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आपातकाल के 45 साल : पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा इमरजेंसी को हमेशा याद रखना चाहिए

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Published : Jun 25, 2020, 6:35 PM IST

पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा आपातकाल को हमेशा याद रखा जाना चाहिए. आपातकाल के दौरान सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया था. सन 1977 का चुनाव पार्टियों ने नहीं जनता ने लड़ा.

Shanta Kumar said the Emergency of 25 June 1975 will always be remembered seriously
शांता कुमार

पालमपुर/कांगड़ा : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने कहा कि देश को 25 और 26 जून 1975 के आपातकाल को गंभीरता से याद करते रहना चाहिए. 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा हुई थी. 26 जून को पूरा देश जेल खाना बन गया था. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया. संविधान निलंबित कर दिया गया. मूल अधिकार निलंबित कर दिये गए.

जेल में बंद हम सब की तरफ से जब न्यायालय में कहा गया कि हमारा जीने का अधिकार भगवान ने दिया है और संविधान ने भी दिया है. तब सरकार की ओर से कहा गया कि जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है. यह भी याद रखना चाहिए, कि तब कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था न कोई भूचाल आया था. इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहराया था. वह प्रधानमंत्री नही रह सकती थी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसलिए जेलखाना बनाया गया, क्योंकि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समग्र क्रांति का आन्दोलन सफल हो रहा था.

वीडियो.

इंदिरा गांधी की गई कुर्सी

शांता कुमार ने कहा इंदिरा गांधी जी की कुर्सी चली गई थी. स्वतंत्रता आंदलोन के योद्धा जयप्रकाश नारायण जिन्होंने अंग्रेज की जेल को तोड़ कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी. उन्हें भी जेल में बंद किया गया. इतना ही नहीं उन्हें देश का शत्रु बताया गया. यह भी याद रखना चाहिए कि 1977 का चुनाव भारत के इतिहास में एक मात्र ऐसा चुनाव है जिसे पार्टियाें ने नहीं जनता ने लड़ा. हम जेलों से निकले थे, कुछ नहीं था हमारे पास. जनता ही पार्टी बन गई और जनता का धन ही पार्टी का कोष बन गया.

आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था

शांता कुमार ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि उस समय का आंदोलन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरूद्ध था. क्योंकि भष्टाचार सबसे बड़ा शत्रु है. गरीबी का सबसे बड़ा कारण है. आज भारत में लोकतंत्र की जड़े तो पूरी तरह से मजबूत हुई, लेकिन भ्रष्टाचार कही-कहीं अभी भी पनप रहा. उन्होंने उस समय के नाहन जेल के अपने साथियों को भी याद किया. उनमे से बहुत से इस दुनिया को छोड़ का चले गये. उन्हें भी उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि दी. वहीं, शांता कुमार ने कहा जनता के सहयोग के बिना कोरोना से जंग नहीं जीती जा सकती.

पालमपुर/कांगड़ा : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने कहा कि देश को 25 और 26 जून 1975 के आपातकाल को गंभीरता से याद करते रहना चाहिए. 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा हुई थी. 26 जून को पूरा देश जेल खाना बन गया था. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया. संविधान निलंबित कर दिया गया. मूल अधिकार निलंबित कर दिये गए.

जेल में बंद हम सब की तरफ से जब न्यायालय में कहा गया कि हमारा जीने का अधिकार भगवान ने दिया है और संविधान ने भी दिया है. तब सरकार की ओर से कहा गया कि जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है. यह भी याद रखना चाहिए, कि तब कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था न कोई भूचाल आया था. इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहराया था. वह प्रधानमंत्री नही रह सकती थी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसलिए जेलखाना बनाया गया, क्योंकि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समग्र क्रांति का आन्दोलन सफल हो रहा था.

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इंदिरा गांधी की गई कुर्सी

शांता कुमार ने कहा इंदिरा गांधी जी की कुर्सी चली गई थी. स्वतंत्रता आंदलोन के योद्धा जयप्रकाश नारायण जिन्होंने अंग्रेज की जेल को तोड़ कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी. उन्हें भी जेल में बंद किया गया. इतना ही नहीं उन्हें देश का शत्रु बताया गया. यह भी याद रखना चाहिए कि 1977 का चुनाव भारत के इतिहास में एक मात्र ऐसा चुनाव है जिसे पार्टियाें ने नहीं जनता ने लड़ा. हम जेलों से निकले थे, कुछ नहीं था हमारे पास. जनता ही पार्टी बन गई और जनता का धन ही पार्टी का कोष बन गया.

आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था

शांता कुमार ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि उस समय का आंदोलन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरूद्ध था. क्योंकि भष्टाचार सबसे बड़ा शत्रु है. गरीबी का सबसे बड़ा कारण है. आज भारत में लोकतंत्र की जड़े तो पूरी तरह से मजबूत हुई, लेकिन भ्रष्टाचार कही-कहीं अभी भी पनप रहा. उन्होंने उस समय के नाहन जेल के अपने साथियों को भी याद किया. उनमे से बहुत से इस दुनिया को छोड़ का चले गये. उन्हें भी उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि दी. वहीं, शांता कुमार ने कहा जनता के सहयोग के बिना कोरोना से जंग नहीं जीती जा सकती.

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