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हिमाचल की इस पंचायत के किसानों की आय हुई दोगुनी, क्लिक करें और जानें लोगों की जुबानी

कृषि विवि पालमपुर के प्रसार निदेशक डॉ. यशपाल ठाकुर ने कहा कि बैजनाथ उपमंडल की धरेड़ पंचायत के लोग परंपरागत खेती से जुड़े हुए थे. कृषि विवि पालमपुर द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा संचालित किसान प्रथम कार्यक्रम के अंतर्गत धरेड़ पंचायत के 500 किसानों का चयन किया गया है. किसानों को परंपरागत खेती में सहायता करते हुए उत्तम प्रकार के बीज और अन्य प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं.

धरेड़ पंचायत के किसानों की न्यूज, News of farmers of Dared Panchayat
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Published : Jan 2, 2020, 9:09 PM IST

पालमपुर: भले ही किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य 2022 तक निधारित किया गया हो, लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां यह लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त किया जा चुका है. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों की देखरेख में इस गांव के लगभग 500 परिवार पहले की अपेक्षा अब दुगुनी आमदनी कमा रहे हैं.

बात कि कांगड़ा जिला की बैजनाथ विधानसभा की धरेड़ पंचायत में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से स्वीकृत 60 लाख की परियोजना से 3 वर्ष की अवधि में यहां के किसानों का कायाकल्प हुआ है. किसान परंपरागत धान गेहूं और मक्की की खेती के अतिरिक्त अब मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन व सब्जी उत्पादन को प्रमुखता से कर रहे हैं.

तड़ा गांव की शैलजा कुमारी ने मशरूम पालन से अपनी आय को बढ़ाने का कार्य किया है. वर्तमान में शैलजा के पास मशरूम के 100 बैग हैं और अब तक वह 110 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 100 किलोग्राम मशरूम बेच चुकी हैं. शैलजा कुमारी कहती हैं कि वह और उसके पति खेतीबाड़ी करते थे, लेकिन उससे उनका घर का खर्च ठीक ढंग से नहीं चलता था. मशरूम पालन से उनके घर का खर्च और बच्चों का खर्चा भी ठीक ढंग से हो रहा है.

वहीं, मुर्गी पालन कर रहे गांव कंड कोसरी के कुलदीप सिंह ने कहा कि वह खेतीबाड़ी करते हैं, लेकिन कृषि विवि पालमपुर नेउन्हें अच्छी नस्ल के 50 मुर्गे और मुर्गियां दी थी. जिस कारण उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.

वीडियो.

कृषि विवि पालमपुर के प्रसार निदेशक डॉ. यशपाल ठाकुर ने कहा कि बैजनाथ उपमंडल की धरेड़ पंचायत के लोग परंपरागत खेती से जुड़े हुए थे. कृषि विवि पालमपुर द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा संचालित किसान प्रथम कार्यक्रम के अंतर्गत धरेड़ पंचायत के 500 किसानों का चयन किया गया है. किसानों को परंपरागत खेती में सहायता करते हुए उत्तम प्रकार के बीज और अन्य प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं.

किसानों को इसके इलावा मशरूम उत्पादन की गतिविधियां भी करवाई गईं. जिसके तहत 48 किसानों को मशरूम के बैग उपलब्ध करवाए गए हैं. प्रति किसान लगभग 5 बैग से लेकर 100 बैग दिए गए हैं, ताकि वे अतिरिक्त आय के रूप में कुछ आय अर्जित कर सकें. इसके इलावा कुछ किसानों को मुर्गी पालन, मौन पालन के साथ-साथ सब्जी उत्पादन में किसानों की सहायता की गई है. जिससे उन्हें बहुत अच्छी आय प्राप्त हो रही है. धरेड़ पंचायत में किसान प्रथम कार्यक्रम 2016-17 में शुरू किया गया था. जिससे अच्छे परिणाम निकल रहे हैं और लगभग सभी किसानों ने माना है कि उनकी अर्थिकी सुदृढ़ हुई है और कृषि उत्पादन भी बढ़ा है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल 2020: चुनौतियां रे पहाड़ा पर केड़ी रेहणी विकासा री रफ्तार कन्ने सियासत री चाल

पालमपुर: भले ही किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य 2022 तक निधारित किया गया हो, लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां यह लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त किया जा चुका है. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों की देखरेख में इस गांव के लगभग 500 परिवार पहले की अपेक्षा अब दुगुनी आमदनी कमा रहे हैं.

बात कि कांगड़ा जिला की बैजनाथ विधानसभा की धरेड़ पंचायत में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से स्वीकृत 60 लाख की परियोजना से 3 वर्ष की अवधि में यहां के किसानों का कायाकल्प हुआ है. किसान परंपरागत धान गेहूं और मक्की की खेती के अतिरिक्त अब मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन व सब्जी उत्पादन को प्रमुखता से कर रहे हैं.

तड़ा गांव की शैलजा कुमारी ने मशरूम पालन से अपनी आय को बढ़ाने का कार्य किया है. वर्तमान में शैलजा के पास मशरूम के 100 बैग हैं और अब तक वह 110 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 100 किलोग्राम मशरूम बेच चुकी हैं. शैलजा कुमारी कहती हैं कि वह और उसके पति खेतीबाड़ी करते थे, लेकिन उससे उनका घर का खर्च ठीक ढंग से नहीं चलता था. मशरूम पालन से उनके घर का खर्च और बच्चों का खर्चा भी ठीक ढंग से हो रहा है.

