्मा पर क्या पता अब पार्टी विचार कर भी ले, लेकिन खुले मंच पर हुए इस बवाल से भाजपा को नुकसान जरूर होगा. हालांकि ये कोई नई बात नहीं है कि सत्ताधारी दल के टिकट को पाने के लिए पब्लिकली तमाशा हुआ हो.

वहीं उपचुनाव विपक्ष के लिए एक बड़ा मौका होता है और ऐसे वक्त में जब सत्ताधारी दल में अंदरूनी खींचतान की स्थिति है तो छक्का लगाना और आसान हो जाता है. यहां धर्मशाला कांग्रेस का खिलाड़ी पवेलिएन में तैयार तो सबसे पहले था, लेकिन मैच शुरु होने से पहले ही उसके क्रीज पर जाने को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. ऐसे में लोकल कैंडिडेट के समर्थक भाजपा कार्यकर्ता की कही बात '24 तारिख जो इंधा बजणा होग...तियां री हुणी मौज' ( 24 तारीख को हमारा मनेगा शोक... और उन लोगों की होगी मौज ) किसके लिए सच होगी ये कहना मुश्किल है.

Intro:धर्मशाला- प्रदेश की दो विधानसभा में होने वाले उपचुनाव अब राजनीतिक गर्माहट पकड़ने लग पड़े है और इसका असर केहि ओर नही बल्कि पिछले कल धर्मशाला विधानसभा के युवा मोर्चा समलेन में देखने को मिला जब भाजपा के कार्यकर्ताओ ने जमकर नारे लगाए। नारे भाजपा के पक्ष में नही बल्कि नारे लगे पेराशूटि गो बैक , वी वांट जस्टिस , लोकल चाहिए लोकल पंडाल में जैसे ही नारे गूंजे तो सियायत बदलने लग पड़ी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।


युवा मोर्चा के समलेन में मुख्यातिथि विधानसभा अध्य्क्ष हंसराज समेलन में मौजूद थे और जब नारे लगने शुरू हुए तो वो मंच से उतरे लोगो से बातचीत करना शुरू की लेकिन नारो का शोर  ज्यादा होना शुरू हो गया। युवा की मांग थी कि लोकल को टिकट दी जाए लेकिन विशाल नेहरिया के पक्ष में भी नारे सुनाई दी जोकि उस वक्त के हिसाब से विशाल नेहरिया के लिए अछि खबर नही थी। 





Body:नारों की सियासत क्यों- 


युवा मोर्चा के समेलन हुआ तो यह उपचुनावों के तैयारियों का पहला मौका था लेकिन कार्यक्रम में हुआ इसके विपरीत पार्टी भले ही एक जुट होने का दावा करती हो लेकिन जब नारे लगे कि पेराशूटि गो बैक इस नारे का मतलब यह था कि इस बार धर्मशाला से स्थानीय व्यकित को टिकट दी जाए और बाहरी व्यकित को बाहर किया जाए।


प्रबल दावेदार बाहर से है- 


भाजपा के टिकट के दावेदारों की बात की जाए तो प्रबल दावेदार धर्मशाला विधानसभा के बाहर से ही है। सबसे पहले नाम आता है उमेश दत्त , राजीव भारद्वाज, विशाल नेहरिया, यह वो नाम है जिनका नाम धर्मशाला से टिकट को लेकर चल रहा लेकिन यह बाहरी प्रत्यशी है। 





Conclusion:नारो का असर-


भाजपा के समेलन में नारे लगे तो इसका साफ मतलब यह है कि जो लोग नारे लगा रहे थे वो चाहते थे धर्मशाला से भाजपा जिसे भी टिकट दे वो स्थानीय व्यकित हो और धर्मशाला विधानसभा का रहने वाला हो न कि बाहर का व्यकित हो। वर्तमान सियासत की बात की जाए तो भाजपा में लगे यह नारे केहि भाजपा को भारी न पड़ जाए और यदि ऐसा हुआ तो भाजपा का 20 हजार का जीता का लक्ष्य केहि दूर चला जायेगा। बड़ा सवाल यह भी है कि भाजपा का हाइकामन का इन नारो पर कितना असर पड़ता है लेकिन यह नारे लगे है तो असर भी दिखा सकते है। 

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