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पाकिस्तानियों ने आंखें फोड़ दीं और निजी अंग काट दिए थे, जन्मदिन के मौके पर छलका पिता का दर्द

शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डॉ. कालिया पिछले 21 सालों से अपने शहीद बेटे के साथ पाकिस्तान के द्वारा किये गये अमानवीय बर्ताव के बारे में न्याय दिलाने के लिये लड़ाई लड़ रहे हैं.

Martyr Captain Saurabh Kalia
फोटो.
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Published : Jun 29, 2020, 6:59 PM IST

Updated : Jun 29, 2020, 9:09 PM IST

पालमपुर: शहीद कैप्टन सौरभ कालिया का जन्म 29 जून 1976 को अमृतसर, भारत में हुआ था. इनकी माता का नाम विजया व पिता का नाम डॉ. एनके. कालिया है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल पालमपुर से हुई. इन्होंने स्नातक उपाधि (बीएससी मेडिकल) कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, हिमाचल प्रदेश से सन् 1997 में प्राप्त की. वहीं, आज इस शूरवीर का जन्मदिन है.

शहीद कैप्टन सौरभ कालिया अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र थे और कई छात्रवृत्तियां प्राप्त कर चुके थे. अगस्त 1997 में संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा द्वारा सौरभ कालिया का चयन भारतीय सैन्य अकादमी में हुआ, और 12 दिसंबर 1998 को वे भारतीय थलसेना में कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए. उनकी पहली तैनाती 4 जाट रेजिमेंट (इन्फेंट्री) के साथ कारगिल सेक्टर में हुई.

वीडियो.

31 दिसंबर 1998 को जाट रेजिमेंटल सेंटर, बरेली में प्रस्तुत होने के उपरांत वे जनवरी 1999 के मध्य में कारगिल पहुंचे. मात्र 22 साल के कैप्टन सौरभ कालिया 4-जाट रेजीमेंट के अधिकारी थे. उन्होंने ही सबसे पहले कारगिल में पाकिस्तानी फौज के नापाक इरादों की सेना को जानकारी मुहैया कराई थी.

कारगिल में तैनाती के बाद 5 मई 1999 को वह अपने पांच साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूलाराम, नरेश के साथ लद्दाख की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना ने सौरभ कालिया को उनके साथियों सहित बंदी बना लिया.

22 दिनों तक इन्हें बंदी बनाकर रखा गया और अमानवीय यातनाएं दी गईं. उनके शरीर को गर्म सरिए और सिगरेट से दागा गया. आंखें फोड़ दी गईं और निजी अंग काट दिए गए. पाकिस्तान ने इन शहीदों के शव 22-23 दिन बाद 7 जून 1999 को भारत को सौंपे थे.

सौरभ के परिवार ने भारत सरकार से इस मामले को पाकिस्तान सरकार के सामने और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाने की बात कही थी. आपको बता दें कि किसी युद्धबंदी की नृशंस हत्या करना जेनेवा संधि व भारत-पाक के बीच हुए द्विपक्षीय शिमला समझौते का भी उल्लंघन है.

शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डॉ. कालिया पिछले 21 सालों से अपने शहीद बेटे के साथ पाकिस्तान के द्वारा किये गये अमानवीय बर्ताव के बारे में न्याय दिलाने के लिये लडाई लड़ रहे हैं. कैप्टन सौरभ कालिया एक बहुत ईमानदार एवम शांत किस्म के इंसान थे. बहुत कम बहुत कम बोलते थे अपने इरादों के बहुत पक्के थे.

कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डॉ. एनके कालिया ने कहा कि सौरभ कालिया का जन्मदिन हमारे परिवार के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, अपितु सबके लिए है. हमारे देश में कई वीरों ने जन्म लिया है और देश के काम आए हैं.

