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हिमाचल की कांगड़ा चाय से महकेगा यूरोपीय बाजार: यूरोपीय संघ ने किया रजिस्टर्ड, जानें Kangra tea की खासियतें - Himachal Kangra tea

हिमाचल की कांगड़ा चाय की महक से अब यूरोपीय बाजार महकेगा. यूरोपीय संघ ने कांगड़ा टी को जियोग्राफिकल इंडिकेशन के तहत रजिस्टर्ड किया है. (Himachal Kangra Tea)

हिमाचल की कांगड़ा चाय से महकेगा यूरोपीय बाजार
हिमाचल की कांगड़ा चाय से महकेगा यूरोपीय बाजार
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Published : May 19, 2023, 7:10 AM IST

शिमला: हिमाचल के कांगड़ा जिले की प्रख्यात चाय को यूरोपीय संघ ने एक विशिष्ट पहचान देते हुए इसको जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) के तहत रजिस्टर्ड किया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि कांगड़ा चाय यूरोपीय संघ में जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) के रूप में रजिस्टर्ड होने वाला देश का दूसरा उत्पाद बन गया है. उन्होंने कहा कि इससे कांगड़ा चाय के उत्पादकों के लिए यूरोपीय देशों में बिक्री का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

कांगड़ा की चाय को मिली नई पहचान,
कांगड़ा की चाय को मिली नई पहचान

कांगड़ा चाय को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि यूरोपीय बाजारों में उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता और प्रतिष्ठा को पहचानने के लिए कांगड़ा चाय का यूरोपीय संघ के तहत पंजीकरण महत्वपूर्ण साबित होगा. उन्होंने कहा कि इसके रजिस्ट्रेशन से कांगड़ा चाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली ,जोंकि इसकी बिक्री के लिए वरदान साबित होगी. इस फैसले से कांगड़ा जिले के पालमपुर, बैजनाथ, कांगड़ा व धर्मशाला, मंडी जिले के जोगिंदर नगर और चंबा जिले के भटियात क्षेत्र के ‘कांगड़ा चाय’ उत्पादकों को लाभ होगा.

हिमाचल के कई उत्पादों की धूम: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल के पारंपरिक उत्पादों को संरक्षित करने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कारीगरों और बुनकरों को लाभ पहुंचाने के लिए कई नई पहल की गई है. उन्होंने कहा कि कुल्लू शॉल, चंबा रुमाल, किन्नौर शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, लाहौल के ऊनी मोजे और दस्ताने इत्यादि सहित राज्य के करीब 400 से अधिक पारंपरिक उत्पादों को आज जीआई का दर्जा प्राप्त है. इसके अतिरिक्त हिमाचली टोपी, सिरमौरी लोईया, मंडी कीसेपू बड़ी, चंबा धातु शिल्प, किन्नौरी सेब और किन्नौरी आभूषण को जीआई का दर्जा देना जियोग्राफिकल इंटीकेशन रजिस्ट्री, चेन्नई, के पास विचाराधीन है.

इसलिए दुनिया में बज रहा कांगड़ा चाय का डंका: कांगड़ा चाय अपने अनूठे स्वाद के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद पाइराजिन इसे अलग सुगंध प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त, इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जोंकि एंटीऑक्सीडेंट्स, फेनोलिक कंपाउंड, ट्रिप्टोफैन, अमीनो एसिड्स, थीनाइन ग्लूटामाइन और कैटेचिन से मिलते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा चाय को वर्ष 2005 में जियोग्राफिकल इंटीकेशन रजिस्ट्री चेन्नई, द्वारा जीआई का दर्जा दिया गया था और अब यूरोपीय संघ के साथ रजिस्ट्रेशन के बाद कांगड़ा चाय की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है, जिससे राज्य के कांगड़ा चाय उत्पादकों को लाभ होगा.

ब्रिटिश काल में यूरोपीय बाजारों में होता था निर्यात: बता दें कि ब्रिटिश काल में कांगड़ा चाय का निर्यात यूरोपीय बाजारों में किया जाता था. इसकी गुणवत्ता के कारण एम्स्टरडैम और लंदन के बाजारों ने वर्ष 1886 से 1895 के बीच कांगड़ा चाय को विभिन्न पुरस्कार दिए. आज से पहले यूरोपीय संघ में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण कांगड़ा चाय की यूरोपीय बाजारों में बिक्री संभव नहीं थी, लेकिन अब रजिस्ट्रेशन के पश्चात इस हिमाचली उत्पाद के लिए यूरोपीय देशों के बाजार भी खुल गए हैं.

