ETV Bharat / state

आपकी याददाश्त बढ़ाएगी कांगड़ा टी से बनी Tea Wine, हृदयाघात से भी बचाएगी

एक खास टेस्ट और फ्लेवर वाली इस टी वाइन को सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और (Tea wine) टी वाइन हमारे देश की अपनी वाइन होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका अपना एक मुकाम होगा. इस वाइन में अल्कोहल की प्रतिशत को कम किया जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है.

kangra tea wine news, कांगड़ा टी वाइन न्यूज
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Feb 16, 2020, 8:04 PM IST

पालमपुर: जल्द ही दुनिया वाइन के एक नए जायके से रूबरू होगी जिसका नाम है टी वाइन. इस वाइन में हिमाचल की मशहूर कांगड़ा टी का इस्तेमाल किया जाएगा. यही वजह है कि इसे एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट करार दिया जा रहा है. एक खास टेस्ट और फ्लेवर वाली इस टी वाइन को सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और (Tea wine) टी वाइन हमारे देश की अपनी वाइन होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका अपना एक मुकाम होगा.

इस वाइन में अल्कोहल की प्रतिशत को कम किया जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है. आमतौर पर वाइन में 12 प्रतिशत अल्कोहल होती है. टी वाइन का टेस्ट परंपरागत वाइन से हटकर है. टी वाइन हृदयाघात रोकने में भी मददगार होती है. शूगर से पीड़ित लोग भी इसका प्रयोग कर सकते हैं. जिन लोगों को भूलने की बीमारी होती है उनके लिए यह बड़ी कारगर है. भारत में अभी वाइन के शौकीनों की तादाद ज्यादा नहीं है, लेकिन हाल के दौर में इसमें इजाफा देखा जा रहा है. इसकी वजह यह है कि वाइन को सेफ ड्रिंक माना जाना है.

वीडियो.

कई स्टडीज वाइन को स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन ड्रिंक करार दे चुकी हैं. माना जा रहा है कि टी वाइन की देश में भी काफी डिमांड रहेगी. अभी दुनिया में वाइन के कारोबार में फ्रांस का दबदबा है. टी वाइन (Tea wine) से भारत भी वाइन के ग्लोबल कारोबार में दस्तक दे सकता है. अभी भारत में बनने वाली वाइन को अच्छी क्वॉलिटी का नहीं माना जाता, क्योंकि यहां बेहतरीन क्वॉलिटी के अंगूर नहीं मिल पाते. टी वाइन में क्वॉलिटी की इस कमी को दूर करने की संभावना है.

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि हमारे चाय उगाने वाले किसानों को पर्याप्त मुनाफा नहीं मिल पाता है. जिससे संस्थान ने चाय के कई उत्पाद तैयार किए हैं जिनमें से बहुत उत्पाद टी बाइन है. टी वाइन के अन्दर चाय के सारे एंटी ऑक्सीडेंट हैं. टी वाइन हमारे देश की अपनी वाइन होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका अपना एक मुकाम होगा. टी वाइन में अल्कोहल की मात्रा नियंत्रित कर सकते हैं और टी वाइन में बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने के कारण सेहत के लिए अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

टी वाइन में बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने कारण इसे सही मात्रा में लें तो इससे हृदयाघात रोकने में मदद कर सकता है. टी वाइन को बनाने मे लगभग 5 साल लगे हैं और टी वाइन बनाने के लिए इसकी तकनीक एक कम्पनी को दी है और जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध होगी. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अजय राणा ने कहा कि (Tea wine) टी वाइन में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होने के साथ साथ कई तरह ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका स्वाद रेड वाइन और वाइट वाइन से हट कर है.