डॉ. एनके कालिया ने कहा कि शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के साथ जो हुआ पाकिस्तान के सेना के हाथ से उसे कोई भी देश और सेना बर्दाश्त नहीं कर सकता है. कालिया ने कहा कि पाकिस्तान के द्वारा किये गये अमानवीय बर्ताव के बारे में न्याय दिलाने के लिये उच्च न्यायलय में लड़ाई लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कांगड़ा में 2 जवान व 7 साल के बच्चे सहित 11 कोरोना पॉजिटिव, 4 मरीजों ने जीती जंग

पालमपुर: शहीद कैप्टन सौरभ कालिया का जन्म 29 जून 1976 को अमृतसर, भारत में हुआ था. इनकी माता का नाम विजया व पिता का नाम डॉ. एनके. कालिया है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल पालमपुर से हुई. इन्होंने स्नातक उपाधि (बीएससी मेडिकल) कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, हिमाचल प्रदेश से सन् 1997 में प्राप्त की. वहीं, आज इस शूरवीर का जन्मदिन है.

शहीद कैप्टन सौरभ कालिया अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र थे और कई छात्रवृत्तियां प्राप्त कर चुके थे. अगस्त 1997 में संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा द्वारा सौरभ कालिया का चयन भारतीय सैन्य अकादमी में हुआ, और 12 दिसंबर 1998 को वे भारतीय थलसेना में कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए. उनकी पहली तैनाती 4 जाट रेजिमेंट (इन्फेंट्री) के साथ कारगिल सेक्टर में हुई.

वीडियो.

31 दिसंबर 1998 को जाट रेजिमेंटल सेंटर, बरेली में प्रस्तुत होने के उपरांत वे जनवरी 1999 के मध्य में कारगिल पहुंचे. मात्र 22 साल के कैप्टन सौरभ कालिया 4-जाट रेजीमेंट के अधिकारी थे. उन्होंने ही सबसे पहले कारगिल में पाकिस्तानी फौज के नापाक इरादों की सेना को जानकारी मुहैया कराई थी.

कारगिल में तैनाती के बाद 5 मई 1999 को वह अपने पांच साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूलाराम, नरेश के साथ लद्दाख की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना ने सौरभ कालिया को उनके साथियों सहित बंदी बना लिया.

22 दिनों तक इन्हें बंदी बनाकर रखा गया और अमानवीय यातनाएं दी गईं. उनके शरीर को गर्म सरिए और सिगरेट से दागा गया. आंखें फोड़ दी गईं और निजी अंग काट दिए गए. पाकिस्तान ने इन शहीदों के शव 22-23 दिन बाद 7 जून 1999 को भारत को सौंपे थे.

सौरभ के परिवार ने भारत सरकार से इस मामले को पाकिस्तान सरकार के सामने और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाने की बात कही थी. आपको बता दें कि किसी युद्धबंदी की नृशंस हत्या करना जेनेवा संधि व भारत-पाक के बीच हुए द्विपक्षीय शिमला समझौते का भी उल्लंघन है.

शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डॉ. कालिया पिछले 21 सालों से अपने शहीद बेटे के साथ पाकिस्तान के द्वारा किये गये अमानवीय बर्ताव के बारे में न्याय दिलाने के लिये लडाई लड़ रहे हैं. कैप्टन सौरभ कालिया एक बहुत ईमानदार एवम शांत किस्म के इंसान थे. बहुत कम बहुत कम बोलते थे अपने इरादों के बहुत पक्के थे.

कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डॉ. एनके कालिया ने कहा कि सौरभ कालिया का जन्मदिन हमारे परिवार के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, अपितु सबके लिए है. हमारे देश में कई वीरों ने जन्म लिया है और देश के काम आए हैं.

डॉ. एनके कालिया ने कहा कि शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के साथ जो हुआ पाकिस्तान के सेना के हाथ से उसे कोई भी देश और सेना बर्दाश्त नहीं कर सकता है. कालिया ने कहा कि पाकिस्तान के द्वारा किये गये अमानवीय बर्ताव के बारे में न्याय दिलाने के लिये उच्च न्यायलय में लड़ाई लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कांगड़ा में 2 जवान व 7 साल के बच्चे सहित 11 कोरोना पॉजिटिव, 4 मरीजों ने जीती जंग

Last Updated : Jun 29, 2020, 9:09 PM IST
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