सीएम सुखविंदर ने इन्हें दिया धन्यवाद: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यूरोपीय संघ के साथ कांगड़ा चाय के रजिस्ट्रेशन की कठिन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने इस उपलब्धि में योगदान के लिए कृषि विभाग, हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर और कांगड़ा वैली स्मॉल टी प्लांटर्स एसोसिएशन को भी बधाई दी.
ये भी पढ़ें: Kangra Tea के उत्पादन में बड़ा उछाल, कोलकाता की गलियों में छाई कांगड़ा चाय की महक

शिमला: हिमाचल के कांगड़ा जिले की प्रख्यात चाय को यूरोपीय संघ ने एक विशिष्ट पहचान देते हुए इसको जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) के तहत रजिस्टर्ड किया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि कांगड़ा चाय यूरोपीय संघ में जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) के रूप में रजिस्टर्ड होने वाला देश का दूसरा उत्पाद बन गया है. उन्होंने कहा कि इससे कांगड़ा चाय के उत्पादकों के लिए यूरोपीय देशों में बिक्री का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

कांगड़ा की चाय को मिली नई पहचान,
कांगड़ा की चाय को मिली नई पहचान

कांगड़ा चाय को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि यूरोपीय बाजारों में उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता और प्रतिष्ठा को पहचानने के लिए कांगड़ा चाय का यूरोपीय संघ के तहत पंजीकरण महत्वपूर्ण साबित होगा. उन्होंने कहा कि इसके रजिस्ट्रेशन से कांगड़ा चाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली ,जोंकि इसकी बिक्री के लिए वरदान साबित होगी. इस फैसले से कांगड़ा जिले के पालमपुर, बैजनाथ, कांगड़ा व धर्मशाला, मंडी जिले के जोगिंदर नगर और चंबा जिले के भटियात क्षेत्र के ‘कांगड़ा चाय’ उत्पादकों को लाभ होगा.

हिमाचल के कई उत्पादों की धूम: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल के पारंपरिक उत्पादों को संरक्षित करने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कारीगरों और बुनकरों को लाभ पहुंचाने के लिए कई नई पहल की गई है. उन्होंने कहा कि कुल्लू शॉल, चंबा रुमाल, किन्नौर शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, लाहौल के ऊनी मोजे और दस्ताने इत्यादि सहित राज्य के करीब 400 से अधिक पारंपरिक उत्पादों को आज जीआई का दर्जा प्राप्त है. इसके अतिरिक्त हिमाचली टोपी, सिरमौरी लोईया, मंडी कीसेपू बड़ी, चंबा धातु शिल्प, किन्नौरी सेब और किन्नौरी आभूषण को जीआई का दर्जा देना जियोग्राफिकल इंटीकेशन रजिस्ट्री, चेन्नई, के पास विचाराधीन है.

इसलिए दुनिया में बज रहा कांगड़ा चाय का डंका: कांगड़ा चाय अपने अनूठे स्वाद के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद पाइराजिन इसे अलग सुगंध प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त, इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जोंकि एंटीऑक्सीडेंट्स, फेनोलिक कंपाउंड, ट्रिप्टोफैन, अमीनो एसिड्स, थीनाइन ग्लूटामाइन और कैटेचिन से मिलते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा चाय को वर्ष 2005 में जियोग्राफिकल इंटीकेशन रजिस्ट्री चेन्नई, द्वारा जीआई का दर्जा दिया गया था और अब यूरोपीय संघ के साथ रजिस्ट्रेशन के बाद कांगड़ा चाय की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है, जिससे राज्य के कांगड़ा चाय उत्पादकों को लाभ होगा.

ब्रिटिश काल में यूरोपीय बाजारों में होता था निर्यात: बता दें कि ब्रिटिश काल में कांगड़ा चाय का निर्यात यूरोपीय बाजारों में किया जाता था. इसकी गुणवत्ता के कारण एम्स्टरडैम और लंदन के बाजारों ने वर्ष 1886 से 1895 के बीच कांगड़ा चाय को विभिन्न पुरस्कार दिए. आज से पहले यूरोपीय संघ में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण कांगड़ा चाय की यूरोपीय बाजारों में बिक्री संभव नहीं थी, लेकिन अब रजिस्ट्रेशन के पश्चात इस हिमाचली उत्पाद के लिए यूरोपीय देशों के बाजार भी खुल गए हैं.

सीएम सुखविंदर ने इन्हें दिया धन्यवाद: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यूरोपीय संघ के साथ कांगड़ा चाय के रजिस्ट्रेशन की कठिन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने इस उपलब्धि में योगदान के लिए कृषि विभाग, हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर और कांगड़ा वैली स्मॉल टी प्लांटर्स एसोसिएशन को भी बधाई दी.
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