कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के फतेहपुर विधानसभा में तीन बार कांग्रेस ने राज किया है. तो वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया ने इस सीट से तीन बार चुनाव लड़ा और जनता ने उन्हें जीत दिलवाई. साल 2019 के उप चुनावों में भी यहां की जनता ने स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को जीत दिलवाई. भाजपा के उम्मीदवार बलदेव ठाकुर को हर का मुंह देखना पड़ा था लेकिन इस मर्तबा इस विधानसभा सीट के चुनावी समीकरण बदल चुके थे क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता कृपाल परमार ने भाजपा का दामन छोड़ आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है. (Fatehpur Assembly Seat) (Political equation of Fatehpur)
वहीं, भाजपा हाई कमान ने भी कृपाल परमार को दरकिनार कर नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया को फतेहपुर से टिकट दे दिया. इस बात से नाराज कृपाल परमार ने आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का मन बनाया. हालांकि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृपाल परमार को फोन कर चुनाव न लड़ने की बात कही, लेकिन भाजपा पार्टी से बागी हो चुके कृपाल परमार ने मोदी के इस ऑफर को ठुकरा कर आजाद प्रत्याक्षी के रूप में चुनाव लड़ा. (himachal assembly elections 2022)
बात अगर कांग्रेस के उम्मीदवार भवानी पठानिया की कि जाए तो उप चुनावों में भी उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार बलदेव ठाकुर को हरा कर जीत दर्ज की थी. वहीं, इस बार भी भवानी पठानिया के जीत के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योकि भाजपा पार्टी के अंदर इस मर्तबा अंतरकलह ने अपना डेरा जमाए हुआ था.
वहीं, नूरपुर से ट्रांसफर होकर फतेहपुर पहुंचे राकेश पठानिया ने चुनावों के दौरान इस विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार तो खूब किया है, लेकिन इस सीट की हमेशा से यह खासियत रही है कि इस सीट पर किसी भी बाहरी व्यक्ति ने जीत दर्ज नही की है. ऐसे में अब यह देखना रोचक होगा कि भाजपा हाई कमान ने जो ट्रांसफर की है, उसका कितना फायदा भाजपा को मिलता है.
कृपाल परमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी: बात अगर भाजपा से बागी हुए कृपाल परमार की करें तो ऐसा माना जा रहा है कि राजनीति में माहिर कृपाल परमार ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजन सुशांत के साथ हाथ मिलाकर राकेश पठानिया को हराने की बिसात बिछा दी थी. इस दौरान राकेश पठानिया के खिलाफ क्षेत्र में कई पोस्टर भी लगाए गए लेकिन यह पोस्टर किसने और क्यों लगवाए यह कहना उचित नहीं होगा. कृपाल परमार इस विधानसभा सीट से एक बार राज्य सभा सांसद भी रह चुके है.
वहीं, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजन सुशांत ने भी इस विधानसभा सीट से AAP के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है. इससे पहले भाजपा पार्टी में रहते हुए राजन सुशांत राज्य सभा सांसद भी रह चुके है. राजन सुशांत ने भी अपना चुनाव प्रचार खूब जोर शोर से किया है.
फतेहपुर सीट पर मतदान: साल 2017 के विधानसभा के चुनावों में यहां की जनता ने 71.15 फीसदी मतदान किया था, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र की जनता ने 70.88 प्रतिशत ही मतदान किया है. इसमें 29,607 पुरुष व 33,254 महिलाओं ने अपने मत अधिकार का प्रयोग किया है.
फतेहपुर के मुद्दे: फतेहपुर में सबसे बड़ा मुद्दा पौंग डैम बनने से प्रभावित हुए लोगों का है, जिन्हें आज भी सरकार की ओर से आश्वासनों के सिवा और कुछ नहीं मिला है. लेकिन बात अगर भाजपा या कांग्रेस की करें तो दोनों ही पार्टियों के नुमाइंदों ने इन लोगों के जख्मों पर मलहम तो नहीं लगाया लेकिन राजनीतिक रोटियां सेंकने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी.
फतेहपुर के मुद्दे में प्रचार: राकेश पठानिया के सर्मथन में चुनाव प्रचार करने पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यहां के लोगों से राकेश पठानिया के पक्ष में मतदान करने की अपील की. वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार भवानी पठानिया ने एक सरल तरीके से अपना चुनाव प्रचार किया.
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