टी वाइन से चाय उद्योग के उत्थान के साथ रोजगार के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकती है. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आदर्श भार्गव ने कहा कि टी वाइन याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ हृदयाघात रोकने में भी अहम भूमिका निभाती है. कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) हार्ट अटैक के दौरान प्रमुख भूमिका निभाता है. ऐसे में दवा के तौर पर ली गई टी वाइन हृदय में कोलेस्ट्रॉल जमने नहीं देती है और उसे मूवमेंट में रखती है. टी वाइन में एंटी ऑक्सीडेंट अधिक रहता है और यह निसंदेह कई रोगों से बचाता है. लिहाजा तीस से साठ एमएल वाइन पीने की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें- इस दिन देहरा दौरे पर रहेंगे CM, करोड़ों रुपये के विकास कार्यों का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगे

पालमपुर: जल्द ही दुनिया वाइन के एक नए जायके से रूबरू होगी जिसका नाम है टी वाइन. इस वाइन में हिमाचल की मशहूर कांगड़ा टी का इस्तेमाल किया जाएगा. यही वजह है कि इसे एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट करार दिया जा रहा है. एक खास टेस्ट और फ्लेवर वाली इस टी वाइन को सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और (Tea wine) टी वाइन हमारे देश की अपनी वाइन होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका अपना एक मुकाम होगा.

इस वाइन में अल्कोहल की प्रतिशत को कम किया जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है. आमतौर पर वाइन में 12 प्रतिशत अल्कोहल होती है. टी वाइन का टेस्ट परंपरागत वाइन से हटकर है. टी वाइन हृदयाघात रोकने में भी मददगार होती है. शूगर से पीड़ित लोग भी इसका प्रयोग कर सकते हैं. जिन लोगों को भूलने की बीमारी होती है उनके लिए यह बड़ी कारगर है. भारत में अभी वाइन के शौकीनों की तादाद ज्यादा नहीं है, लेकिन हाल के दौर में इसमें इजाफा देखा जा रहा है. इसकी वजह यह है कि वाइन को सेफ ड्रिंक माना जाना है.

वीडियो.

कई स्टडीज वाइन को स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन ड्रिंक करार दे चुकी हैं. माना जा रहा है कि टी वाइन की देश में भी काफी डिमांड रहेगी. अभी दुनिया में वाइन के कारोबार में फ्रांस का दबदबा है. टी वाइन (Tea wine) से भारत भी वाइन के ग्लोबल कारोबार में दस्तक दे सकता है. अभी भारत में बनने वाली वाइन को अच्छी क्वॉलिटी का नहीं माना जाता, क्योंकि यहां बेहतरीन क्वॉलिटी के अंगूर नहीं मिल पाते. टी वाइन में क्वॉलिटी की इस कमी को दूर करने की संभावना है.

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि हमारे चाय उगाने वाले किसानों को पर्याप्त मुनाफा नहीं मिल पाता है. जिससे संस्थान ने चाय के कई उत्पाद तैयार किए हैं जिनमें से बहुत उत्पाद टी बाइन है. टी वाइन के अन्दर चाय के सारे एंटी ऑक्सीडेंट हैं. टी वाइन हमारे देश की अपनी वाइन होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका अपना एक मुकाम होगा. टी वाइन में अल्कोहल की मात्रा नियंत्रित कर सकते हैं और टी वाइन में बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने के कारण सेहत के लिए अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

टी वाइन में बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने कारण इसे सही मात्रा में लें तो इससे हृदयाघात रोकने में मदद कर सकता है. टी वाइन को बनाने मे लगभग 5 साल लगे हैं और टी वाइन बनाने के लिए इसकी तकनीक एक कम्पनी को दी है और जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध होगी. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अजय राणा ने कहा कि (Tea wine) टी वाइन में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होने के साथ साथ कई तरह ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका स्वाद रेड वाइन और वाइट वाइन से हट कर है.

टी वाइन से चाय उद्योग के उत्थान के साथ रोजगार के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकती है. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आदर्श भार्गव ने कहा कि टी वाइन याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ हृदयाघात रोकने में भी अहम भूमिका निभाती है. कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) हार्ट अटैक के दौरान प्रमुख भूमिका निभाता है. ऐसे में दवा के तौर पर ली गई टी वाइन हृदय में कोलेस्ट्रॉल जमने नहीं देती है और उसे मूवमेंट में रखती है. टी वाइन में एंटी ऑक्सीडेंट अधिक रहता है और यह निसंदेह कई रोगों से बचाता है. लिहाजा तीस से साठ एमएल वाइन पीने की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें- इस दिन देहरा दौरे पर रहेंगे CM, करोड़ों रुपये के विकास कार्यों का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.