कांगड़ा: कांगड़े दी धाम खट्टा मदरा कन्नै मिट्ठे चौल हैन इदी पहचान. कांगड़ी धाम एक ऐसा भोज है जो रिश्तेदारों और स्थानीय दोस्तों को विवाह, जन्मदिन या अन्य समारोह में परोसा जाता है. तीन से चार रसोइयें जिन्हे बोटी कहा जाता है, इस धाम को बनाते हैं. रसोइयों के हेल्पर को काम्मे कहा जाता है, जो बोटी की हर छोटे से बड़े काम में हेल्प करते हैं.
कांगड़ी धाम अपने स्वाद के लिए जानी जाती है. इसे खाने के बाद हर आदमी उंगालियां चाटता रह जाता है. इस धाम की इतनी धमक है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके स्वाद के दीवाने हैं.
यूं तो देवभूमि में हर जिले की धाम की अपनी पहचान है, लेकिन कांगड़ा जिला में बनाई जाने वाली धाम इसलिए खास बन जाती क्योंकि इसमें लहसून, प्याज का प्रयोग नहीं होता है. कांगड़ी धाम में मसाले कम से कम इस्तेमाल किए जाते हैं. धाम में दही का प्रयोग ज्यादा किया जाता है और उस दही को भून-भून कर पकाया जाता है.
वहीं कांगड़ी धाम में बनने वाले मदरे भी लोगों को खूब भाते हैं. कांगड़ी धाम में छुहारों से बनाया जाने वाला मदरा और माह की दाल, खट्टा और मीठे चावल काफी फेमस हैं. ये धाम टोर से बने पतलों में परोसी जाती है और जमीन पर बैठ कर खाई जाती है.
कांगड़ी धाम में आठ से नौ प्रकार की किस्मों के मदरे बनाए जाते हैं. कम मसाले इस्तेमाल करने से ये धाम हेल्थ के लिए भी बेहतर मानी जाती है. साधारण तरीके से बनाई जाने वाली कांगड़ी धाम अपने स्वाद के लिए अलग पहचान रखती है.