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CSIR ने शोध के बाद की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक विकसित, बिना मिट्टी के तैयार होंगे फूल - Bilaspur latest news

सीएसआईआर संस्थान पालमपुर ने शोध के बाद हाइड्रोपोनिक्स तकनीक विकसित की है. सीएसआईआर की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खासकर गर्मियों में फूलों की कमी को पूरा किया जा सकेगा. देश में बढ़ती आबादी और कम हो रही जमीन के लिए यह तकनीक काफी कारागार साबित होगी. सीएसआईआर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि संस्थान ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक तैयार की है. इससे फूलों की खेती को काफी बढ़ावा मिलेगा.

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Published : Mar 1, 2021, 7:43 PM IST

कांगड़ा: सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) संस्थान पालमपुर ने शोध के बाद हाइड्रोपोनिक्स तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के तहत ट्यूलिप फूल की हर महीने और लिलियम की साल में छह बार फसल ली जा सकेगी. इससे बिना मिट्टी साल में कई बार फूल तैयार किए जा सकेंगे. अभी तक लिलियम की फसल तैयार होने में 4 से 5 और ट्यूलिप फूल की फसल के लिए 3 से 4 माह का समय लगता था.

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक कारागार होगी साबित

सीएसआईआर की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खासकर गर्मियों में फूलों की कमी को पूरा किया जा सकेगा. देश में बढ़ती आबादी और कम हो रही जमीन के लिए यह तकनीक काफी कारागार साबित होगी. यह तकनीक तैयार करने के लिए सीएसआईआर में करीब दो साल से शोध चल रहा था. अभी नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों से फूलों के बल्ब मंगवाए जाते थे, लेकिन अब फूलों की कमी को देश में पूरा किया जा सकेगा. संस्थान इस तकनीक का प्रशिक्षण फूल उत्पादकों को देगा. इससे आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत किसानों की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल प्रदेश को केंद्र की बड़ी सौगात, रेल मंत्री ने कही ये बड़ी बात

क्या कहना है सीएसआईआर के निदेशक का

सीएसआईआर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि संस्थान ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक तैयार की है. इससे फूलों की खेती को काफी बढ़ावा मिलेगा. यह देश में पहली बार होगा. फूलों के अलावा किचन गार्डन से अन्य पौधे भी तैयार किए जा सकते हैं. किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इससे उनकी आर्थिकी मजबूत होगी.

क्या है हाइड्रोपोनिक विधि

हाइड्रोपोनिक विधि के लिए भूमि की जरूरत नहीं होती है. इसमें फसल को पानी में ही पैदा किया जाता है. इसमें पानी में कुछ पौष्टिक तत्व डालकर खेती की जाती है. इससे अच्छी पैदावार होती है और लागत भी कम आती है. इस तकनीक से घर की छत या अन्य किसी भी स्थान पर खेती की जा सकती है.

पढ़ें: कैसे काम करती है देश की इकलौती ई-विधानसभा

कांगड़ा: सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) संस्थान पालमपुर ने शोध के बाद हाइड्रोपोनिक्स तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के तहत ट्यूलिप फूल की हर महीने और लिलियम की साल में छह बार फसल ली जा सकेगी. इससे बिना मिट्टी साल में कई बार फूल तैयार किए जा सकेंगे. अभी तक लिलियम की फसल तैयार होने में 4 से 5 और ट्यूलिप फूल की फसल के लिए 3 से 4 माह का समय लगता था.

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक कारागार होगी साबित

सीएसआईआर की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खासकर गर्मियों में फूलों की कमी को पूरा किया जा सकेगा. देश में बढ़ती आबादी और कम हो रही जमीन के लिए यह तकनीक काफी कारागार साबित होगी. यह तकनीक तैयार करने के लिए सीएसआईआर में करीब दो साल से शोध चल रहा था. अभी नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों से फूलों के बल्ब मंगवाए जाते थे, लेकिन अब फूलों की कमी को देश में पूरा किया जा सकेगा. संस्थान इस तकनीक का प्रशिक्षण फूल उत्पादकों को देगा. इससे आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत किसानों की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी.

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क्या कहना है सीएसआईआर के निदेशक का

सीएसआईआर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि संस्थान ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक तैयार की है. इससे फूलों की खेती को काफी बढ़ावा मिलेगा. यह देश में पहली बार होगा. फूलों के अलावा किचन गार्डन से अन्य पौधे भी तैयार किए जा सकते हैं. किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इससे उनकी आर्थिकी मजबूत होगी.

क्या है हाइड्रोपोनिक विधि

हाइड्रोपोनिक विधि के लिए भूमि की जरूरत नहीं होती है. इसमें फसल को पानी में ही पैदा किया जाता है. इसमें पानी में कुछ पौष्टिक तत्व डालकर खेती की जाती है. इससे अच्छी पैदावार होती है और लागत भी कम आती है. इस तकनीक से घर की छत या अन्य किसी भी स्थान पर खेती की जा सकती है.

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