शिमला: प्रदेश के किसानों और बागवानों की समस्या को हल करने के लिए उद्योग विभाग जिला मंडी और कांगड़ा में मिनी फूड पार्क की संभावनाओं का पता लगा रहा है. एक मिनी फूड पार्क के लिए कम से कम 100 बीघा जमीन की आवश्यकता पड़ेगी.
अगर इन दोनों जिलों में उपयुक्त स्थान पर 100 बीघा जमीन मिल जाती है. तो प्रदेश के किसानों को कोल्ड स्टोर की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से भी 10-10 करोड़ रुपए देने की बात कही गई है.
पार्क खुलने से मिलेंगी कई सुविधाएं
अभी तक प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर में ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट हैं. यह पहला मौका होगा जब प्रदेश सरकार सरकारी क्षेत्र में मिनी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स या मिनी फूड पार्क खुलेगी. अगर प्रदेश में यह मिनी फूड पार्क हो जाते हैं तो किसानों और बागवानों को एक ही स्थान पर प्रोसेसिंग यूनिट के अलावा कोल्ड स्टोर ग्रेडिंग और पैकिंग मशीनों के साथ कई सारी सुविधाएं मिलेंगी.
केंद्र सरकार से मिलेगी मदद
उद्योग विभाग प्रधान मंत्री कृषि संपदा योजना के तहत यह मिनी फूड पार्क बनाने की तैयारी में है. इस पार्क के विकास के लिए केंद्र सरकार 10 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देगी. इस वित्तीय सहायता के तहत यहां पर प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोर का निर्माण किया जाएगा. इस पार्क के लगने से किसानों बागवानों को घर पर विपणन की उचित सुविधा मिलेगी. उन्हें अपने उत्पादन को बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा.
नहीं झेलनी पड़ेगी कोल्ड स्टोर की समस्या
प्रदेश में किसानों को भारी संख्या में कोल्ड स्टोर की कमी झेलनी पड़ रही है. जिसके कारण उन्हें उत्पाद आधी अधूरी दामों पर बेचना पड़ रहा है. इसके अलावा किसानों को प्रदेश के बाहर मंडियों में ले जाकर माल बेचना पड़ता है. क्योंकि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उत्पादन को कोल्ड स्टोर की सुविधा नहीं है, जिसके कारण किसानों की सब्जियां और फल अधिक समय तक नहीं टिक पाते हैं.
आधे दाम में नहीं बेचनी पड़ेंगे फल सब्जिया
प्रदेश में यह कोल्ड स्टोर और मिनी फूड पार्क समय रहते तैयार हो जाते हैं तो किसानों को बिचौलियों के हाथों अपनी सब्जिया और फलों को नहीं बेचना पड़ेगा. किसान अपनी मर्जी से अपने उत्पाद मंडियों में उतार पाएंगे. साथ ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनने से किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम मिल सकेगा.