वहीं, मुर्गी पालन कर रहे गांव कंड कोसरी के कुलदीप सिंह ने कहा कि वह खेतीबाड़ी करते हैं, लेकिन कृषि विवि पालमपुर नेउन्हें अच्छी नस्ल के 50 मुर्गे और मुर्गियां दी थी. जिस कारण उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.

वीडियो.

कृषि विवि पालमपुर के प्रसार निदेशक डॉ. यशपाल ठाकुर ने कहा कि बैजनाथ उपमंडल की धरेड़ पंचायत के लोग परंपरागत खेती से जुड़े हुए थे. कृषि विवि पालमपुर द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा संचालित किसान प्रथम कार्यक्रम के अंतर्गत धरेड़ पंचायत के 500 किसानों का चयन किया गया है. किसानों को परंपरागत खेती में सहायता करते हुए उत्तम प्रकार के बीज और अन्य प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं.

किसानों को इसके इलावा मशरूम उत्पादन की गतिविधियां भी करवाई गईं. जिसके तहत 48 किसानों को मशरूम के बैग उपलब्ध करवाए गए हैं. प्रति किसान लगभग 5 बैग से लेकर 100 बैग दिए गए हैं, ताकि वे अतिरिक्त आय के रूप में कुछ आय अर्जित कर सकें. इसके इलावा कुछ किसानों को मुर्गी पालन, मौन पालन के साथ-साथ सब्जी उत्पादन में किसानों की सहायता की गई है. जिससे उन्हें बहुत अच्छी आय प्राप्त हो रही है. धरेड़ पंचायत में किसान प्रथम कार्यक्रम 2016-17 में शुरू किया गया था. जिससे अच्छे परिणाम निकल रहे हैं और लगभग सभी किसानों ने माना है कि उनकी अर्थिकी सुदृढ़ हुई है और कृषि उत्पादन भी बढ़ा है.

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Intro:भले ही किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य 2022 में निधारित किया गया है परंतु एक गांव ऐसा भी है जहां यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों की देखरेख में इस गांव के लगभग 500 परिवार पहले की अपेक्षा अब दुगनी आमदन करने लगे हैं बात बैजनाथ विधानसभा की धरेड़ पंचायत की है । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा स्वीकृत 60 लाख की परियोजना ने 3 वर्ष की अवधि में यहां के किसानों का कायाकल्प किया है । किसान प्रथम कार्यक्रम को धरातल पर क्रियान्वित करने का कार्य कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों की देखरेख में किया जा रहा है । किसान परंपरागत धान गेहूं व मक्का की खेती के अतिरिक्त अब मशरूम उत्पादन ,मुर्गी पालन व मौन पालन तथा सब्जी उत्पादन को प्रमुखता से कर रहे है ।Body:वही तड़ा गांव की शैलजा कुमारी ने मशरूम पालन से अपनी आय को बढ़ाने का कार्य किया है वर्तमान शैलजा के पास मशरूम के 100 बैग है तथा अब तक वह 110 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 100 किलोग्राम मशरूम बेच चुकी है । शैलजा कुमारी कहती है कि वह और उसके पति खेतीबाड़ी करते थे परन्तु उससे उनका घर का खर्च ठीक ढंग से नही चलता मशरूम पालन से उनके घर का खर्च और बच्चो का खर्चा भी ठीक ढंग से हो रहा है । वही कुलती देवी ने कहा कि उन्होने ने भी मशरूम के बेग रखे है तथा वह इनका खुद भी प्रयोग कर रहे और बाजार में भी बेच रहे है और जिसे पति पर खर्च का थोड़ा बोझ कम पड़ रहा है ।
वही मुर्गी पालन कर रहे गांव कंड कोसरी के कुलदीप सिंह ने कहा कि वह खेतीबाड़ी करते है परन्तु कृषि विवि पालमपुर द्वारा उन्हे अच्छी नसल के 50 मुर्गे और मुर्गियां दी गई थी । जिस कारण उन्हे अच्छी कमाई हो रही है ।Conclusion:वही कृषि विवि पालमपुर के प्रसार निदेशक डा0 यशपाल ठाकुर ने कहा बैजनाथ उपमंडल की धरेड़ पंचायत के लोग परंपरागत खेती से जुड़े हुए थे । कृषि विवि पालमपुर द्वारामें भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा संचालित किसान प्रथम कार्यक्रम के अंतर्गत धरेड़ पंचायत के 500 किसानो का चयन किया गया है किसानो को परंपरागत खेती में सहायता करते हुए उतम प्रकार के बीज तथा अन्य प्रकार की सुविधाए उपलब्ध करवाई गई है । किसानो के इसके इलावा मशरूम उत्पादन की गतिविधियां भी कराई गई जिसके तहत 48 किसानों को मशरूम के बैग उपलब्ध कराए हैं प्रति किसान लगभग 5 बैग से लेकर 100 बैग दिए गए हैं ताकि वे अतिरिक्त आय के रूप में कुछ आय अर्जित कर सकें । इसके इलावा कुछ किसानो को मुर्गी पालन, मौन पालन के साथ साथ सब्जी उत्पादन में किसानो की सहायता की गई है जिससे उन्हे बहुत अच्छी आय प्राप्त हो रही है । धरेड़ पंचायत में किसान प्रथम कार्यक्रम 2016-17 में शुरू किया गाया था जिससे अच्छे परिणाम निकल रहे है और लगभग सभी किसानो ने माना है कि उनकी अर्थिकि सुदृढ़ हुई है और कृषि उत्पादन भी बढ़ा है ।
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