पालमपुर: कोरोना काल में बाहरी प्रदेशों में नौकरी छिन जाने से अपने वतन लौटे युवाओं को रुझान अब पारंपरिक खेती के साथ नकदी फसलों की ओर बढ़ा है. यही कारण है कि चालू रबी सीजन में जिला कांगड़ा में गेहूं बीजाई के क्षेत्र में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके साथ ही युवा कृषक प्रदेश कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं. जिला कांगड़ा के 15 विकास खंडों में वर्तमान में किसान गेहूं की बीजाई में व्यस्त हैं. वहीं, नकदी फसले, दलहन और तिलहन फसलों की बीजाई भी हो रही है.
95 प्रतिशत किसानों ने पूरी की गेहूं की बीजाई
जिला कांगड़ा में 65 प्रतिशत भू-भाग सिंचाई सुविधा से महरूम होने के बावजूद समय पर बारिश होने से 95 प्रतिशत किसान गेहूं की बीजाई कर चुके हैं, जबकि सींचित क्षेत्रों में पांच प्रतिशत किसान मौसम साफ होने के बाद बीजाई कर रहे हैं. वर्तमान में जिला कांगड़ा के दो लाख 25 हजार परिवार खेती बाड़ी से जुड़े हैं. जबकि कोरोना महामारी के दौरान बाहरी राज्यों से नौकरी छोड़कर आए युवाओं का रुझान पारंपरिक खेती और नकदी की ओर बढ़ने से इस वर्ष गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती में बढ़ोतरी हुई है.
25 हजार क्विंटल बीज बांटे गए
जानकारी देते हुए जिला कृषि उपनिदेशक कांगड़ा डॉ. पीसी सैणी ने बताया कि जिला कांगड़ा में कृषि विभाग की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान में बीज वितरित करते हुए गत वर्ष 20 की जगह 25 हजार क्विंटल बीज का वितरण किया है. चालू रबी सीजन में जिला कांगड़ा के सभी 15 विकास खंडों में 10 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की बीजाई अधिक हो रही है. पिछले वर्ष 80 हजार हेक्टर में गेहूं की बिजाई की गई थी. इस बारे पौंग बांध के इर्द-गिर्द खाली भूमि, नगरोटा सूरियां, देहरा व ज्वाली में युवा गेहूं की खेती करने को आगे आए हैं. जिला के 95 प्रतिशत किसान गेहूं की बीजाई कर चुके हैं जबकि शेष बीजाई का कार्य जारी है.
टूटेंगें कई सालों के रिकॉर्ड!
डॉ. पीसी सैणी ने कहा कि समय पर बारिश होने और प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान नहीं हुआ तो चालू सीजन में पिछले सभी रिकॉर्ड टूट सकते हैं. विभाग ने इस वर्ष गेहूं का उत्पादन लक्ष्य एक लाख 60 हजार टन रखा है. जिला में नकदी फसलों में भी किसान रुचि ले रहे हैं और विभाग से अनुदान पर बीजों की लगातार मांग आ रही है. रबी सीजन में जिला के अधिकतर किसान भिंडी, टमाटर, खीरा, करेला व कद्दू वर्गीय फसलों को अधिमान देते रहे हैं. विभाग की ओर से भी नकदी फसलों को बढ़ावा देने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं.