धर्मशाला: विश्व प्रसिद्ध पौंग झील में मछुआरों ने दोबारा से अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए मछलियां पकड़ने का काम शुरू कर दिया है. विदेशी परिंदों के बर्ड फ्लू से मरने के चलते जिला प्रशासन ने झील में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे कि लगभग 1 माह से मछलियां पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
वहीं, झील में पिछले कुछ दिनों से विदेशी परिंदों के मरने के मामला सामने न आने और बर्ड फ्लू के कंट्रोल में होने पर जिला प्रशासन ने सबंधित अधिकारियों से फीडबैक लेने के बाद सोमवार को मछली पकड़ने के प्रतिबंध को हटाने संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं.
बर्ड फ्लू के फैलने से मछुआरों को परेशानी का करना पड़ा सामना
गौरतलब है कि पौंग झील में करीब 15 पंजीकृत सभाओं के अंतर्गत 2 हजार से अधिक मछुआरे इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. मछली पकड़ने से होने वाली आमदनी से ही परिवार का भरण-पोषण करते हैं. पिछले वर्ष कोविड-19 और इस वर्ष के शुरुआती माह में पौंग झील में बर्ड फ्लू के फैलने के चलते मछुआरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. परिवार के भरण-पोषण के लिए मछुआरे दिहाड़ी लगाने के लिए मजबूर हो गए थे. इतना ही नहीं मछुआरों की ओर से प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से भी सहयोग को लेकर बार-बार मांग उठाई जा रही थी.
जिला प्रशासन ने मछुआरों को दी राहत
पौंग झील में शुरूआती दिनों में अधिक विदेशी परिंदों के मौत मामले सामने आने के बाद झील में रेड जोन और सर्विलांस जोन बनाया गया था. प्रदेश सहित देहरादून की टीम ने भी झील का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया था, लेकिन अब पिछले कुछ दिनों से झील में परिंदों के मरने का मामला सामने न आने पर जिला प्रशासन ने मछुआरों को राहत प्रदान की है.
लगभग 500 करीब परिंदों की हो चुकी मौत
उधर, उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति ने कहा कि झील में बर्ड फ्लू के चलते लगभग 5500 के करीब परिंदों की मौत हो चुकी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से झील में कोई मृत्त पक्षी मिलने का मामला सामने नहीं आया है. जिसके चलते सोमवार को पौंग झील में मछली पकड़ने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया गया है.
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