ज्वालामुखी/ कांगड़ा: उपमंडल ज्वालामुखी के तहत आने वाले खुंडिया तहसील निवासी एक गर्भवती महिला के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है. पीड़िता का आरोप है कि सिविल अस्पताल में डॉक्टर द्वारा लिखे जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड नहीं किया गया और उसके साथ बदसलूकी हुआ है. पीड़िता ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1100 पर ज्वालामुखी के अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर अनिल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है.
पीड़िता ने बताया कि इन दिनों वो अपने मायके आई हुई थी, इसी बीच बुधवार को उसे अचानक पेट में तेज दर्द हुआ, जिसके चलते उसकी मां और भाई उसे दिखाने के लिए ज्वालामुखी अस्पताल लेकर गए, जहां पर ड्यूटी पर तैनात अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर पवन ने उसका चेकअप किया और अल्ट्रासाउंड करवाने की बात कही. वहीं, जब उसके परिजन अल्ट्रासाउंड करवाने गए तो डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड करने के लिए साफ मना कर दिया और जबाब दिया की अभी उसे गर्भधारण किए हुए 4 महीने हुए हैं और अल्ट्रासाउंड 5वें महीने में होगा.
पीड़िता ने बताया कि इसके बाद अपने घर चले आए, लेकिन शनिवार को अचानक तबीयत खराब होने के कारण उन्हें वापस चेकअप के लिए ज्वालामुखी अस्पताल आना पड़ा. अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर अनिल ने उसके परिजनों से चिल्लाकर बात की और अल्ट्रासाउंड रुम का ताला लगाकर बाहर निकल गए. हालांकि परिजनों ने जबरदस्ती उन्हें पकड़कर अल्ट्रासाउंड करने को कहा, इस दौरान डॉक्टर उसे भला-बुरा कहने लगा.
पीड़िता के भाई ने बताया कि उनकी बहन की हालत इतनी खराब थी कि शनिवार को उसे अस्पताल में ही भर्ती करवाना पड़ा, जहां से उसे टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. उन्होंने कहा कि अस्पताल की इतनी बुरी हालत है कि रात को 2 बजे लाइट जाने के बाद सुबह तक अस्पताल में मौजूद मरीज भारी गर्मी के बीच रहने को मजबूर है. धर्मशाला सीएमओ डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि इस तरह का मामला उनके पास अभी तक नहीं आया है. वहीं, अगर पीड़ित महिला द्वारा कोई लिखित शिकायत की जाती है तो सबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी.
ज्वालामुखी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर पवन ने बताया कि ये महिला गर्भवती है और पेट मे तेज दर्द होने के कारण इलाज करवाने के लिए अस्पताल आई थी. उन्होंने बताया कि महिला का अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी था, इसलिए अल्ट्रासाउंड फॉर्म भरकर उसे भेज दिया गया था.
अस्पताल के अल्ट्रासाउंड डॉक्टर अनिल ने बताया कि महिला का अल्ट्रासाउंड करने के लिए डॉक्टर द्वारा लिखी पर्ची उनके पास आई थी, जिससे उन्हें 5वें महीने में अल्ट्रासाउंड करवाने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि महिला के शरीर से अत्यधिक रक्त स्त्राव होने के कारण उसका आपातकाल में अल्ट्रासाउंड करना पड़ा. वहीं, परिजनों द्वारा लगाए जा रहे आरोप गलत हैं.
ये भी पढ़ें: IGMC के प्रिंसिपल समेत सर्जिकल यूनिट 4 की पूरी टीम क्वारंटाइन, CMO शिमला ने दी जानकारी