धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक समिति की ओर से स्वामी सत्यानंद स्टोक्स सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सत प्रकाश बंसल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन (Buddhist Confederation) मिलकर प्रमोशन ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज एंड कल्चर अक्रॉस बुद्धिस्ट सर्किट पर जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगे. इसके उद्देश्य मुख्य रूप से भारत में बुद्धिस्ट कल्चर और बुद्धिस्ट सर्किट के मध्य प्रमोट करना है.
उन्होंने कहा कि अगर हम इस तरह के टूरिज्म और बुद्धिस्ट सर्किट को प्रोमोट करते हैं, तो इससे विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और सामान्य रूप से भारत में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के काफी अवसर पैदा होंगे. यह बात उन्होंने कुलपति सचिवालय में इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन (International Buddhist Confederation) के सलाहकार राजेश कुमार रैना के साथ हुई बैठक के दौरान कही है.
बंसल ने कहा कि अगले साल फरवरी में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगे. इस सम्मेलन में धर्मगुरु दलाई लामा, हिमाचल के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और भारत सरकार से संस्कृति मंत्री के उपस्थित होने की उम्मीद है. लगभग सात देशों से जिनके साथ हम बुद्धिस्ट रिलेशन प्रोमोट करना चाहते हैं, उनके प्रतिनिधियों को भी इसमें बुलाया जाएगा. पहले दिन उद्घाटन सत्र होगा उसके बाद तकनीकी सत्र होंगे उन तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता विशिष्ठ प्रतिनिधि करेंगे.
अगले दिन खुला सत्र रहेगा, जिसमें विचार-विमर्श किया जाएगा. समापन सत्र में एक संस्तुति पत्र तैयार किया जाएगा. प्रस्ताव को भारत सरकार को लागू करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. निश्चित तौर पर यह एक मील का पत्थर साबित होगा और टूरिज्म प्रोमोशन के लिए, बुद्धिस्ट सर्किट, बुद्धिस्ट कल्चर प्रोमेशन के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने भी तय भी किया है कि हम तिब्बत केंद्र के साथ-साथ बुद्धिज़्म का कोर्स शुरू करने के लिए तिब्बत एजुकेशन के साथ सहयोग करेंगे.
इस मौके पर तिब्बत के राष्ट्रपति पेंपा सेरिंग ने कहा कि आज का कार्यक्रम केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर रहे कुलदीप चंद अग्निहोत्री के लिए है. क्योंकि उन्होने अपनी पूरी जिंदगी समाज सेवा में लगा दी. उन्होंने कहा कि कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने जीवन के दौरान तिब्बत के विषय पर भी काम किया है. पेंपा सेरिंग ने कहा कि कुलदीप चंद अग्निहोत्री सहित केंद्रीय विश्वविद्यालय का समस्त प्रशासन तिब्बती मुद्दे को काफी खास मानते है. समय-समय पर तिब्बत के मुद्दों को लोगों के समक्ष भी उठाते हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर तिब्बतियों का जन्म भी धर्मशाला में ही हुआ है. उन्होंने कहा कि 8वी सदी में जितने भी संस्कृत के शब्द थे उन सबको तिब्बती भाषा में बदला गया है.
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