धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान रंग लाने लगा है. इस अभियान के चलते लोगों में जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ लिंगानुपात में भी सुधार दर्ज किया गया है. साल 2021-22 में कांगड़ा जिले में एक हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 922 थी, जो अब बढ़कर एक हजार लड़कों के मुकाबले 938 हो गई है.
कांगड़ा जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से लोगों को बेटा-बेटी में फर्क न करने बारे में जागरूक किया जा रहा है. आज के दौर में हर फील्ड में बेटियां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से भी बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं राज्य में चलाई जा रही हैं. 'बेटी है अनमोल' योजना के तहत बीपीएल परिवारों में दो बेटियों के नाम पर 21 हजार रुपये विभाग की ओर से जमा करवाए जा रहे हैं.
वहीं, 'सुकन्या योजना' के तहत डाकघरों या राष्ट्रीयकृत बैंकों में खाता खोलने पर बच्ची को ब्याज दर ज्यादा मिलती है. बेटियों को स्कूल से अनुपस्थित रहने या ड्रॉपआउट न करना पड़े, इसके लिए भी महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से व्यवस्था की गई है. कांगड़ा जिले के 546 राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सेनिटरी पैड उपलब्ध करवाए गए हैं, जिससे बेटियों का स्कूल ड्रॉपआउट न हो और बेटियां बेहतर माहौल में शिक्षा ग्रहण कर सकें.
महिला एवं बाल विकास विभाग कांगड़ा के प्रोजेक्ट ऑफिसर अशोक शर्मा ने कहा कि जिला कांगड़ा में लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है. 2021-22 में जिले में एक हजार लड़कों के मुकाबले बेटियों का अनुपात 922 था, जबकि वर्तमान में यह अनुपात 938 हो गया है. उन्होंने कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं है, लोगों को इस बारे जागरूक किया जा रहा है, जिसके तहत विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं. उसी का नतीजा है कि अब जिले में लिंगानुपात बेहतर हो रहा है.
ये भी पढ़ें: हमीरपुर में पिछले साल के मुकाबले लिंगानुपात में बेहतर सुधार, 1000 लड़कों के मुकाबले 965 बेटियां