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धर्मशाला: लोसर त्योहार के दौरान बौद्ध मंदिर में नहीं होंगे कार्यक्रम - लोसर त्योहार धर्मशाला

कोविड-19 के चलते इस बार तिब्बती समुदाय के लोग अपने अपने घरों में ही पूजा करेंगे और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटेंगे. लोसर पर्व में पहले दिन घरों में पूजा की जाती है. दूसरे रोज समुदाय के लोग घरों से बाहर निकलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं.

Losar festival
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Published : Feb 11, 2021, 6:16 PM IST

धर्मशाला: तिब्बती समुदाय के लोग 2148 वां नववर्ष यानी लोसर 12 से 14 फरवरी तक मनाएंगे. कोविड-19 के चलते इस बार तिब्बती समुदाय के लोग अपने अपने घरों में ही पूजा करेंगे और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटेंगे. 12 फरवरी को लोसर के शुभारंभ पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के हॉल में संक्षिप्त कार्यक्रम होगा. इसमें निर्वासित सरकार के प्रतिनिधि भाग लेंगे.

कोविड-19 की वजह से बौद्ध मंदिर में नहीं होगा आयोजन

कोरोना महामारी के कारण मुख्य बौद्ध मंदिर कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा. धर्मगुरु दलाई लामा भी अपने निवास स्थल पर रहेंगे. हालांकि पहले दलाई लामा लोसर के शुभारंभ पर मुख्य बौद्ध मंदिर में होने वाली पूजा में भाग लेते थे, लेकिन पिछले कुछ समय वह इस अवसर पर मुख्य बौद्ध मंदिर में नहीं आते हैं. लोसर बौद्ध धर्म में एक त्योहार है और इसे तिब्बती समुदाय के लोग नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. तिब्बतियों के लूनर कैलेंडर के अनुसार फरवरी में उनका नववर्ष शुरू हो रहा है.

लोसर पर्व में एक दूसरे को दी जाती है बधाई

लोसर पर्व में पहले दिन घरों में पूजा की जाती है. दूसरे रोज समुदाय के लोग घरों से बाहर निकलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं. तीसरे दिन भी यही परंपरा निभाई जाती है. हालांकि पहले 15 से एक माह तक नववर्ष मनाया जाता था, लेकिन अब तीन दिन ही पूजा-अर्चना होती है. इन तीन दिन के दौरान समुदाय का कोई भी व्यक्ति पैसे खर्च नहीं करता है.

12 फरवरी से शुरू होगा लोसर

उपभापति निर्वासित तिब्बती संसद आचार्य यशी का कहना ने कहा कि लोसर 12 फरवरी से शुरू होगा. उन्होंने समुदाय के सभी लोगों को आयोजन की बधाई दी और कहा कि पिछला वर्ष कोरोना की भेंट चढ़ा है, लेकिन इस साल यह महामारी खत्म हो और सभी लोग पहले जैसा खुशहाल जीवन व्यतीत कर आगे बढ़ें.

ये भी पढ़ें: हिमस्खलन की आशंका, अटल टनल पर्यटकों के लिए बंद

धर्मशाला: तिब्बती समुदाय के लोग 2148 वां नववर्ष यानी लोसर 12 से 14 फरवरी तक मनाएंगे. कोविड-19 के चलते इस बार तिब्बती समुदाय के लोग अपने अपने घरों में ही पूजा करेंगे और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटेंगे. 12 फरवरी को लोसर के शुभारंभ पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के हॉल में संक्षिप्त कार्यक्रम होगा. इसमें निर्वासित सरकार के प्रतिनिधि भाग लेंगे.

कोविड-19 की वजह से बौद्ध मंदिर में नहीं होगा आयोजन

कोरोना महामारी के कारण मुख्य बौद्ध मंदिर कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा. धर्मगुरु दलाई लामा भी अपने निवास स्थल पर रहेंगे. हालांकि पहले दलाई लामा लोसर के शुभारंभ पर मुख्य बौद्ध मंदिर में होने वाली पूजा में भाग लेते थे, लेकिन पिछले कुछ समय वह इस अवसर पर मुख्य बौद्ध मंदिर में नहीं आते हैं. लोसर बौद्ध धर्म में एक त्योहार है और इसे तिब्बती समुदाय के लोग नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. तिब्बतियों के लूनर कैलेंडर के अनुसार फरवरी में उनका नववर्ष शुरू हो रहा है.

लोसर पर्व में एक दूसरे को दी जाती है बधाई

लोसर पर्व में पहले दिन घरों में पूजा की जाती है. दूसरे रोज समुदाय के लोग घरों से बाहर निकलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं. तीसरे दिन भी यही परंपरा निभाई जाती है. हालांकि पहले 15 से एक माह तक नववर्ष मनाया जाता था, लेकिन अब तीन दिन ही पूजा-अर्चना होती है. इन तीन दिन के दौरान समुदाय का कोई भी व्यक्ति पैसे खर्च नहीं करता है.

12 फरवरी से शुरू होगा लोसर

उपभापति निर्वासित तिब्बती संसद आचार्य यशी का कहना ने कहा कि लोसर 12 फरवरी से शुरू होगा. उन्होंने समुदाय के सभी लोगों को आयोजन की बधाई दी और कहा कि पिछला वर्ष कोरोना की भेंट चढ़ा है, लेकिन इस साल यह महामारी खत्म हो और सभी लोग पहले जैसा खुशहाल जीवन व्यतीत कर आगे बढ़ें.

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