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नुरपूर के कई गांव आजादी के बाद भी सड़क सुविधा से महरूम, सरकार से गुहार लगा कर थके ग्रामीण

ग्रामिणों की मानें तो कई सरकारें आई और कई गई. जो भी सरकार आई उसने सड़क बनाने का आश्वासन तो दिया लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया. सड़क सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को रोजाना कई किमी पैदल सफर तय करना पड़ता है.

नुरपूर में कई गांव आजादी के बाद भी सड़क सुविधा से महरूम
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Published : Aug 23, 2019, 3:07 PM IST

कांगड़ा: नुरपूर के डमोह, हनेरा, वासा गांव के लोग आजादी के बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. इसकी वजह से ग्रामीणों को रोजाना कई किमी पैदल सफर तय करना पड़ता है.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार विकास के नाम का दावा तो बहुत करती है, लेकिन धरातल पर कोई नहीं उतरता. ग्रामीणों की माने तो कई सरकारें आई और कई गई. जो भी सरकार आई उसने सड़क बनाने का आश्वासन तो दिया लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया.

वीडियो

बता दें कि बारिश के दौरान यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों की माने तो कई लोग सड़क ना होने के कारण अपनी जान भी गंवा चुके है. लोगों ने 25 वर्ष पहले चुनावों का बहिष्कार किया था. इनका कहना है कि सड़क सुविधा नहीं मिली तो वो फिर से चुनावों का बहिष्कार करेंगे.

ये भी पढ़ें: नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी, 2 किलो 630 ग्राम चरस के साथ दंपति गिरफ्तार

जिला परिषद सस्द्य उदय पठानिया ने कहा कि गांव में लगभग दो हजार के करीब लोग रहते है जिन्हें आज तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांग पूरी करने की अपील की है.

कांगड़ा: नुरपूर के डमोह, हनेरा, वासा गांव के लोग आजादी के बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. इसकी वजह से ग्रामीणों को रोजाना कई किमी पैदल सफर तय करना पड़ता है.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार विकास के नाम का दावा तो बहुत करती है, लेकिन धरातल पर कोई नहीं उतरता. ग्रामीणों की माने तो कई सरकारें आई और कई गई. जो भी सरकार आई उसने सड़क बनाने का आश्वासन तो दिया लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया.

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बता दें कि बारिश के दौरान यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों की माने तो कई लोग सड़क ना होने के कारण अपनी जान भी गंवा चुके है. लोगों ने 25 वर्ष पहले चुनावों का बहिष्कार किया था. इनका कहना है कि सड़क सुविधा नहीं मिली तो वो फिर से चुनावों का बहिष्कार करेंगे.

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जिला परिषद सस्द्य उदय पठानिया ने कहा कि गांव में लगभग दो हजार के करीब लोग रहते है जिन्हें आज तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांग पूरी करने की अपील की है.

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सरकारें विकास के नाम का दावा तो बहुत करती है और केंद्र सरकार का भी नारा है कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचना चाहिए लेकिन यथार्थ में यह बातें सही चरितार्थ होती नहीं दिखती|ऐसा ही वाकया देखने को मिल रहा है कुलाह्न-भुगनाडा पंचायत के गांव डमोह, हनेरा,वासा व खेल गांव का|यह आम जनता आज तक सड़क सुबिधा से महरूम है|इनकी माने तो कई सरकारें आई और कई गई|जो भी सरकार आई उसने सड़क बनाने का आश्वासन तो दिया लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया|यही कारण है कि उनके गांवों में सड़क पहुँचने का सपना आज तक सपना ही बनकर रह गया है|सात दशक के बाद भी जहाँ पूरे देश ने इस महीने आजादी का जश्न मनाया वहीँ यह लोग जो आज भी सड़क सुबिधा से महरूम है उनके लेकिये आजादी के कोई मायने नहीं रह जाते|आज भी बारिश के दौरान जब खड्ड अपना विकराल रूप धारण करती है तो जहाँ के बाशिंदे पूरी तरह भगवान् के भरोसे पर हो जाते है|स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र मन मसोसकर कर घर पर रहने के लिए मजबूर हो जाते है|यही नहीं अगर कहीं गांव में किसी परिवार पर आपात स्थिति बन जाए तो सड़क सुबिधा से महरूम जनता स्वास्थ्य सुबिधा नहीं ले सकती|स्थानीय लोगों की माने तो कई लोग सड़क ना होने के कारण अपनी जान भी गंवा चुके है|इन्होने आज से पच्चीस वर्ष पहले चुनावों का बहिष्कार किया था और इनकी माने तो भविष्य में भी अगर उन्हें सड़क सुबिधा नहीं मिली तो वो फिर से चुनावों का बहिष्कार करेंगे|
इस क्षेत्र से जिला परिषद सस्द्य उदय पठानिया का कहना है राजनितिक पार्टियों ने इन गांव वासियों को आज तक ठगा है|उनका कहना है कि २०१४ में लोकनिर्माण विभाग ने इस गांव के लिए पुल निर्माण का सर्वे तो किया लेकिन वो आज तक कागजों में ही रह गया|उनका कहना है कि मुख्य सड़क से इस गांव तक 6.5 किलोमीटर तक सड़क निर्माण होगा जिसमें 3.5किलो की भूमि वन विभाग की आती है लेकिन वनविभाग और लोक निर्माण विभाग के सुस्त रवैये के कारण इन लोगों को आज तक सड़क नसीब नहीं पाई| गांव में है लगभग तीन सौ घर,ओर लगभग दो हज़ार के करीब आवादी है।जो आज तक सड़क की बात जोह रही है|
बाईट_उदय पठानिया,जिला परिषद
बाईट_स्थानीय निवासी|
Conclusion:
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